शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanism) | Current Affairs | Vision IAS
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    शिकायत निवारण तंत्र (Grievance Redressal Mechanism)

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 27 Nov 2025

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (MoPPG&P) ने लोक शिकायतों से निपटने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य शिकायत निवारण तंत्र को समयबद्ध, सुलभ और सार्थक बनाना है।

    मुख्य दिशा-निर्देशों पर एक नज़र

    • नागरिकों की शिकायतों का समाधान सिंगल विंडो यानी एक ही जगह से करने के लिए CPGRAMS के साथ एक एकीकृत यूजर-फ्रेंडली शिकायत दर्ज करने वाला प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा।
      • इससे शिकायतों के दोहराव की समस्या को हल करने तथा कई पोर्टल्स पर एक ही शिकायत के समाधान में लगे एक से अधिक अधिकारियों के समय और प्रयास की बचत होगी। 
    • सभी मंत्रालयों/ विभागों में लोक शिकायतों के समाधान हेतु नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। ये अधिकारी शिकायतों का त्वरित, निष्पक्ष और कुशलतापूर्वक समाधान सुनिश्चित करेंगे।
    • प्रत्येक मंत्रालय/ विभाग में योजनाओं और गतिविधियों की जानकारी रखने वाले डेडिकेटेड शिकायत प्रकोष्ठ स्थापित किए जाएंगे।
    • प्रभावी शिकायत निवारण की मौजूदा समय-सीमा 30 दिन से घटाकर 21 दिन कर दी गई है।
    • मंत्रालयों/ विभागों की रैंकिंग के लिए मासिक आधार पर शिकायत निवारण मूल्यांकन सूचकांक जारी किया जाएगा।
    • 2024 के ये नीतिगत दिशा-निर्देश 10-चरणीय सुधार प्रक्रिया के साथ किए गए प्रौद्योगिकी सुधारों को दर्शाते हैं।
      • गौरतलब है कि सरकार ने 2022 में CPGRAMS के तहत 10-चरणीय सुधार लागू किए थे।

    शिकायत निवारण तंत्र (GRM) के बारे में

    • किसी संगठन का शिकायत निवारण तंत्र उसकी प्रभावशीलता के मापन हेतु सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है, क्योंकि यह किसी भी संगठन के काम-काज के बारे में फीडबैक प्रदान करता है।
      • GRM के आधारभूत सिद्धांत के अनुसार, यदि नागरिकों को वादा किए गए स्तर की सेवा प्रदान नहीं की जाती है या उनके अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो उनके पास शिकायत दर्ज करने और जिम्मेदार प्राधिकारी से समाधान प्राप्त करने के लिए उचित शिकायत निवारण तंत्र होना चाहिए।
    • केंद्र सरकार के स्तर पर शिकायतों से निपटने के लिए दो नामित नोडल एजेंसियां ​​हैं: 
      • MoPPG&P के अधीन प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG); तथा 
      • कैबिनेट सचिवालय के अधीन लोक शिकायत निदेशालय।
    • शिकायत निवारण की स्थिति: CPGRAMS पोर्टल ने 2022-2024 की अवधि में लगभग 60 लाख लोक शिकायतों का निवारण किया है। साथ ही, इसने मंत्रालयों/ विभागों और राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के 1.01 लाख शिकायत निवारण अधिकारियों की मैपिंग की है।
      • CPGRAMS 24x7 उपलब्ध एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है। यह नागरिकों को सेवा वितरण से जुड़े किसी भी विषय पर लोक अधिकारियों के समक्ष अपनी शिकायतें दर्ज कराने की सुविधा प्रदान करता है। 
      • यह भारत सरकार और राज्यों के सभी मंत्रालयों/ विभागों से जुड़ा एक सिंगल पोर्टल है। इस पोर्टल की खास विशेषता यह है कि यह अधिकारियों को शिकायतों तक भूमिका-आधारित पहुंच प्रदान करता है।

    शिकायत निवारण के लिए शुरू की गई अन्य पहलें

    • संवैधानिक और वैधानिक संस्थान: भारत में ऐसे कई संस्थान (CVC, लोकायुक्त, NHRC, SHRC आदि) हैं जिन्हें भ्रष्टाचार, लोक सेवकों द्वारा पद के दुरुपयोग, मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में लोक सेवक के आचरण में लापरवाही आदि से जुड़ी शिकायतों की जांच करने का अधिकार है।
    • शिकायत निवारण मूल्यांकन सूचकांक (GRAI): यह सूचकांक संसदीय स्थायी समिति की सिफारिश पर MoPPG&P के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) ने तैयार किया है।
      • इस सूचकांक का उद्देश्य अलग-अलग संगठनों की तुलनात्मक तस्वीर पेश करना तथा शिकायत निवारण तंत्र के संबंध में संगठनों की क्षमता और सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करना है।
    • प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन (प्रगति/ PRAGATI): यह एक बहु-उद्देश्यीय और मल्टी-मॉडल प्लेटफॉर्म है। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeiTY) ने स्थापित किया है। इसका उद्देश्य आम आदमी की शिकायतों का समाधान करना है। साथ ही, केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की अलग-अलग योजनाओं एवं परियोजनाओं की निगरानी व समीक्षा करना भी इसका एक अन्य उद्देश्य है।
    • ई-निवारण: यह केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की एक पहल है। इसका उद्देश्य करदाताओं की शिकायतों को तेजी से ट्रैक करना और उनका शीघ्र समाधान सुनिश्चित करना है।
    • नागरिक चार्टर: नागरिक चार्टर पहल उन समस्याओं को हल करने का एक साधन है, जिनका एक नागरिक लोक सेवाएं प्रदान करने वाले संगठनों से लोक सेवा प्राप्त करते समय सामना करता है।

    शिकायत निवारण तंत्र से जुड़े मुद्दे

    • शिकायत निपटान में देरी: नौकरशाही संबंधी बाधाएं, सीमित संसाधन, या अकुशल कार्य प्रणाली के कारण शिकायतों के समाधान में देरी होती है। इससे नागरिकों में निराशा और सरकार के प्रति अविश्वास बढ़ता है। 
    • भ्रष्ट आचरण: कुछ शिकायत निवारण तंत्र भ्रष्टाचार से प्रभावित होते हैं, जहां अधिकारियों द्वारा रिश्वत मांगने या शिकायतों के समाधान में जानबूझकर देरी या हेरफेर करने की घटनाएं सामने आती हैं। 
    • एकीकरण का अभाव: राज्यों के अलग-अलग क्षेत्रकों (जैसे- सार्वजनिक वितरण प्रणाली, उपभोक्ता अधिकार आदि) में शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म्स की बहुलता के कारण नागरिकों के लिए अपनी शिकायतें दर्ज करना और उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
    • डिजिटल डिवाइड: खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई नागरिकों की ऑनलाइन शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म्स का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए आवश्यक इंटरनेट या डिजिटल साक्षरता तक पहुंच की कमी है।

    आगे की राह 

    • द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशें:
      • आयोग ने राज्यों को देरी, उत्पीड़न या भ्रष्टाचार की शिकायतों से निपटने के लिए एक स्वतंत्र लोक शिकायत निवारण प्राधिकरण स्थापित करने की सलाह दी है। 
      • सरकारी संगठनों को प्राप्त शिकायतों का गहन विश्लेषण करना चाहिए तथा इसके बाद उन क्षेत्रों की पहचान करनी चाहिए जहां समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसके बाद लोक शिकायतों का कारण बनने वाले मूल कारकों को खत्म करने के लिए आवश्यक हस्तक्षेप करना चाहिए।
    • कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशें, (25वीं रिपोर्ट):
      • शिकायत निवारण प्रणाली सुलभ, सरल, त्वरित, निष्पक्ष, उत्तरदायी और प्रभावी होनी चाहिए।
      • समिति ने सुझाव दिया कि लोक शिकायत निवारण तंत्र को RTI अधिनियम, 2005 की तर्ज पर वैधानिक रूप में स्थापित करना चाहिए। इससे यह सभी राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, आदि के लिए अनिवार्य हो जाएगा। इसके अलावा, सभी शिकायतों को उनके अंतिम निपटान तक आगे बढ़ाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित होगी।  
    • विकेंद्रीकृत निवारण: शिकायत निवारण तंत्र को विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिए। ऐसा करके स्थानीय या क्षेत्रीय कार्यालयों को मुद्दों को हल करने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है। साथ ही, केंद्रीय अधिकारियों पर कार्य भार को कम किया जा सकता है तथा शिकायत समाधान में तेजी लाई जा सकती है।
    • नौकरशाही स्तरों को कम करना: यह कार्य शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया को आसान बनाकर किया जा सकता है। इसके लिए कागजी कार्रवाई और औपचारिकताओं को कम करना होगा तथा तंत्र को सुलभ व नागरिक अनुकूल बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
      • उदाहरण के लिए- सूचना एवं सुविधा काउंटरों की स्थापना और उनका प्रभावी संचालन इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं। 
    • समीक्षा और निगरानी: एक मजबूत निगरानी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए। यह समय-समय पर लेखा-परीक्षा और मूल्यांकन के जरिए शिकायत निवारण विभागों एवं अधिकारियों के प्रदर्शन का विश्लेषण करेगी। 
    • फीडबैक तंत्र: ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन प्रणाली के प्रभावी संचालन के लिए महत्वपूर्ण प्रदर्शन संकेतक स्थापित करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए- शिकायत पर प्रतिक्रिया समय, समाधान दर, नागरिक संतुष्टि आदि। 
    • प्रौद्योगिकी को एकीकृत करना: AI का उपयोग शिकायतों को वर्गीकृत/ प्राथमिकता देने; तथा शिकायतों में ट्रेंड/ विविध पैटर्न की पहचान करने; संसाधनों के आवंटन और नीतिगत समायोजन में मदद करने हेतु डेटा विश्लेषण का उपयोग करने आदि के लिए किया जा सकता है।
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    • Grievance Redressal Assessment Index
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