भारत ने EFTA सदस्य देशों के साथ व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए ‘EFTA डेस्क’ की शुरुआत की | Current Affairs | Vision IAS
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    भारत ने EFTA सदस्य देशों के साथ व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए ‘EFTA डेस्क’ की शुरुआत की

    Posted 11 Feb 2025

    Updated 15 Sep 2025

    1 min read

    EFTA डेस्क वास्तव में यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के देशों के साथ व्यवसायों के लिए मुख्य संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करेगा। यह डेस्क बाजार की जानकारी प्रदान करेगा, समस्याओं को दूर करेगा और व्यापार के विस्तार में सहायता करेगा।

    • EFTA डेस्क ‘भारत-EFTA मुक्त व्यापार समझौते (TEPA)’ का एक प्रमुख घटक है। TEPA व्यापार समझौता भारत और EFTA के बीच 2024 में संपन्न हुआ था। 

    TEPA के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

    • पहला बाध्यकारी मुक्त व्यापार समझौता (FTA): इस समझौते के तहत अगले 15 वर्षों में 100 बिलियन डॉलर का निवेश और 1 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न करने का वादा किया गया है।
    • टैरिफ में कमी: EFTA ने 92.2% टैरिफ लाइन्स को समाप्त कर दिया है। इसका आशय है कि EFTA देशों को निर्यात की जाने वाली 92.2% वस्तुओं पर प्रशुल्क को समाप्त कर दिया गया है। इससे भारत के 99.6% निर्यात को लाभ मिलेगा। 
    • बाजार पहुंच: 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पादों को बिना अवरोध के EFTA बाजार में पहुंच प्रदान की गई है। वहीं प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों (PAP) की बाजार पहुंच में टैरिफ से जुड़ी रियायतें दी गई हैं।
    • सेवा उत्पादों की पहुंच का विस्तार: EFTA ने सेवा क्षेत्रक के व्यापार में निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान की हैं:  
      • मोड 1: सेवाओं की डिजिटल रूप में डिलीवरी।
      • मोड 3: वाणिज्यिक उपस्थिति यानी EFTA देशों में भारतीय कंपनियों को अपनी शाखाएं खोलने की अनुमति। 
      • मोड 4: EFTA देशों में सेवा क्षेत्रक से जुड़े भारतीय कामगारों को अस्थायी प्रवास की सुविधा प्रदान करना।
    • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): इस समझौते में IPR के मजबूत संरक्षण के लिए प्रावधान किए गए हैं। ये प्रावधान बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधी पहलू (TRIPS) समझौते के अनुरूप हैं।  
    • पेशेवरों को मान्यता: EFTA देशों में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंसी और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों के भारतीय पेशेवरों को मान्यता दी जाएगी।
    • वस्तु उत्पत्ति के नियम (रूल्स ऑफ़ ऑरिजिन्स) एवं व्यापार संबंधी उपाय: सुचारू व्यापार सुनिश्चित करने और घरेलू उत्पादकों के हितों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं।
      • ‘रूल्स ऑफ़ ऑरिजिन्स’ के तहत समझौते में शामिल देशों के मूल उत्पादों को ही इस समझौते का लाभ मिलेगा। 
      • व्यापार संबंधी उपायों (Trade Remedies) के तहत आयात से घरेलू उत्पादकों को संरक्षण प्रदान करने के लिए कदम उठाए जाएंगे।  

    TEPA से जुड़ी चुनौतियां

    • बौद्धिक संपदा अधिकार पर कठोर नियमों की वजह से भारत के जेनेरिक दवा उद्योग को नुकसान पहुंच सकता है।
    • भारत और EFTA देशों के बीच व्यापार असंतुलन की स्थिति है। स्विट्जरलैंड से सोने का अधिक आयात इसकी एक बड़ी वजह है। ऐसे में भारत सरकार को इस समझौते के कार्यान्वयन पर कड़ी निगरानी रखनी होगी। 
    • गौरतलब है कि 16 वर्षों की लंबी वार्ता के बाद यह मुक्त व्यापार समझौता संपन्न हुआ है। इससे जाहिर होता है कि दोनों पक्षों के बीच मतभेद अधिक रहे हैं। भविष्य में ये मतभेद चुनौती पेश कर सकते हैं।  

    यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के बारे में

    • EFTA का गठन 1960 में हुआ था। यह आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड का अंतर-सरकारी संगठन है।
    • इसका उद्देश्य मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।
    • EFTA देशों में स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार देश है। इसके बाद नॉर्वे का स्थान है।
    • Tags :
    • IPR
    • EFTA डेस्क
    • बाध्यकारी मुक्त व्यापार समझौता
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