इस रिपोर्ट को “जैव विविधता, जल, खाद्य और स्वास्थ्य के बीच परस्पर संबंधों पर आकलन रिपोर्ट” भी कहा जाता है।
- यह रिपोर्ट जैव विविधता, जल, खाद्य, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन जैसे पांच आपस में जुड़े घटकों के जटिल संबंधों का वैज्ञानिक विश्लेषण करती है। साथ ही, इससे मिलने वाले लाभों को बढ़ाने के लिए संभावित समाधान भी प्रस्तुत करती है।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- नेक्सस (परस्पर जुड़े) घटकों को प्रभावित करने वाली वर्तमान आर्थिक गतिविधियों की अनदेखी लागत (Unaccounted-for costs) प्रति वर्ष कम-से-कम 10-25 ट्रिलियन डॉलर है।
- ऐसी अनदेखी लागतों के साथ-साथ प्रत्यक्ष सार्वजनिक सब्सिडी की मौजूदगी से भी प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाली आर्थिक गतिविधियों में निजी वित्तीय निवेश को बढ़ावा मिलता है।
- पिछले 30-50 वर्षों में प्रति दशक जैव विविधता में 2-6% की गिरावट आई है। इससे पारिस्थितिकी-तंत्र की कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता कम हो रही है और जलवायु परिवर्तन में तेजी आ रही है।
- पिछले 50 वर्षों में जैव विविधता की हानि के लिए जिम्मेदार अप्रत्यक्ष सामाजिक-आर्थिक कारक प्रत्यक्ष कारकों (जैसे भूमि और समुद्र उपयोग में परिवर्तन, प्रदूषण तथा आक्रामक विदेशी प्रजातियों के प्रसार) में वृद्धि कर रहे हैं।
- अप्रत्यक्ष सामाजिक-आर्थिक कारकों में बढ़ता कचरा, अति-उपभोग, जनसंख्या वृद्धि आदि शामिल हैं।
- ताजे जल की असंधारणीय तरीके से निकासी, आर्द्रभूमि के क्षरण तथा वनों की कटाई ने जल की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन का सामना करने की उसकी क्षमता को कम कर दिया है।
- लगभग 50% उभरती संक्रामक बीमारियां पारिस्थितिकी-तंत्र, पशु और मानव स्वास्थ्य के बीच के परस्पर जुड़ाव से होती हैं।
आगे की राह
- वन, मैंग्रोव जैसे कार्बन-समृद्ध पारिस्थितिकी-तंत्रों की पुनर्बहाली के लिए समन्वित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
- पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाली बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए जैव विविधता का प्रभावी प्रबंधन करना चाहिए।
- अन्य सुझाव:
- शहरी क्षेत्रों में प्रकृति-आधारित समाधान अपनाने चाहिए;
- देशज समुदायों के ज्ञान का उपयोग करना चाहिए;
- संधारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना चाहिए;
- "वन हेल्थ" दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए आदि।
इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज (IPBES) के बारे में
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