हिंद महासागर सम्मेलन की शुरुआत इंडिया फाउंडेशन ने 2016 में सिंगापुर में 30 देशों की भागीदारी के साथ की थी।
- यह सम्मेलन हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के देशों के लिए क्षेत्रीय मामलों पर एक प्रमुख सलाहकार मंच के रूप में उभरा है। यह क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (SAGAR) के लिए क्षेत्रीय सहयोग पर विचार-विमर्श करता है।
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की भूमिका
- प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता की भूमिका: भारत श्रीलंका जैसी तनावग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं को स्थिर करने में मदद करता है। दवाओं, टीकों, ईंधन और उर्वरकों जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के माध्यम से आपदाओं एवं संघर्षों के दौरान तुरंत सहायता प्रदान करता है।
- कनेक्टिविटी पहल: भारत कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (IMTT) और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) जैसी प्रमुख क्षेत्रीय परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहा है।
- बहुपक्षीय सहयोग को प्रोत्साहित करना: क्वाड, सिंगापुर में ReCAAP केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संलयन केंद्र, व्हाइट शिपिंग एग्रीमेंट्स आदि के माध्यम से समुद्री सुरक्षा और आपदा प्रबंधन सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- समुद्री तैनाती: उत्तरी अरब सागर और अदन की खाड़ी में की जा रही है।
- संस्था-निर्माण: इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA), हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (IONS), कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव आदि में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत के लिए IOR का महत्त्व:
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