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    साथ ही खबरों में

    Posted 11 Dec 2024

    38 min read

    लोक अदालत

    राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के अनुसार 2024 में NALSA द्वारा आयोजित 3 राष्ट्रीय लोक अदालतों के जरिए 7 करोड़ 70 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया गया।

    • राष्ट्रीय लोक अदालत पूरे देश में एक ही दिन में नियमित अवधि पर आयोजित की जाने वाली लोक अदालतें हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट से लेकर तालुका स्तर तक की सभी अदालतें मामलों की सुनवाई करती हैं।

    लोक अदालतों के बारे में

    • लोक अदालत एक वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र है। इन अदालतों में सिविल या क्रिमिनल लंबित मामलों या मुकदमा शुरू होने से पहले मामलों का सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटारा या समझौता किया जाता है।
    • इन्हें विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत सांविधिक दर्जा दिया गया है।
    • इनका निर्णय अंतिम और बाध्यकारी माना जाता है। इनके निर्णय के खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती है।
    • इन्हें सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत सिविल कोर्ट के समान शक्तियां प्राप्त हैं।
    • पहली लोक अदालत 1982 में गुजरात के जूनागढ़ में आयोजित की गई थी।
    • Tags :
    • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA)
    • लोक अदालत
    • विवाद समाधान तंत्र
    • राष्ट्रीय लोक अदालत

    राज्य सभा के सभापति को पद से हटाने की प्रक्रिया

    विपक्षी दलों ने राज्य सभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रस्ताव पेश किया है।

    • संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार, भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होगा। 

    उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की संवैधानिक प्रक्रिया के बारे में

    • नोटिस अवधि: पद से हटाने का संकल्प पेश करने से पहले 14 दिन का नोटिस दिया जाना होता है। इस नोटिस में हटाने के बारे में स्पष्ट उल्लेख किया गया होना चाहिए। 
    • प्रस्ताव पारित करना: अनुच्छेद 67(B) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को राज्य सभा द्वारा उसके सभी सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प और लोक सभा द्वारा साधारण बहुमत से उस संकल्प पर सहमति जताकर पद से हटाया जा सकता है।
    • जहां संविधान में राष्ट्रपति को हटाने के आधारों का उल्लेख किया गया है, वहीं उपराष्ट्रपति के मामले में आधारों का उल्लेख नहीं किया गया है।
    • Tags :
    • उपराष्ट्रपति
    • राज्य सभा सभापति
    • अविश्वास प्रस्ताव
    • अनुच्छेद 67(B)

    अर्द्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT)

    ICRISAT को सौर ऊर्जा से चलने वाले जलकुंभी हार्वेस्टर के लिए भारत में उसका पहला औद्योगिक डिजाइन पेटेंट प्रदान किया गया है।

    • जलकुंभी (Water hyacinth) की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण कृषि समुदायों के लिए यह हार्वेस्टर व्यावहारिक समाधान प्रदान करेगा। 
      • यह किफायती होगा, स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करेगा और श्रम की बचत करेगा। इसे अर्ध-कुशल या अकुशल श्रमिकों द्वारा भी संचालित किया जा सकेगा।
    • जलकुंभी तेजी से बढ़ने वाली जलीय खरपतवार है। यह ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र, मत्स्य पालन और जलमार्गों के लिए बड़ा खतरा है।

    ICRISAT के बारे में

    • इसकी स्थापना 1972 में की गई थी।
    • इसका मुख्यालय भारत में है। 
    • यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संगठन है। यह शुष्क भूमि खेती और कृषि-खाद्य प्रणालियों में सुधार के लिए कार्य कर रहा है।
      • इन सुधारों के जरिए यह संगठन एशिया और अन्य क्षेत्रों की शुष्क भूमि में खाद्य संकट, कुपोषण एवं पर्यावरणीय क्षरण को दूर करने के प्रति प्रतिबद्ध है।
    • Tags :
    • ICRISAT
    • जलकुंभी
    • औद्योगिक डिजाइन पेटेंट

    चैंपियंस ऑफ अर्थ अवॉर्ड, 2024

    संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने चैंपियंस ऑफ अर्थ अवॉर्ड, 2024 के विजेताओं की घोषणा की।

    • 2024 की लाइफटाइम अचीवमेंट श्रेणी में यह पुरस्कार भारतीय पारिस्थितिकीविद् माधव गाडगिल को दिया गया है। 
      • उन्हें यह पुरस्कार अनुसंधान और सामुदायिक संपर्क के माध्यम से मनुष्यों एवं पृथ्वी की रक्षा करने के लिए प्रदान किया गया है।
    • श्री गाडगिल भारत के पारिस्थितिक रूप से नाजुक पश्चिमी घाट क्षेत्र में अपने संरक्षण कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं।  
      • पश्चिमी घाट एक विशिष्ट वैश्विक जैव-विविधता हॉटस्पॉट है।

    चैंपियंस ऑफ अर्थ अवॉर्ड के बारे में

    • यह संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान है। इसकी शुरुआत 2005 में हुई थी। तब से यह पुरस्कार हर साल दिया जाता है। 
    • 2024 का पुरस्कार भूमि को वापस उपजाऊ बनाने, सूखा-प्रतिरोधी बनाने और मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए अभिनव एवं संधारणीय समाधानों पर कार्य करने वाले व्यक्तियों व संगठनों को दिया गया है।
    • यह पुरस्कार निम्नलिखित चार श्रेणियों में दिया जाता है:
      • नीतिगत नेतृत्व (Policy Leadership), 
      • प्रेरणा और कार्रवाई (Inspiration and Action), 
      • उद्यमशील दृष्टिकोण (Entrepreneurial Vision), तथा 
      • विज्ञान और नवाचार (Science and Innovation).
    • Tags :
    • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP)
    • सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान
    • माधव गाडगिल
    • लाइफटाइम अचीवमेंट श्रेणी

    तटों का सख्त होना (Coastal Hardening)

    एक अध्ययन के अनुसार, विश्व के लगभग 33% रेतीले समुद्र तट सख्त हो गए हैं।

    • इस मामले में बंगाल की खाड़ी पहले स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार बंगाल की खाड़ी के 84% तट सख्त हो गए हैं।

    ‘तटों का सख्त होना’ क्या है?

    • यह वास्तव में इंसानों द्वारा बनाई गई सख्त और अर्ध-अभेद्य संरचनाओं को कहा जाता है। इससे तटों की प्राकृतिक बनावट बिगड़ जाती है। 
      • इससे समुद्री जल का वापस भूमि पर आना अवरुद्ध हो जाता है। साथ ही, स्थलीय क्षेत्रों की ओर रेतीले समुद्री तटों का बनाना भी प्रभावित होता है।
      • ऐसे संरचनाओं में सी-वॉल (समुद्री भित्ति), बंदरगाह, सड़कें, राजमार्ग, रेलवे रिवेटमेंट जैसी अभेद्य अवसंरचनाएं शामिल हैं।
    • दुष्प्रभाव: 
      • जैव विविधता में कमी आती है; 
      • पारिस्थितिकी-तंत्र की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जैसे कि मत्स्य उत्पादन कम हो जाना;
      • पारिस्थितिकी समुदाय में परिवर्तन हो जाता है, जो आक्रामक प्रजातियों के अनुकूल हो सकता है; 
      • रेतीली तट-रेखा को नुकसान पहुंचता है, आदि।
    • Tags :
    • बंगाल की खाड़ी
    • तटों का सख्त होना
    • सी-वॉल

    INS तुशिल

    INS तुशिल (F 70) को रूस के कलिनिनग्राद में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

    INS तुशिल के बारे में:

    • यह एक उन्नत क्रिवाक III श्रेणी का युद्धपोत और प्रोजेक्ट 1135.6 का 7वां पोत है।
      • प्रोजेक्ट 1135.6 में सेवा में 6 पोत शामिल हैं, जिनमें रूस में निर्मित तलवार श्रेणी और तेग श्रेणी के तीन-तीन पोत सम्मिलित हैं।
    • यह ब्रह्मोस मिसाइल जैसे हथियारों से लैस बहुउद्देश्यीय स्टील्थ-निर्देशित मिसाइल युद्धपोत है। 
    • यह एक उन्नत गैस टरबाइन प्रणोदन संयंत्र द्वारा संचालित है और 30 समुद्री मील से अधिक की गति से यात्रा कर सकता है।
    • Tags :
    • INS तुशिल
    • उन्नत क्रिवाक III श्रेणी
    • India-Russia

    प्राप्य प्रतिभूतिकरण (Receivables Securitization)

    MSMEs के बीच नकदी या लिक्विडिटी प्राप्ति के साधन के रूप में ‘प्राप्य प्रतिभूतिकरण’ की लोकप्रियता बढ़ रही है। 

    प्राप्य प्रतिभूतिकरण के बारे में

    • प्राप्य प्रतिभूतिकरण एक नकदी जुटाने की वित्तीय प्रक्रिया है। इसमें कंपनियां अपने उत्पाद की बिक्री के लिए भविष्य में प्राप्त होने वाली पेमेंट के बदले इनवॉइस जारी करती हैं। फिर इसी इनवॉइस को पूंजी बाजार में प्रतिभूतियों के रूप में बेचती हैं। इससे उन्हें तुरंत नकदी प्राप्त हो जाती है। 
      • कंपनियां अपने प्राप्यों को एकत्र करके उन्हें किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करती हैं। यह तीसरा पक्ष प्रतिभूतियों को जारी करके कंपनी को वित्त प्रदान करता है। फिर वह तीसरा पक्ष इन प्रतिभूतियों को वित्तीय बाजारों में निवेशकों को बेचता है।
    • महत्त्व: यह MSMEs को अपने उत्पादों की बिक्री के बाद बकाया भुगतान की समस्या से निपटने और नकदी की शीघ्र जरूरत को पूरा करने में मदद करता है।
    • Tags :
    • MSMEs
    • प्राप्य प्रतिभूतिकरण

    T+0 निपटान चक्र

    भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI/ सेबी) ने वैकल्पिक T+0 रोलिंग निपटान चक्र के दायरे का विस्तार किया है।

    • 31 दिसंबर को मार्केट कैप (बाजार पूंजी) के आधार पर शीर्ष 500 शेयरों के लिए वैकल्पिक T+0 निपटान चक्र उपलब्ध होगा। 

    T+0 निपटान चक्र के बारे में

    • T+0 निपटान फंड और प्रतिभूति लेन-देन दोनों को ट्रेड यानी खरीद-बिक्री के दिन ही निपटाने की अनुमति देता है। 
      • इसके तहत शेयर्स ट्रेड डेट पर ही निवेशक के खाते में जमा कर दिए जाते हैं। 
      • विक्रय लेन-देन में, धन उसी दिन विक्रेता के खाते में जमा कर दिया जाता है। 
    • यह सभी निवेशकों के लिए उपलब्ध है और फिलहाल वैकल्पिक है।
    • Tags :
    • SEBI
    • वैकल्पिक T+0
    • T+0 निपटान चक्र
    • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड
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