क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) सहित उपग्रह-आधारित क्वांटम कम्युनिकेशन वस्तुतः क्वांटम कम्युनिकेशन के लिए एक आशाजनक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- यह क्वांटम सिग्नल्स के साथ-साथ टेरा हर्ट्ज (Hz) आवृत्ति पर काम करता है। गौरतलब है कि पारंपरिक उपग्रह-आधारित संचार मेगा या गीगा हर्ट्ज (Hz) आवृत्ति पर काम करता है।
- हालांकि, पृथ्वी के बहुस्तरीय और जटिल वायुमंडल से कम-से-कम नुकसान के साथ क्वांटम सिग्नल्स भेजने के लिए उपयुक्त स्थल का चयन करना एक महत्वपूर्ण पहलू है।
आदर्श स्थल के रूप में हानले के चयन हेतु उत्तरदायी कारक
- उपयुक्त वायुमंडलीय दशाएं: हानले एक शुष्क और शीत मरुस्थल है, जहां सर्दियों में तापमान -25 से -30 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
- यहां वायुमंडलीय जल-वाष्प और ऑक्सीजन की सांद्रता का स्तर कम है।
- अनुकूल प्राकृतिक स्थिति: यह लंबी दूरी के क्वांटम कम्युनिकेशन के लिए ग्राउंड स्टेशन स्थापित करने हेतु उपयुक्त है।
- सिग्नल की कम हानि (44 dB): यह अन्य दो सर्वोत्तम स्थलों माउंट आबू (47 dB) और नैनीताल (48 dB) की तुलना में कम है।
क्वांटम कम्युनिकेशन और क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) के बारे में
- यह क्वांटम भौतिकी के नियमों के आधार पर डेटा संचारित करने के लिए क्यूबिट या क्वांटम बिट्स (प्रकाश के फोटॉन कण) का उपयोग करते हैं।
- क्वांटम कण वस्तुतः क्वांटम एंटेंगलमेंट और सुपरपोजिशन के गुण प्रदर्शित करते हैं। इसके कारण ये एक साथ 0 और 1 दोनों अवस्थाओं में मौजूद हो सकते हैं।
- ये डेटा सुरक्षा प्रदान करते हैं, क्योंकि जानकारी को क्वांटम अवस्था में हेरफेर किए बिना न तो एक्सेस किया जा सकता है और न ही कॉपी किया जा सकता है।
- QKD सुरक्षित संचार की एक विधि है, जिसमें केवल साझा पक्षों के मध्य ज्ञात “एन्क्रिप्शन की” का आदान-प्रदान किया जाता है।