इस रिपोर्ट में राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति का व्यापक विश्लेषण किया गया है। इसमें 2022-23 के वास्तविक अनुमान से लेकर 2024-25 के बजट अनुमान तक की अवधि को कवर किया गया है। साथ ही, इसमें ‘राज्यों द्वारा राजकोषीय सुधार’ पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
राज्यों की राजकोषीय स्थिति का अवलोकन
- सकल राजकोषीय घाटा (GFD): राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा 2022-23 में 2.7% था। यह बढ़कर 2023-24 में GDP का 2.9% हो गया।
- सकल राजकोषीय घाटा कुल व्यय और राजस्व प्राप्तियों के बीच का अंतर है।
- कुल व्यय में राजस्व और पूंजीगत व्यय शामिल हैं, जबकि राजस्व प्राप्तियों में ऋण सृजन नहीं करने वाली पूंजीगत प्राप्तियां भी शामिल हैं।
- सकल राजकोषीय घाटा कुल व्यय और राजस्व प्राप्तियों के बीच का अंतर है।
- राज्यों की राजस्व प्राप्तियां: केंद्र से राज्यों को कम कर हस्तांतरण जैसी वजहों से 2022-23 में राजस्व प्राप्तियों में मामूली गिरावट दर्ज की गई थी।
- राजस्व प्राप्तियां वे प्राप्तियां हैं, जिन्हें सरकार से वापस नहीं लिया जा सकता तथा जो सरकार पर कोई देयताएं (ऋण) आरोपित नहीं करती। दरअसल राज्यों की राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व, गैर-कर राजस्व, केंद्रीय करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा तथा भारत सरकार से प्राप्त अनुदान शामिल होते हैं।
- पूंजीगत व्यय: इसमें सुधार दर्ज किया गया है। राज्यों का पूंजीगत व्यय 2022-23 में GDP के 2.2 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में GDP का 2.6 प्रतिशत हो गया।
- इसमें उन व्ययों को शामिल किया जाता है, जिनसे भौतिक/ वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण होता है।
- कुल ऋण: राज्यों का कुल बकाया ऋण मार्च 2004 में GDP का 31.8% था। यह घटकर मार्च 2024 में GDP का 28.5% हो गया।
- 2017 में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) समीक्षा समिति ने इसे GDP के 20% तक सीमित रखने की सिफारिश की थी।
राज्यों द्वारा किए गए मुख्य सुधार
- संस्थागत सुधार: कुछ राज्यों ने नीति आयोग के राज्य सहायता मिशन के तहत “परिवर्तन के लिए राज्य संस्थान” की स्थापना की है, आदि।
- व्यय में सुधार: लाभार्थी तक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) का उपयोग किया जा रहा है।
- जैसे- तेलंगाना में रायथु बंधु योजना की राशि DBT के जरिए लाभार्थियों के बैंक खातों में वितरित की जा रही है।
- उधारी से संबंधित सुधार: सकल राजकोषीय घाटे (GFD) के वित्त-पोषण के लिए बाजार से उधार लेने पर जोर दिया जा रहा है। GFD के वित्त-पोषण में बाजार से उधार की हिस्सेदारी 2005-06 की 17% से बढ़कर 2024-25 (बजट अनुमान) में 79.0% हो गई।
रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें
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