आर्थिक सर्वेक्षण भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और सरकारी नीतियों के साथ-साथ आगामी वित्त वर्ष के लिए आउटलुक का संकलन है।
- संकलनकर्ता: इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) के मार्गदर्शन में तैयार किया जाता है। इसे केंद्रीय वित्त मंत्रालय का आर्थिक कार्य विभाग तैयार करता है।
- आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 का फोकस: विनियमन के माध्यम से घरेलू संवृद्धि और लचीलापन बढ़ाना।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद: यह चालू वित्त वर्ष (2025) में अर्थव्यवस्था के मांग पक्ष से आर्थिक गतिविधि को दर्शाता है। यह आगामी वर्ष (वित्त वर्ष 2026) में 6.4% आंका गया है।
- हेडलाइन मुद्रास्फीति (समग्र मूल्य स्तर में वृद्धि की माप): कोर मुद्रास्फीति में कमी आने के कारण हेडलाइन मुद्रास्फीति में भी कमी आ रही है।
- कोर मुद्रास्फीति: खाद्य और ऊर्जा को छोड़कर वस्तुओं एवं सेवाओं में मुद्रास्फीति होती है।
- वैश्विक चुनौतियों के बीच निर्यात वृद्धि: वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों में कुल निर्यात (वस्तु + सेवा) 600 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा।
- सर्वेक्षण में व्यक्त की गई चिंताएं:
- प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक परिवेश: बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद ने वैश्विक व्यापार और निवेश को धीमा कर दिया है।
- चीन का विनिर्माण क्षेत्रक में प्रभुत्व: वैश्विक उत्पादन में चीन का योगदान एक तिहाई है, जो अगले 10 बड़े देशों के संयुक्त उत्पादन से भी अधिक है।
- भारत के सामने कई बाधाएं हैं: एक महत्वाकांक्षी अर्थव्यवस्था की बुनियादी संरचना और निवेश आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक पैमाने एवं गुणवत्ता पर क्रिटिकल गुड्स का उत्पादन करना।
सर्वेक्षण में की गई सिफारिशें
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