समिति के अनुसार, उर्वरक विभाग ने 2025-26 में अपनी विविध योजनाओं के लिए लगभग 1.84 लाख करोड़ रुपये की मांग की थी, परन्तु इसके बावजूद वित्त मंत्रालय ने इस आवंटन में लगभग 7% की कटौती की।
- यह कटौती पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना और यूरिया सब्सिडी योजना दोनों में की गई है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- उर्वरक सुरक्षा को मजबूत करना: भू-राजनीतिक तनाव और कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण आवश्यक उर्वरकों की कमी हो रही है, जैसे DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट)।
- तकनीकी प्रगति और खनन: फॉस्फेट और पोटाश जैसे जरूरी कच्चे माल के लिए खनन पट्टे सुरक्षित करने संबंधी पहल नहीं की गई है।
- NPKS (नाइट्रोजन-फास्फोरस-पोटेशियम-सल्फर) उर्वरकों के ग्रेड में संशोधन: सभी जगह मिट्टी की जरूरत के अनुसार सही ग्रेड के उर्वरक उपलब्ध नहीं हैं। इससे किसानों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है।
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): DBT प्रणाली में वास्तविक लाभार्थियों की पहचान के लिए कोई तंत्र नहीं है, जिससे दुरुपयोग हो रहा है।
- नैनो उर्वरक: नैनो यूरिया व नैनो DAP फसल उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इन पर अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।
सिफारिशें
- आपूर्ति अनुपालन और संतुलित वितरण: आपूर्ति से जुड़े नियमों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। साथ ही, मृदा की आवश्यकताओं के आधार पर संतुलित उर्वरक वितरण को प्राथमिकता देने का प्रयास करना चाहिए।
- उर्वरक संकट प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (FCEWS): उर्वरक की संभावित कमी का अनुमान लगाने और रणनीतिक भंडार बनाए रखने के लिए FCEWS की स्थापना की जानी चाहिए।
- पात्र किसानों की पहचान के लिए आधार/ AADHAAR को किसान रजिस्ट्री से जोड़ा जाना चाहिए। इससे जोत के आकार के अनुसार उर्वरक खरीद की सीमा तय करने में मदद मिलेगी।
- मृदा स्वास्थ्य और फसल उत्पादन में सुधार के लिए यूरिया गोल्ड के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही, पारंपरिक यूरिया पर निर्भरता कम करने के प्रयास करने चाहिए।
पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) नीति
यूरिया सब्सिडी योजना
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