भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय क्षेत्रक में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जिम्मेदारीपूर्ण और नैतिक सक्षमता के लिए एक फ्रेमवर्क (FREE-AI)’ विकसित करने हेतु 8 सदस्यीय समिति का गठन किया है।
- इस समिति के अध्यक्ष डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य हैं।
- समिति वित्तीय सेवाओं में AI को अपनाने के वर्तमान स्तर का आकलन करने, AI से जुड़े संभावित जोखिमों की पहचान करने आदि के लिए एक फ्रेमवर्क की सिफारिश करेगी।
वित्तीय सेवाओं में AI के लाभ
- परिचालन दक्षता: AI की मदद से दोहराए जाने वाले और समय लेने वाले कार्यों को स्वचालित किया जा सकता है। इससे वित्तीय संस्थान बड़ी मात्रा में डेटा को तेजी से और सटीक रूप से प्रोसेसिंग कर सकते है, उदाहरण के लिए- ऋण आवेदन की प्रक्रिया।
- निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि: AI डेटा का विश्लेषण करके बाजार के रुझानों और संभावित जोखिमों का पूर्वानुमान लगा सकता है। इससे अधिक परिष्कृत वित्तीय निर्णय लेने में मदद मिलती है, उदाहरण के लिए- एल्गोरिदम ट्रेडिंग।
- ग्राहक संबंध: कई वित्तीय संस्थान 24/7 AI-संचालित चैटबोट और वर्चुअल असिस्टेंट को लागू करके ग्राहक इंटरैक्शन को बेहतर बनाने के लिए AI का लाभ उठा रहे हैं।
- बेहतर जोखिम प्रबंधन: धोखाधड़ी का पता लगाने की पारंपरिक प्रतिक्रियाशील पद्धति के विपरीत, धोखाधड़ी होने से पहले उसे रोकने के लिए AI का उपयोग किया जाता है।
चिंताएं
- अंतर्निहित पूर्वाग्रह: AI मॉडल उन डेटासेट्स पर आधारित होते हैं, जिनसे उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। यदि इन डेटासेट्स में पूर्वाग्रहपूर्ण या भेदभावपूर्ण पैटर्न हैं, तो AI इन पूर्वाग्रहों को पुन: उत्पन्न कर सकता है या बढ़ा सकता है जिससे वित्तीय अपवर्जन हो सकता है।।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा संबंधी नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
- अन्य: असंगत AI प्रतिक्रियाएं, साइबर हमलों का जोखिम बढ़ना आदि।