रक्षा मंत्री ने बेंगलुरु में 'एयरो इंडिया' कॉन्क्लेव की घोषणा की है। इस घोषणा के दौरान उन्होंने बताया कि पिछले दशक में रक्षा निर्यात में 30 गुना वृद्धि हुई है (इन्फोग्राफिक देखें)।
- एयरो इंडिया एशिया का सबसे बड़ा एयर शो है।
- वर्तमान कॉन्क्लेव का विषय है- 'ब्रिज/ BRIDGE (बिल्डिंग रेसिलियंस थ्रू इंटरनेशनल डिफेंस एंड ग्लोबल इंगेजमेंट)'।
भारत के लिए रक्षा के स्वदेशीकरण का महत्त्व

- संप्रभु सैन्य क्षमता में वृद्धि: घरेलू उत्पादन भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका के CAATSA जैसे वैश्विक प्रतिबंधों से बचने में सक्षम बनाता है। साथ ही, देश की महत्वपूर्ण मिसाइलों और उपकरणों को सुरक्षित बनाए रखता है।
- आधुनिक युद्ध के लिए तैयारी: उदाहरण के लिए, देश में एडवांस तकनीक के विकास के लिए एसिंग डेवलपमेंट ऑफ इनोवेटिव टेक्नॉलजीस विद iDEX (ADITI) योजना शुरू की गई है। इस योजना का उद्देश्य प्रस्तावित समय-सीमा में लगभग 30 महत्वपूर्ण डीप-टेक और रणनीतिक प्रौद्योगिकियों को विकसित करना है। ज्ञातव्य है कि भारत में ऐसी प्रौद्योगिकियों का अभाव है।
- भारत एक समग्र सुरक्षा प्रदाता के रूप में: उदाहरण के लिए- ब्रह्मोस मिसाइल का फिलीपींस को निर्यात किया गया है। इससे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सामरिक उपस्थिति बढ़ी है।
- आर्थिक संवृद्धि: इससे रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, नवाचार को बढ़ावा मिलता है और निवेश आकर्षित होता है।
रक्षा क्षेत्रक के स्वदेशीकरण के लिए शुरू की गई पहलें
- नीतियां और योजनाएं: रक्षा उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति, ‘मेक इन इंडिया’, ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ की अधिसूचना, रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) आदि।
- वैश्विक सहयोग: FDI सीमा में वृद्धि की गई है। स्वचालित मार्ग से 74% तथा सरकारी मार्ग से 100% FDI की अनुमति दी गई है। इसके परिणामस्वरूप, आधुनिक प्रौद्योगिकी तक पहुंच की संभावना है आदि।
- अन्य: आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण किया गया है, रक्षा औद्योगिक गलियारे बनाए जा रहे हैं, सृजन (SRIJAN) पोर्टल लॉन्च किया गया है इत्यादि।