इस समिति को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अनुदान मांगों पर विचार करने का कार्य सौंपा गया था।
- इस समिति में 31 सदस्य थे, जिनमें लोक सभा के 21 और राज्य सभा के 10 सदस्य शामिल थे।
रिपोर्ट में रेखांकित मुख्य चिंताएं
- प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य तय न करना: प्रधान मंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) जैसी कुछ योजनाओं के लिए प्राप्ति लक्ष्य तय नहीं किए जाने के कारण इनके नतीजों का आकलन करना मुश्किल हो जाता है।
- कार्यान्वयन में चुनौतियां: कई कार्यक्रमों के लिए बजटीय आवंटन का पूरा उपयोग नहीं किया गया। इसकी वजहें थीं- पूरे डॉक्यूमेंट्स नहीं होना, राज्यों द्वारा फंड जारी करने में देरी, आदि।
- कानूनों को अनुचित तरीके से लागू करना: नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955; अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, जैसे कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों ने आवश्यक कार्यान्वयन तंत्र स्थापित नहीं किए थे। इस वजह से इन्हें सही से लागू नहीं किया गया।
समिति की मुख्य सिफारिशें
- क्षमता निर्माण: योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन और लक्ष्य प्राप्ति के लिए राज्य के कार्यान्वयन संस्थानों का क्षमता निर्माण किया जाना चाहिए।
- सहकारी संघवाद को बढ़ावा: केंद्र प्रायोजित योजनाओं के सुचारू तरीके से क्रियान्वयन के लिए राज्यों को योजना की अपनी हिस्से वाली राशि समय पर जारी करनी चाहिए।
- सूचना, शिक्षा और संचार (IEC): यह योजनाओं से जुड़ी सूचनाओं के बेहतर प्रचार और व्यापक प्रसार के लिए जरूरी है।
- राज्य विशेष की समस्याओं को दूर करना: इसके लिए क्षेत्रीय कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए। साथ ही, राज्यों को अपनी कार्य-योजनाएं प्रस्तुत करने और फंड का प्रभावी तरीके से उपयोग करने के लिए जागरूक व प्रोत्साहित करना चाहिए।
सुभेद्य वर्गों के कल्याण के लिए प्रमुख योजनाएं
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