यह मामला 'सिंगमपट्टी ज़मीन वन भूमियों’ पर अतिक्रमण से जुड़ा है, जिसे चाय, कॉफी और रबड़ जैसी बागानी खेती के लिए साफ़ किया गया था।
- इस भूमि को 1978 में कलक्कड़-मुंडनतुरै आरक्षित वन क्षेत्र, 2007 में कोर क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट तथा 2012 में वन्यजीव अभयारण्य और टाइगर रिजर्व का हिस्सा घोषित किया गया था। इस वजह से चाय बागानों के श्रमिकों को भूमि से बेदखल कर दिया गया।
ए. जॉन कैनेडी बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- "वन पारिस्थितिकी-तंत्र के फेफड़े हैं": इनकी कटाई जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर सीधा प्रभाव डालती है।
- पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, भारत में लगभग 13,000 वर्ग किलोमीटर वन भूमि अतिक्रमण के अधीन है।
- पारिस्थितिकी-तंत्र संतुलन के लिए बाघों की आबादी महत्वपूर्ण है: न्यायालय ने टी.एन. गोदावर्मन मामले का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया कि "बाघ वन के बिना नष्ट हो जाएंगे, और वन अपने बाघों के बिना नष्ट हो जाएंगे।"
- न्यायालय ने तेलंगाना राज्य बनाम मोहम्मद अब्दुल कासिम (2024) मामले में अपनाए गए "मानव केंद्रित दृष्टिकोण से ऊपर पारिस्थितिकी केंद्रित दृष्टिकोण" का समर्थन किया।
अगस्त्यमलाई भू-परिदृश्य के बारे में
- इसमें पेरियार टाइगर रिजर्व, श्रीविल्लीपुथुर ग्रिजल्ड स्क्वरल वन्य जीव अभ्यारण्य तथा मेघमलाई और तिरुनेलवेली वन्य जीव अभ्यारण्य शामिल हैं।
- तामिरबरणी नदी सहित 14 नदियां इस भूभाग से होकर बहती हैं।
- अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिजर्व यूनेस्को के मानव और बायोस्फीयर (MAB) कार्यक्रम के तहत बायोस्फीयर रिजर्व के विश्व नेटवर्क में शामिल है।
- यह तमिलनाडु और केरल में दक्षिणी पश्चिमी घाट में स्थित है।
- रिजर्व में 3 वन्यजीव अभयारण्य जैसे- शेंदुर्नी, पेप्पारा और नेय्यर (केरल) तथा कलक्कड़ टाइगर रिज़र्व या कलक्कड़-मुंडनतुरै टाइगर रिज़र्व (तमिलनाडु) शामिल हैं।
