इस विधेयक का उद्देश्य वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958 की जगह लेना है।
- इस विधेयक का लक्ष्य वाणिज्य पोत-परिवहन (Merchant Shipping) से संबंधित कानून को एकीकृत और संशोधित करना है। इससे भारत द्वारा हस्ताक्षरित समुद्री संधियों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के तहत दायित्वों का पालन सुनिश्चित हो सकेगा।
इस विधेयक की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर
- राष्ट्रीय पोत-परिवहन बोर्ड की स्थापना: यह भारतीय पोत-परिवहन से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार को सलाह देगा।
- बोर्ड को अपने कार्य-संचालन के लिए अपनी प्रक्रिया विनियमित करने की शक्ति होगी।
- समुद्री प्रशासन: केंद्र सरकार "समुद्री प्रशासन के महानिदेशक (Director-General of Maritime Administration)" के रूप में एक व्यक्ति की नियुक्ति करेगी।
- पोत का पंजीकरण: स्वामित्व के लिए पात्र होंगे-
- अनिवासी भारतीय या भारतीय मूल के विदेशी नागरिक सहित भारत के नागरिक;
- किसी केंद्रीय अधिनियम या राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित कंपनी/ निकाय, जिसका पंजीकृत कार्यालय भारत में हो।
- भारतीय पोत या शेयर का हस्तांतरण: जब भारत या उसके किसी क्षेत्र की सुरक्षा को किसी भी तरह के प्रतिबंध, युद्ध, बाहरी आक्रमण या आपातकाल के दौरान खतरा हो, तो कोई भी व्यक्ति किसी भारतीय पोत या उसके शेयर को हस्तांतरित या अधिग्रहित नहीं कर सकेगा।
- प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण: प्रत्येक पोत को प्रदूषण की रोकथाम हेतु संबंधित अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों के प्रावधानों का पालन करना होगा, जैसे:
- MARPOL कन्वेंशन;
- एंटी-फाउलिंग सिस्टम कन्वेंशन, आदि।
इस विधेयक की आवश्यकता क्यों है?
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