बाघों को मध्य प्रदेश के बांधवगढ़, पन्ना, कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व से स्थानांतरित किया जाएगा।
- यह एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत किया जाएगा।
- यह अब तक किसी भी राज्य से सर्वाधिक संख्या में बाघों का स्थानांतरण होगा।
- देश में बाघों की सर्वाधिक संख्या (785) मध्य प्रदेश में है, इसलिए मध्य प्रदेश इस परियोजना में योगदान दे रहा है।
अंतर्राज्यीय बाघ स्थानांतरण परियोजनाओं (ISTTPs) के बारे में
- उद्देश्य:

- बाघों को पुनः बसाना: उन क्षेत्रों में बाघों को फिर से बसाना, जो कभी उनके प्राकृतिक पर्यावास थे, लेकिन समय के साथ वहां उनकी आबादी या तो बहुत कम हो गई या वे पूरी तरह से विलुप्त हो गए।
- मौजूदा आबादी को बढ़ाना: लंबे समय तक बाघों के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए मौजूदा बाघों की संख्या में वृद्धि करना।
- पहली बाघ स्थानांतरण परियोजना 2018 में शुरू की गई थी। इसके तहत कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से दो बाघों को ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया था।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ऐसी परियोजनाओं को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बाघों को स्थानांतरित करने के लाभ
- पारिस्थितिक संतुलन: इससे बाघों की कम आबादी वाले रिजर्व में शिकारी-शिकार संतुलन को फिर से स्थापित करने में मदद मिलती है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकना: इससे बाघों की अत्यधिक आबादी वाले रिजर्व में मानव-बाघ संघर्ष को कम किया जा सकता है।
- भू-परिदृश्यों का पुनरुद्धार: इससे उन क्षेत्रों का पुनरुद्धार किया जा सकता है, जहां बाघ स्थानीय रूप से विलुप्त हो गए थे।
बाघों को स्थानांतरित करने से जुड़ी चिंताएं
- स्थानीय समुदायों का विरोध: इससे टाइगर रिजर्व के पास रहने वाले ग्रामीण लोगों को अपनी जान का खतरा महसूस हो सकता है।
- मौजूदा बाघों के साथ संघर्ष: इसके चलते नए बाघों और मौजूदा बाघों के मध्य अपने इलाकों को लेकर संघर्ष हो सकता है। इससे वे इंसानी आबादी वाले इलाकों की ओर रुख करने लगते हैं।
- अन्य: खराब वन प्रबंधन जैसे बाघ के लिए शिकार की कम उपलब्धता, आदि।