महिला नेतृत्व वाले स्वयं-सहायता समूह (SHGs): लखपति दीदी {Women-Led Self-Help Groups (SHGS): Lakhpati Didi} | Current Affairs | Vision IAS
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    महिला नेतृत्व वाले स्वयं-सहायता समूह (SHGs): लखपति दीदी {Women-Led Self-Help Groups (SHGS): Lakhpati Didi}

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 28 Nov 2025

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, प्रधान मंत्री ने महाराष्ट्र के जलगांव में आयोजित एक समारोह में 11 लाख नई "लखपति दीदियों" को सम्मानित किया।

    अन्य संबंधित तथ्य 

    • इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने 2,500 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड भी जारी किया। इस फंड से 4.3 लाख स्वयं-सहायता समूहों (SHGs) के लगभग 48 लाख सदस्यों को लाभ मिलेगा।
      • रिवॉल्विंग फंड का उद्देश्य ऋण देने की प्रक्रिया में तेजी लाना और SHGs के विकास के लिए आवश्यक निधि में बढ़ोतरी करना है। 
      • SHGs को रिवॉल्विंग फंड प्रदान करने का मुख्य उद्देश्य SHGs के सदस्यों में बचत और संस्थागत ऋण की आदत डालना तथा बाहर से लिए गए फंड्स के प्रबंधन पर उनकी संस्थागत क्षमताओं का निर्माण करना है।
      • यह SHGs की सहायता के लिए बना एक स्थायी कोष है।
    • इसके अलावा, प्रधान मंत्री ने इस अवसर पर 5,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण भी वितरित किए। इससे 2.35 लाख SHGs के 25.8 लाख सदस्यों को लाभ होगा।

    लखपति दीदी पहल के बारे में

    • लखपति दीदी कोई अलग योजना नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) की दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के तहत शुरू की गई है। यह पहल महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने के लक्ष्य के अंतर्गत आने वाला एक परिणाम है। 
      • DAY-NRLM का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण गरीब परिवार से कम-से-कम एक महिला सदस्य को SHGs का सदस्य बनाना और उसे उसकी आर्थिक गतिविधियों में सहयोग देना है। 
      • DAY-NRLM को 2011 से मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। 
    • लखपति दीदी SHG की एक सदस्य होती है, जो घरेलू वार्षिक आय के रूप में एक लाख रुपये या उससे अधिक कमाती है। 
      • इस आय की गणना कम-से-कम चार कृषि मौसमों और/ या व्यावसायिक चक्रों के लिए की जाती है। इसमें औसत मासिक आय 10,000 रुपये से अधिक होती है, ताकि यह आय सतत हो। 
      • इस योजना को 2023 में शुरू किया गया था।  
      • योजना का लक्ष्य: तीन करोड़ लखपति दीदी बनाना इसका लक्ष्य है। 
    • यह योजना कर्मचारियों और समुदाय के सदस्यों के क्षमता निर्माण के साथ साथ आजीविका संबंधी विविध गतिविधियों, जिला-स्तरीय नियोजन, घरेलू सहायता, सरकारी विभागों के अभिसरण आदि पर भी केंद्रित है।

    संभावित लखपति दीदियों की पहचान के लिए मानदंड

    • एक SHG सदस्य, जिसने सदस्यता के कम-से-कम दो वर्ष पूर्ण कर लिए हों और सामुदायिक निवेश निधि (CIF) का लाभ उठाया हो।
    • वह DAY-NRLM के माध्यम से आजीविका प्राप्त करने की लाभार्थी हो और कम-से-कम दो आजीविका संबंधी गतिविधियों का संचालन कर रही हो।

    स्वयं-सहायता समूहों (SHGs) और उसके सदस्यों के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायता

    • पूंजीगत समर्थन:
      • रिवॉल्विंग फंड: आंतरिक तौर पर ऋण देने की प्रक्रिया को गति देने और सदस्यों की तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में SHGs को समर्थ बनाने के लिए प्रत्येक पात्र SHGs को 20,000 से 30,000 रुपये दिए जाते हैं।
      • सामुदायिक निवेश निधि (CIF): यह वित्तीय सहायता केवल SHGs और उनके संघों को ऋण देने के लिए दी जाती है। इसका उद्देश्य सदस्यों को सूक्ष्म ऋण/ निवेश योजनाओं के अनुसार अपनी सामाजिक-आर्थिक गतिविधियां संचालित करने में सक्षम बनाना है। 
        • CIF के लिए स्वीकार्य अधिकतम राशि प्रति SHG 2.50 लाख रुपये है।
    • बैंक ऋण: 
      • SHGs को बिना किसी जमानत के 20 लाख रुपये तक का बैंक ऋण देने का प्रावधान किया गया है।
      • ब्याज अनुदान: महिला SHGs द्वारा बैंकों/ वित्तीय संस्थानों से लिए गए सभी ऋणों पर बैंकों की ब्‍याज दर और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर को कवर करने के लिए प्रति SHG अधिकतम 3,00,000 रुपये का ब्याज अनुदान देने का प्रावधान किया गया है।
      • ओवरड्राफ्ट सुविधा: जन-धन खाता रखने वाली प्रत्येक SHG महिला सदस्य 5,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट (OD) सुविधा के लिए पात्र है।
    • आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (AGEY): इसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों और वस्तुओं के लिए परिवहन सेवाएं शुरू करने हेतु उद्यमियों को प्रोत्साहन के रूप में रियायती दर पर ऋण प्रदान किए जाते हैं।
      • इसके तहत व्यक्तियों के लिए 6.5 लाख रुपये तक के ऋण और समूहों (SHG/VO/CLF/PG/PE) के लिए 8.5 लाख रुपये तक के ऋण का प्रावधान किया गया है।
    • सुभेद्यता में कमी हेतु फंड (VRF): यह एक प्रकार का रिवॉल्विंग फंड है। इसे क्लस्टर स्तरीय संघों द्वारा ग्राम संगठनों (VOs) को दिया जाता है।
      • इसके तहत प्रत्येक ग्राम संगठन (VO) को 1,50,000 रुपये की राशि दी जाती है।
      • VRF एक कॉर्पस फंड है। इसे परिवारों व समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली खाद्य असुरक्षा, स्वास्थ्य जोखिम, आकस्मिक बीमारी/ अस्पताल में भर्ती होने, प्राकृतिक आपदा आदि से निपटने के लिए दिया जाता है।
    • महिला उद्यम प्रोत्साहन फंड (Women Enterprise Acceleration Fund):
      • व्यक्तिगत उद्यमों के लिए-
        • ऋण गारंटी सहायता: इसके तहत व्यक्तिगत महिला उद्यमियों को 5 वर्षों की अवधि के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये तक के ऋण हेतु ऋण गारंटी दी जाती है। 
        • समय पर भुगतान पर ब्याज में छूट: अच्छे पुनर्भुगतान व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए, समय पर ऋण चुकाने वाली महिला उद्यमियों को अधिकतम 3 वर्षों की अवधि के लिए 1.5 लाख रुपये तक के ऋणों पर 2% की ब्याज छूट दी जाती है।
      • सामूहिक उद्यमों या किसान उत्पादक संगठनों (FPOs)  के लिए-
        • सामूहिक उद्यमोंFPOs को जमानत सहायता: इस फंड का उपयोग ऋणदाता संस्थाओं को दिए गए कुल ऋण का 50% (या 2 करोड़ रुपये तक, जो भी कम हो) तक के खिलाफ जमानत प्रदान करने के लिए किया जाएगा।

    महिलाओं के नेतृत्व वाले SHGs का महत्त्व: लखपति दीदी

    • उद्देश्य में बदलाव: अब SHGs को सामाजिक और वित्तीय समावेशन का माध्यम मात्र मानने से हटकर उन्हें उद्यमशील उपक्रमों के रूप में आगे बढ़ाने और उच्च आय वर्ग की ओर बढ़ने के लिए सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
    • महिलाओं की सौदेबाजी की शक्ति में वृद्धि: यह कार्य महिलाओं की वित्तीय निर्णय लेने में भागीदारी बढ़ाने, सामाजिक संबंधों को मजबूत करने, परिसंपत्तियों के स्वामित्व और आजीविका के विविधीकरण के माध्यम से किया जा रहा है।
    • आर्थिक विकास को बढ़ावा: महिला-SHGs सूक्ष्म उद्यमों के विकास में अग्रणी हैं और वे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजित कर रहे हैं।
    • ऋण गुणवत्ता में सुधार: महिला SHGs द्वारा लिए गए ऋणों के मामले में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPAs) 1.6% हैं। 
    • सार्वजनिक सेवा वितरण तक पहुंच में वृद्धि: SHGs अलग-अलग सरकारी योजनाओं जैसे DAY-NRLM, मनरेगा, समेकित बाल विकास योजना (ICDS) आदि का लाभ पहुंचाने के माध्यम के रूप में भी कार्य करते हैं।
      • उदाहरण के लिए, झारखंड के गुमला में जनजातीय महिला SHGs ने मिशन रागी के तहत खरीद से लेकर विपणन तक की संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला को संभाला है। इसके परिणामस्वरूप, किसानों की आय में सुधार हुआ है तथा एनीमिया और कुपोषण से निपटने में मदद मिली है।
    • गरीबी उन्मूलन और सामाजिक गतिशीलता: SBI की एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2024 के बीच सापेक्ष आय के संदर्भ में 65% ग्रामीण SHGs के सदस्यों की आय में वृद्धि हुई है। 
    • दबाव समूह का निर्माण और राजनीतिक भागीदारी: शासन प्रक्रिया में उनकी भागीदारी उन्हें दहेज, शराबखोरी, खुले में शौच, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा जैसे मुद्दों को उजागर करने तथा नीतिगत निर्णय को प्रभावित करने में सक्षम बनाती है।

    महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के समक्ष चुनौतियां

    • सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएं: पितृसत्तात्मक सोच, जातिगत बाधाएं, जागरूकता और साक्षरता की कमी आदि महिलाओं के नेतृत्व वाले SHGs की भागीदारी एवं विकास को सीमित करते हैं। 
    • डिजिटल सशक्तीकरण का अभाव: महिला SHGs में डिजिटलीकरण से संबंधित ज्ञान और कौशल का अभाव है। इसके अलावा, उनकी प्रौद्योगिकी और इंटरनेट तक पहुंच भी सीमित है। 
    • गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण और कौशल का अभाव: यह खराब विपणन रणनीतियों, उत्पाद गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों आदि समस्याओं को बढ़ाता है। इससे महिला SHGs के नेतृत्व वाले सूक्ष्म उद्यमों के विकास में बाधा आती है। 
    • क्षेत्रीय असमानताएं: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) द्वारा प्रकाशित माइक्रो फाइनेंस की स्थिति रिपोर्ट (2019-20) के अनुसार लगभग 68.56% SHGs दक्षिण भारत में स्थित हैं।
    • जागरूकता की कमी: प्राय: गरीब महिलाओं को SHGs के लाभों के बारे में ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त नहीं है। इसके अलावा, SHGs पर अक्सर उच्च वर्ग का नियंत्रण होता है, जो उसके मूल उद्देश्य को कमजोर करता है।

    आगे की राह 

    • प्रशिक्षण और कौशल प्रदान करना: सामाजिक परिवर्तन के एजेंट के रूप में SHGs के सदस्यों को सशक्त बनाने के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण एवं कौशल विकास आवश्यक है।
    • प्रौद्योगिकी संबंधी उन्नति को बढ़ावा देना: डिजिटल साक्षरता और उस तक पहुंच को बढ़ाकर SHGs के संचालन में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए- इस दिशा में नाबार्ड द्वारा चलाई जा रही ई-शक्ति परियोजना एक अच्छी पहल है।
    • क्षेत्रीय फोकस को बढ़ावा: पिछड़े और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों में महिला SHGs (WSHGs) को बढ़ावा देने की योजना जैसी पहलों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • निगरानी, ​​मूल्यांकन और सीखने (MEL) पर बल: इसके लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए आंतरिक प्रक्रियाओं एवं प्रभावशीलता का आकलन करने हेतु एक मजबूत प्रणाली की स्थापना करनी चाहिए। 
    • हितधारकों के साथ समन्वय: इसके लिए SHGs को कॉर्पोरेट और नागरिक समाज संगठनों के साथ जोड़ना चाहिए, ताकि उन्हें सहायता प्रदान की जा सके तथा उनके उद्यमों को बढ़ाया जा सके।
    • Tags :
    • Sexual Harassment at Workplace
    • Justice Hema Committee
    • Women issues
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