गर्भिणी-दृष्टि
केंद्र सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने हरियाणा के फरीदाबाद में ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI) में गर्भिणी-दृष्टि (GARBH-INi-DRISHTI) लॉन्च किया।
गर्भिणी-दृष्टि क्या है?
- यह मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य का समग्र परिदृश्य प्रदान करने वाला डेटा आधारित डैशबोर्ड है। इस मामले में यह दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा डेटा आधारित डैशबोर्ड है।
- महत्त्व: इसमें 12,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और प्रसव के बाद माताओं से एकत्र किए गए क्लीनिकल डेटा, इमेज एवं बायोस्पेसिमेन भंडारित हैं।
- यह प्लेटफॉर्म GARBH-INi कार्यक्रम के तहत तैयार किया गया है।
- GARBH-INi, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा समर्थित एक प्रमुख कार्यक्रम है।
- उद्देश्य: गर्भधारण के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों को कम करना।
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पार्वती अर्ग पक्षी अभयारण्य
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने पार्वती अर्ग रामसर साइट पर विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 (World Wetlands Day 2025) समारोह का आयोजन किया।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस के बारे में
- 1971 में ‘अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों पर रामसर कन्वेंशन’ पर हस्ताक्षर करने के उपलक्ष्य में विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है।
- 2025 की थीम: ‘हमारे साझा भविष्य के लिए आर्द्रभूमियों की रक्षा करना’ (Protecting Wetlands for our Common Future) .
- वर्ष 1982 से भारत रामसर-कन्वेंशन का पक्षकार देश है।
पार्वती अर्ग पक्षी अभयारण्य के बारे में
- अवस्थिति: तरबगंज तहसील (उत्तर प्रदेश)।
- पारिस्थितिकी-तंत्र: इस अभयारण्य में दो गोखुर झीलें (Oxbow Lake) और ताजे जल की एक स्थायी आर्द्रभूमि अवस्थित हैं।
- गोखुर झील अर्धचंद्राकार झील होती है। इसका निर्माण तब होता है, जब क्षरण और अवसादों के जमा होने से नदी विसर्प, नदी के मुख्य प्रवाह से कट जाता है। इससे एक अलग जल निकाय का निर्माण होता है। इसे ही गोखुर झील कहते हैं।
- प्राप्त जैव विविधता: क्रिटिकली एंडेंजर्ड सफेद-पुट्ठे वाले गिद्ध और भारतीय गिद्ध; एंडेंजर्ड इजिप्शियन गिद्ध, आदि।
- पारिस्थितिकी-तंत्र में भूमिका: पक्षियों के लिए बसेरा बनाने और प्रजनन हेतु अनुकूल पारिस्थितिकी-तंत्र, भूजल पुनर्भरण में योगदान आदि।
- मुख्य खतरा: आक्रामक जलकुंभी (water hyacinth) से अन्य पादपों और जीव प्रजातियों को खतरा।
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मथिकेतन शोला राष्ट्रीय उद्यान
मथिकेतन शोला राष्ट्रीय उद्यान (शोला राष्ट्रीय उद्यान) में गोल्डन-हेडेड सिस्टोला पक्षी प्रजाति मिली है। यह IUCN रेड लिस्ट में लिस्ट कंसर्न के रूप में सूचीबद्ध है।
मथिकेतन शोला राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
- अवस्थिति: इडुक्की (केरल)।
- अनूठे शोला वन और हाथी गलियारों की वजह से 2003 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
- वन प्रकार: सदाबहार वन, आर्द्र पर्णपाती वन, शोला घास के मैदान।
- शोला घास के मैदान: ये पश्चिमी घाट में अधिक ऊंचाई पर पाए जाने वाले विशिष्ट पारिस्थितिकी-तंत्र हैं। इनमें झाड़ियां और छोटे पेड़ों वाले जंगल (शोला) तथा घास के मैदान पाए जाते हैं।
- जैव विविधता: शेर-पूंछ मकैक, गौर, जंगली सूअर, सांभर हिरण, लंगूर, आदि।
- शेर-पूंछ मकैक यहां की स्थानिक (एंडेमिक) और खतरे का सामना कर रही प्रजाति है।
- मुख्य जल स्रोत: उचिलकुथी पुझा, मथिकेतन पुझा, नजंदर आदि। ये पन्नियार की सहायक नदियां हैं।
- सांस्कृतिक महत्त्व: इस राष्ट्रीय उद्यान के अदुविलनथानकुडी में मुथवन आदिवासी बस्तियां मिलती हैं।
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- शोला राष्ट्रीय उद्यान
टनेज (टन भार) कर प्रणाली
केंद्रीय बजट 2025-26 में टनेज कर प्रणाली का विस्तार किया गया है।
टनेज कर प्रणाली के बारे में
- यह योजना पहले समुद्री जहाजों के लिए उपलब्ध थी।
- अब अंतर्देशीय जलयान अधिनियम, 2021 (Inland Vessels Act, 2021) के तहत पंजीकृत अंतर्देशीय जलयानों (पोतों) के लिए भी उपलब्ध है। इस कदम का उद्देश्य जल परिवहन को बढ़ावा देना है।
- अंतर्देशीय जलयान अधिनियम, 2021 के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- सुरक्षित और वहनीय अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देना;
- जलयान के पंजीकरण, निर्माण और संचालन से जुड़ी प्रक्रियाओं एवं कानूनों में एकरूपता सुनिश्चित करना।
- कार्यान्वयन मंत्रालय: पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय।
- शुरुआत: टनेज कर प्रणाली भारतीय वित्त अधिनियम, 2004 के तहत 2004 में पेश की गई थी।
- महत्त्व:
- अधिक माल ढुलाई को बढ़ावा देना;
- शिपिंग कंपनियों को अंतर्देशीय जलमार्ग जहाजों में निवेश करने के लिए और अधिक प्रोत्साहित करेगा।
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माउंट टर्नकी
हाल ही में, न्यूजीलैंड में माउंट टर्नकी को न्यूजीलैंड में ‘लीगल पर्सन’ के रूप में मान्यता दी गई है। माउंट टर्नकी एक स्ट्रैटोवोलकैनो है।
- स्ट्रैटोवोलकैनो अधिक ऊंचा, खड़ा और शंक्वाकार ज्वालामुखी है। इसमें चिपचिपे मैग्मा और अवरुद्ध गैसों के बाहर निकलने से विध्वंसक उद्गार होता है।
माउंट टर्नकी के बारे में
- माउंट टर्नकी को ब्रिटिश कैप्टन जेम्स कुक ने माउंट एग्मोंट नाम दिया था। हालांकि, अब इसे माओरी देशज लोगों को सम्मान देने के लिए टर्नकी मौंगा (Taranaki Maunga) नाम दिया गया है।
- यह न्यूजीलैंड के एग्मोंट नेशनल पार्क में स्थित है।
- माओरी देशज लोग इसे अपना पूर्वज मानते हैं। इसलिए, उनके लिए यह पवित्र पर्वत है।
- माओरी आओटेरोआ/ न्यूजीलैंड की स्थानिक एबोरिजिनल (मूलवासी) आदिवासी और देशज नृजाति हैं।
- इससे पहले न्यूजीलैंड ने 2014 में ते उरेवेरा फॉरेस्ट (Te Urewera Forest) को “लीगल पर्सनहुड” का दर्जा प्रदान किया था। इस तरह किसी प्राकृतिक पारिस्थितिकी-तंत्र को “जीवन का अधिकार” (Living rights) देने वाला न्यूजीलैंड दुनिया का पहला देश है।
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- टर्नकी मौंगा
- आओटेरोआ
एक्स्ट्रा लॉन्ग स्टेपल कॉटन
केंद्रीय बजट 2025 में 'कपास उत्पादकता मिशन' की घोषणा की गई।
- यह 5-वर्षीय मिशन है। इसका उद्देश्य कपास की खेती की उत्पादकता और संधारणीयता को बढ़ावा देना और एक्स्ट्रा लॉन्ग स्टेपल (ELS) कॉटन की किस्मों का संवर्धन करना है।
एक्स्ट्रा लॉन्ग स्टेपल कॉटन (ELS) के बारे में
- यह एक प्रीमियम कपास किस्म है। इसके रेशे की लंबाई 34.925 मि.मी. या इससे अधिक होती है।
- लगभग 10% कपास क्षेत्र में इस किस्म की खेती की जाती है। यह किस्म वैश्विक उत्पादन में 4% का योगदान देती है।
- प्रमुख उत्पादक: संयुक्त राज्य अमेरिका, मिस्र, सूडान, भारत, पेरू, इजरायल, चीन आदि।
- प्रमुख ELS प्रकार: पिमा (संयुक्त राज्य अमेरिका), पेरू (इजरायल), गीज़ा (मिस्र), सुविन व DCH-32 (भारत), बराकात (सूडान) आदि।
- भारत में प्रमुख ELS उत्पादक राज्य: कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश आदि।
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- ELS
- कपास उत्पादकता मिशन
हूलोंगापार गिब्बन अभ्यारण
हूलोंगापार गिब्बन अभयारण्य के पारिस्थिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र के भीतर प्रस्तावित तेल अन्वेषण गतिविधियां, स्थानीय वन्य जीवों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।
हूलोंगापार गिब्बन अभयारण्य के बारे में
- अवस्थिति: यह असम के जोरहाट जिले में अवस्थित है। यह अपनी नॉन-ह्यूमन प्राइमेट विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
- वन: सदाबहार एवं अर्ध-सदाबहार वन।
- वनस्पति: वन की ऊपरी कैनोपी में हूलोंग वृक्ष (डिप्टरोकार्पस मैक्रोकार्पस) की प्रचुरता है। मध्य कैनोपी में नाहर (मेसुआ फेरिया) की बहुतायत है।
- जीव-जंतु: यहां भारत के एकमात्र गिब्बन (हूलॉक गिब्बन), और पूर्वोत्तर भारत के एकमात्र रात्रिचर प्राइमेट-बंगाल स्लो लोरिस पाए जाते हैं।
- इसे बर्ड लाइफ इंटरनेशनल द्वारा महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
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- हूलॉक गिब्बन
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वन की परिभाषा
सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक केंद्र और राज्यों को वन क्षेत्र कम करने वाला कोई भी कदम उठाने पर रोक लगा दी है।
- यह निर्णय वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में 2023 के संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के संदर्भ में लिया गया है।
- संशोधनों को इस आधार पर चुनौती दी गई कि उन्होंने लगभग 1.99 लाख वर्ग किलोमीटर वन भूमि को "वन" के दायरे से बाहर कर दिया है।
- 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को टी.एन. गोदावर्मन तिरुमलपाद बनाम भारत संघ वाद, 1996 के फैसले में निर्धारित वन की परिभाषा का पालन करने का निर्देश दिया था।
- 1996 का निर्णय स्वामित्व, मान्यता और वर्गीकरण के बावजूद, किसी भी सरकारी (संघ और राज्य) रिकॉर्ड में "वन" के रूप में दर्ज सभी क्षेत्रों को परिभाषित करता है।
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- वन की परिभाषा
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
- टी.एन. गोदावर्मन तिरुमलपाद बनाम भारत संघ वाद