इस क्षेत्र में जारी उत्खनन के दौरान टीलों के बीच जल भंडारण क्षेत्र की खोज हुई है। इस जल भंडारण क्षेत्र की अनुमानित गहराई 3.5 से 4 फीट है, जो उस समय की उन्नत जल प्रबंधन तकनीकों को दर्शाता है।
- साथ ही, चौतांग (या दृशावती) नदी का सूखा हुआ भाग भी खोजा गया है।
हड़प्पा सभ्यता की जल प्रबंधन प्रणालियां
- विस्तृत जल निकासी प्रणाली: प्रमुख शहरों में परिष्कृत ईंटों से बनी भूमिगत नालियां पाई गई हैं। घरों से जुड़ी ये नालियां सार्वजनिक नालियों तक गंदे पानी के निकास के लिए बनाई गई थीं।
- छोटे बांध: ये गुजरात के लोथल में सिंचाई और पीने के लिए वर्षा जल को संग्रहित करने हेतु स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए थे।
- गोदीबाड़ा (Dockyard): साबरमती नदी के पास लोथल में एक पंक्तिबद्ध संरचना मिली है, जिसमें जल के प्रवेश और निकास के लिए नालिकाओं (Channels) के साक्ष्य मिले हैं।
- नालिकाएं और जलाशय: गुजरात के धोलावीरा में पत्थरों से बने जलाशय मिले हैं। इनमें वर्षा जल या पास की नदियों के पानी को संग्रहित किया जाता था।
- यह जल संरक्षण, संग्रहण और भंडारण की उन्नत हाइड्रोलिक तकनीक का उदाहरण है।
- तालाब और कुएं: मोहनजोदड़ो में, तालाबों में एकत्रित वर्षा जल को कुशल जल निकासी प्रणाली के माध्यम से प्रत्येक घर के कुओं तक पहुंचाया जाता था।
- महास्नानागार "ईंट के फर्श से बना एक बड़ा हौज (Tank) था, जो संभवतः धार्मिक कार्यों के दौरान सामूहिक स्नान के लिए बनाया गया था। यह प्राचीन जल के विशाल हौज का एक उल्लेखनीय उदाहरण है।
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