सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसले सोमनाथ बनाम महाराष्ट्र राज्य (2023) का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया कि सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को गिरफ्तारी और हिरासत प्रक्रियाओं के दौरान संवैधानिक एवं वैधानिक सुरक्षा मानकों का पालन करना चाहिए।
- सोमनाथ मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने डी.के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1997) के मामले में दिए गए निर्देशों और सिद्धांतों को दोहराया था।
डी.के. बसु मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
- सही पहचान: गिरफ्तारी करने वाले अधिकारियों को अपने पदनाम सहित स्पष्ट पहचान और नाम संबंधी बैज धारण करना अनिवार्य है।
- अनिवार्य ज्ञापन: गिरफ्तारी के समय एक ज्ञापन तैयार किया जाना अनिवार्य है। इसमें गिरफ्तारी का समय और तारीख उल्लेखित होने चाहिए, जो कम-से-कम एक गवाह द्वारा सत्यापित एवं गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित हो।
- किसी रिश्तेदार/ मित्र को सूचित करना: व्यक्ति की गिरफ्तारी के बारे में यथाशीघ्र किसी एक मित्र/ रिश्तेदार को सूचित करना होगा।
- निरीक्षण ज्ञापन: गिरफ्तार व्यक्ति की गिरफ्तारी के समय जांच की जानी चाहिए और किसी भी चोट को निरीक्षण ज्ञापन में दर्ज किया जाना चाहिए।
- चिकित्सा परीक्षण: हिरासत के दौरान हर 48 घंटे में गिरफ्तार व्यक्ति का चिकित्सा परीक्षण किया जाना चाहिए।
- वकील का अधिकार: पूछताछ के दौरान गिरफ्तार व्यक्ति को अपने वकील से मिलने की अनुमति दी जा सकती है।
गिरफ्तार व्यक्तियों के लिए उपलब्ध सुरक्षा उपाय
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