शून्य काल (Zero Hour)
3 अप्रैल, 2025 को लोक सभा में एक नया कीर्तिमान बना। विस्तारित शून्यकाल के दौरान 5 घंटे के अधिक समय में 202 सांसदों ने अपने क्षेत्र और लोक महत्त्व के मुद्दे उठाए।
शून्य काल के बारे में
- यह प्रश्नकाल और दस्तावेज प्रस्तुत करने के तुरंत बाद तथा किसी सूचीबद्ध विषय पर बहस शुरू होने से पहले की अवधि होती है।
- समय: यह दोपहर 12 बजे के आसपास शुरू होता है। इसी वजह से इसे शून्य काल कहा जाता है।
- संसदीय प्रक्रिया में इस काल को औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी गई है।
- मामले उठाने की प्रक्रिया: संसद सदस्यों को उस विषय का उल्लेख करते हुए नोटिस प्रस्तुत करना चाहिए, जिसे वे उठाना चाहते हैं।
- लोक सभा अध्यक्ष या सभापति यह तय करते हैं कि किसी मामले को उठाने की अनुमति दी जाए या नहीं।
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बाकू टू बेलेम रोडमैप
भारत ने ब्रिक्स देशों से 2035 तक जलवायु वित्त-पोषण के लिए प्रति वर्ष 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने हेतु ‘बाकू टू बेलेम रोडमैप’ पर एकजुट होने की अपील की है। भारत के अनुसार इससे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
‘बाकू टू बेलेम रोडमैप’ के बारे में
- अजरबैजान के बाकू में आयोजित ‘जलवायु परिवर्तन कन्वेंशन पर पक्षकारों के 29वें सम्मेलन (UNFCCC COP-29)’ में इस नए वैश्विक वित्त-पोषण लक्ष्य और फ्रेमवर्क पर सहमति बनी थी। इसका उद्देश्य ब्राजील के बेलेम में आयोजित होने वाले आगामी COP-30 तक जलवायु वित्त-पोषण के लक्ष्य को बढ़ाना है।
- इस रोडमैप का उद्देश्य विकासशील देशों को कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाले और जलवायु-परिवर्तन-अनुकूल विकास पथ अपनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इससे ये देश अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs)’ लक्ष्यों को प्रभावी रूप से लागू कर सकेंगे।
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समुद्री सिवार (Seaweed)
भारत में सीवीड (समुद्री सिवार) फार्मिंग का बाजार वर्तमान में 200 करोड़ रूपये का है। साथ ही, अगले दशक में इसके बढ़कर 3,277 करोड़ रुपये हो जाने की संभावना है।
सीवीड क्या है?
- यह प्रचुर पोषक तत्वों वाली समुद्री वनस्पति है। यह महासागरों और समुद्रों में पाई जाती है।
- इसमें 54 सूक्ष्म पोषक तत्व और आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो कैंसर, मधुमेह, गठिया, हृदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से लड़ने में सहायक हैं।
- सीवीड से बने प्रमुख उत्पाद
- एल्जिनेट (Alginate): यह ब्राउन सीवीड से प्राप्त नेचुरल थिकनर (गाढ़ा करने वाला) है। इसका उपयोग खाद्य, कॉस्मेटिक्स और दवाइयों में किया जाता है।
- अगर (Agar): यह रेड सीवीड से प्राप्त जेली-जैसा पदार्थ है। इसका उपयोग डेजर्ट, जैम और लैब कल्चर में किया जाता है।
- कैरेजेनन (Carrageenan): यह भी रेड सीवीड से प्राप्त जेलिंग एजेंट है। इसका डेयरी और प्रोसेस्ड फूड में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
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पोप्स पिट वाइपर (Pope’s Pit Viper)
एक नवीन शोध में पोप्स पिट वाइपर के विष के असर करने के तरीके को उजागर किया गया है।
- यह शोध सांप के जहर की विषाक्तता (Toxicity), नई दवाइयों के विकास और असरदार एंटीवेनम के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
- यह शोध इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों (Snakebite mortality) की संख्या को 50% तक कम करने का लक्ष्य रखा है।
पोप्स पिट वाइपर के बारे में
- इसका वैज्ञानिक नाम ट्राइमेरेसुरस पोपेओरम (Trimeresurus popeiorum) है।
- पर्यावास: उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्वतीय वन, बांस के वन, पर्वतीय झाड़ियां तथा दलदली क्षेत्र।
- प्राप्ति क्षेत्र: यह सर्प प्रजाति भारत, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस और मलेशिया में पाई जाती है।
- भारत में यह उत्तरी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों की मूल (नेटिव) प्रजाति है।
- IUCN रेड लिस्ट श्रेणी: लीस्ट कंसर्न।
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पोषण (POSHAN) ट्रैकर
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoWCD) ने घोषणा की है कि भारत के सभी आंगनवाड़ी केंद्र अब पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन पर पंजीकृत हो चुके हैं।
पोषण ट्रैकर के बारे में
- यह मोबाइल-आधारित एप्लिकेशन है। यह उपस्थिति, पोषण वृद्धि की निगरानी और पोषण सेवाओं की रियल-टाइम ट्रैकिंग में सहायता करता है।
- यह कागजी रिकॉर्ड की जगह स्वचालित (auto-generated) मासिक रिपोर्ट तैयार करता है।
- यह ऐप 24 भाषाओं में उपलब्ध है। इसे पोषण सेवा वितरण में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से विकसित किया गया है।
- यह मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 योजना का हिस्सा है।
- पोषण 2.0 योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इस योजना में ‘आंगनबाड़ी सेवाएं’, ‘पोषण अभियान’ और ‘किशोरियों (14-18 वर्ष) की योजना’ एकीकृत की गई है।
- इसका उद्देश्य पूरे देश में कुपोषण से निपटना है।
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- पोषण ट्रैकर
- सक्षम आंगनवाड़ी
राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR)
राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR) अपना 25वां स्थापना दिवस मना रहा है।
NCPOR के बारे में
- इसका मुख्यालय गोवा में स्थित है। इसकी स्थापना 1998 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (पूर्व में महासागर विकास विभाग) के तहत की गई थी। इसे एक स्वायत्त अनुसंधान और विकास संस्थान के रूप में स्थापित किया गया है।
- यह भारत का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्थान है, जो ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में देश की अनुसंधान गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है।
- यह भारत के अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र "मैत्री" और "भारती", तथा आर्कटिक अनुसंधान केंद्र "हिमाद्री" का संचालन करता है।
- मंत्रालय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय।
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- राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र
- अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र
- आर्कटिक अनुसंधान केंद्र
चपाटा मिर्च
तेलंगाना की वारंगल चपाटा मिर्च या टमाटर मिर्च को GI (भौगोलिक संकेतक) टैग दिया गया है।
चपाटा मिर्च (टमाटर मिर्च) के बारे में
- अनूठी विशेषताएं:
- इसका गहरा लाल रंग होता है और आकार गोल होता है। इस कारण यह टमाटर जैसी दिखाई देती है।
- यह ज्यादा तीखी नहीं होती, लेकिन इसमें गंध और स्वाद बहुत अधिक होता है, क्योंकि इसमें कैप्सिकम ओलियोरेसिन नामक तत्व पाया जाता है।
- यह मुख्यतः तीन प्रकार की होती है:
- सिंगल पत्ती;
- डबल पत्ती; तथा
- ओडालू।
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त्रिपिटक
थाईलैंड के प्रधान मंत्री ने अपनी भारत यात्रा के दौरान भारतीय प्रधान मंत्री को पाली भाषा में 'त्रिपिटक' की एक प्रति उपहार स्वरूप भेंट की।
त्रिपिटक के बारे में
- त्रिपिटिक (टोकरी) बौद्ध धर्म के प्रमुख तीन ग्रंथों का संग्रह है। ये ग्रंथ मुख्यतः पाली भाषा में है, तथा थेरवाद बौद्ध धर्म का प्रमुख आधार हैं। इन ग्रंथों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- विनय पिटक: इसमें बौद्ध संघ में शामिल होने वालों के लिए नियम और कानून सम्मिलित है।
- सुत्त पिटक: इसमें बुद्ध के उपदेश और शिक्षाएं शामिल है।
- अभिधम्म पिटक: इसमें दार्शनिक विषयों पर गहन विचार किया गया है और वास्तविकता की प्रकृति पर गहरी समझ दी गई है।
- थेरवाद बौद्ध धर्म: यह बौद्ध धर्म का प्राचीन पंथ है। इसके अनुयायी स्वयं को "थेरवादिन" कहते हैं, यानी वे जो पुराने और सम्मानित उपदेशकों (थेरों) के मार्ग का पालन करते हैं।
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- अभिधम्म पिटक
- थेरवाद बौद्ध धर्म
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