भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भारत के विप्रेषण (रेमिटेंस) के बदलते रुझान पर प्रकाश डाला | Current Affairs | Vision IAS
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भारत के विप्रेषण (रेमिटेंस) के बदलते रुझान पर प्रकाश डाला

Posted 20 Mar 2025

8 min read

इसके लिए RBI ने 2023-24 के ‘भारत के विप्रेषण सर्वेक्षण के छठे दौर’ के डेटा का उपयोग किया है।

  • जब प्रवासी अपने परिवारों की सहायता के लिए अपनी आय का कुछ हिस्सा नकदी या सामान के रूप में अपने मूल देश (घर) भेजते हैं, तो इसे विप्रेषण कहा जाता है।
  • RBI ने यह भी बताया कि विदेशों में रहने वाले भारतीय प्रवासियों की संख्या 1990 की 6.6 मिलियन से तिगुनी बढ़कर 2024 में 18.5 मिलियन हो गई है।

RBI के मुख्य पर्यवेक्षणों पर एक नजर:

  • स्थिति: विश्व बैंक के अनुसार, भारत 2008 से लेकर अब तक लगातार वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक विप्रेषण प्राप्त करने वाला देश रहा है।
    •  2010-11 में भारत ने 55.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विप्रेषण प्राप्त किया था, जो 2023-24 में दोगुना होकर 118.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था।
      • भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में विप्रेषण का हिस्सा वर्ष 2000 से लगभग 3% बना हुआ है।
  • विप्रेषण के स्रोत देश: भारत आने वाले विप्रेषण में उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी बढ़ी है। अब उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की हिस्सेदारी खाड़ी अर्थव्यवस्थाओं (जैसे संयुक्त अरब अमीरात) की तुलना में अधिक हो गई है। इस बदलाव का कारण यह है कि अब ज्यादा भारतीय प्रवासी उच्चतर शिक्षा और कुशल नौकरियों के लिए विकसित देशों की ओर जा रहे हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका (सबसे बड़ा योगदानकर्ता) और यूनाइटेड किंगडम से आने वाला विप्रेषण लगभग दोगुना होकर कुल विप्रेषण का 40% हो गया है।
  • राज्यवार वितरण: महाराष्ट्र सबसे अधिक विप्रेषण प्राप्त करने वाला राज्य बना हुआ है। इसके बाद केरल और तमिलनाडु का स्थान है।
  • विप्रेषण की लागत में कमी: भारत में विप्रेषण भेजने की लागत वैश्विक औसत से कम है, जिसका मुख्य कारण डिजिटल लेन-देन का बढ़ता उपयोग है।
  • Tags :
  • विप्रेषण
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