ट्रांसजेनिक से तात्पर्य ऐसे जीव या कोशिका से है, जिसके जीनोम को किसी अन्य प्रजाति से लिए गए एक या अधिक DNA अनुक्रमों के उस जीनोम में प्रवेश द्वारा उसे बदल दिया गया है। जीनोम वस्तुतः कोशिका में पाए जाने वाले DNA निर्देशों का संपूर्ण सेट होता है।

ट्रांसजेनिक जीवों के बारे में
- अवधारणा: ट्रांसजेनिक जीव वे होते हैं, जो अपनी प्रजाति के प्राकृतिक गुणों की बजाय नए गुण या प्रोटीन निर्माण को प्रदर्शित करते हैं। 'ट्रांस' का अर्थ है 'एक से दूसरे तक' और 'जेनेटिक' का अर्थ है 'जीन'।
- ट्रांसजेनिक चूहा: ट्रांसजेनिक चूहे को जैविक प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए एक प्रमुख मॉडल के रूप में उपयोग किया जाता है। ऐसा इस कारण, क्योंकि इसकी फिजियोलॉजिकल, एनाटॉमिकल और जीनोमिक संरचनाएं मानव से मिलती-जुलती हैं।
- इसके उद्देश्य एवं उपयोग
- सामान्य शारीरिक प्रक्रियाओं (फिजियोलॉजिकल) को समझना: उदाहरण के लिए- चयापचय और रक्त कोशिका उत्पादन का अध्ययन करने के लिए ट्रांसजेनिक चूहों का उपयोग किया जाता है।
- मानव रोगों का मॉडल बनाना: उदाहरण के लिए- अल्जाइमर जैसे मानव रोगों का मॉडल बनाने के लिए ट्रांसजेनिक सूअरों का उपयोग किया जाता है।
- नये उपचारों का विकास करना: उदाहरण के लिए- ट्रांसजेनिक जेब्राफिश के कारण दवा के परीक्षण और उपचार के विकास में तेजी आई है।
- थेराप्यूटिक प्रोटीन का उत्पादन: ह्यूमन एंटीथ्रोम्बिन (रक्त का थक्का बनाने वाला प्रोटीन) का उत्पादन करने के लिए ट्रांसजेनिक बकरियों का विकास किया गया है।
- रोग प्रतिरोधी फसलें: उदाहरण के लिए- Bt कॉटन आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल है, जो बॉलवर्म के खिलाफ प्रतिरोधी है।
- चुनौतियां
- नैतिक चिंताएं: इसमें पशु पर अत्याचार से संबंधित पक्ष तथा आनुवंशिक संशोधन के कारण अनपेक्षित परिणाम आना शामिल है।
- पर्यावरणीय जोखिम: ट्रांसजेनिक जीवों का पारिस्थितिकी-तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।
- इससे संबंधित भारत में विनियमन: पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत 'नियम, 1989'; जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) आदि।