RBI ने “राज्यों का वित्त: 2024-25 के बजट का अध्ययन (राज्यों द्वारा राजकोषीय सुधार) रिपोर्ट” जारी की | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

    RBI ने “राज्यों का वित्त: 2024-25 के बजट का अध्ययन (राज्यों द्वारा राजकोषीय सुधार) रिपोर्ट” जारी की

    Posted 20 Dec 2024

    15 min read

    इस रिपोर्ट में राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति का व्यापक विश्लेषण किया गया है। इसमें 2022-23 के वास्तविक अनुमान से लेकर 2024-25 के बजट अनुमान तक की अवधि को कवर किया गया है। साथ ही, इसमें ‘राज्यों द्वारा राजकोषीय सुधार’ पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।

      राज्यों की राजकोषीय स्थिति का अवलोकन

    • सकल राजकोषीय घाटा (GFD): राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा 2022-23 में 2.7% था। यह बढ़कर 2023-24 में GDP का 2.9% हो गया।
      • सकल राजकोषीय घाटा कुल व्यय और राजस्व प्राप्तियों के बीच का अंतर है।
        • कुल व्यय में राजस्व और पूंजीगत व्यय शामिल हैं, जबकि राजस्व प्राप्तियों में ऋण सृजन नहीं करने वाली पूंजीगत प्राप्तियां भी शामिल हैं। 
    • राज्यों की राजस्व प्राप्तियां: केंद्र से राज्यों को कम कर हस्तांतरण जैसी वजहों से  2022-23 में राजस्व प्राप्तियों में मामूली गिरावट दर्ज की गई थी।
      • राजस्व प्राप्तियां वे प्राप्तियां हैं, जिन्हें सरकार से वापस नहीं लिया जा सकता तथा जो सरकार पर कोई देयताएं (ऋण) आरोपित नहीं करती। दरअसल राज्यों की राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व, गैर-कर राजस्व, केंद्रीय करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा तथा भारत सरकार से प्राप्त अनुदान शामिल होते हैं।
    • पूंजीगत व्यय: इसमें सुधार दर्ज किया गया है। राज्यों का पूंजीगत व्यय 2022-23 में GDP के 2.2 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में GDP का 2.6 प्रतिशत हो गया।
      • इसमें उन व्ययों को शामिल किया जाता है, जिनसे भौतिक/ वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण होता है। 
    • कुल ऋण: राज्यों का कुल बकाया ऋण मार्च 2004 में GDP का 31.8% था। यह घटकर मार्च 2024 में GDP का 28.5% हो गया। 
      • 2017 में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) समीक्षा समिति ने इसे GDP के 20% तक सीमित रखने की सिफारिश की थी।  

    राज्यों द्वारा किए गए मुख्य सुधार

    • संस्थागत सुधार: कुछ राज्यों ने नीति आयोग के राज्य सहायता मिशन के तहत “परिवर्तन के लिए राज्य संस्थान” की स्थापना की है, आदि।
    • व्यय में सुधार: लाभार्थी तक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) का उपयोग किया जा रहा है।
      • जैसे- तेलंगाना में रायथु बंधु योजना की राशि DBT के जरिए लाभार्थियों के बैंक खातों में वितरित की जा रही है। 
    • उधारी से संबंधित सुधार: सकल राजकोषीय घाटे (GFD) के वित्त-पोषण के लिए बाजार से उधार लेने पर जोर दिया जा रहा है। GFD के वित्त-पोषण में बाजार से उधार की हिस्सेदारी 2005-06 की 17% से बढ़कर 2024-25 (बजट अनुमान) में 79.0% हो गई। 

    रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें

    • सब्सिडी में सुधार: जैसे विद्युत सब्सिडी, कृषि ऋण माफी आदि में सुधार की जरूरत है। इससे उत्पादक कार्यों में अधिक व्यय करने के लिए धनराशि बच सकेगी।
    • केंद्र प्रायोजित योजनाओं में सुधार: इन सुधारों से राज्य-विशेष की जरूरतों के अनुसार बजटीय व्यय को बढ़ावा मिलेगा।
    • अन्य सिफारिशें: 
      • कई तरह के ऋणों की बजाय कम ब्याज दर पर एक ही ऋण लेने को प्राथमिकता देनी चाहिए,
      • समय पर डेटा उपलब्ध कराना चाहिए, 
      • जलवायु बजट को अपनाना चाहिए, 
      • आउटकम बजट प्रस्तुत करना चाहिए, आदि।
    • Tags :
    • राज्यों का वित्त
    • राजकोषीय घाटा
    • पूंजीगत व्यय
    • सब्सिडी
    Watch News Today
    Subscribe for Premium Features