संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने महासागरों के संरक्षण को ‘स्वस्थ पर्यावरण के मानवाधिकार’ से जोड़ने वाला एक संकल्प अपनाया | Current Affairs | Vision IAS
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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने महासागरों के संरक्षण को ‘स्वस्थ पर्यावरण के मानवाधिकार’ से जोड़ने वाला एक संकल्प अपनाया

Posted 07 Apr 2025

13 min read

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने पहली बार एक ऐसा संकल्प अपनाया है, जिसमें ‘प्लास्टिक प्रदूषण और महासागरों के संरक्षण’ तथा ‘स्वच्छ, स्वस्थ एवं संधारणीय पर्यावरण के अधिकार’ के बीच महत्वपूर्ण संबंध को मान्यता दी गई है।

संकल्प के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर

  • राष्ट्रों की मानवाधिकारों की सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारियों में समुद्री पारिस्थितिकी-तंत्र का संरक्षण भी शामिल है।
  • समुद्री पारिस्थितिकी-तंत्र के नुकसान से मानव अस्तित्व को खतरा है। साथ ही, इससे असमानताएं बढ़ती हैं तथा उपेक्षित व वंचित समुदायों को अधिक खतरे का सामना करना पड़ता है।
  • 600 से अधिक समझौतों के बावजूद, समुद्री पारिस्थितिकी-तंत्र को जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक मत्स्यन, संसाधनों के अत्यधिक दोहन, प्रदूषण एवं गहरे समुद्र में खनन जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

मानवाधिकार और महासागरों के संरक्षण के बीच अंतर्संबंध

  • भोजन का अधिकार: स्वस्थ महासागर मात्स्यिकी उद्योग के माध्यम से, करोड़ों लोगों को उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए- प्रवाल भित्तियां (कोरल रीफ्स) 50 करोड़ लोगों को भोजन प्रदान करती हैं।
  • आजीविका का अधिकार: लगभग 2.4 अरब लोग समुद्र तटों से 100 किलोमीटर की दूरी के भीतर रहते हैं। इनमें से बड़े आबादी समूह की आजीविका मत्स्यन, पर्यटन और मैंग्रोव जैसे पारिस्थितिकी-तंत्र पर निर्भर करती है।
  • स्वस्थ पर्यावरण में रहने का अधिकार: इस रूप में महासागर निम्नलिखित भूमिका निभाते हैं:
    • पृथ्वी की जलवायु को संतुलित रखते हैं; 
    • वायु और जल को शुद्ध रखते हैं, 
    • पोषक तत्वों की रीसाइक्लिंग करते हैं, और 
    • प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करते हैं।
  • भावी पीढ़ियों के अधिकार: कार्बन सिंक की भूमिका निभाते हुए महासागर, भविष्य की पीढ़ियों के लिए संतुलित जलवायु सुनिश्चित करते हैं।

भारत में पर्यावरण से संबंधित संवैधानिक और कानूनी फ्रेमवर्क

  • संविधान का अनुच्छेद 51A(g): प्रत्येक नागरिक का यह मूल कर्तव्य है कि वह प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी एवं वन्यजीव आते हैं, की रक्षा और संवर्धन करें तथा प्राणि-मात्र के लिए दया भाव रखें।
  • एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ वाद (1986): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 21 के तहत प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार (राइट टू लाइफ) में ‘स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार’ भी शामिल किया था।
  • एम. के. रंजीतसिंह बनाम भारत संघ वाद (2024): इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में कदम उठाया था।
  • Tags :
  • UNHRC
  • अनुच्छेद 51A(g)
  • एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ वाद (1986)
  • स्वस्थ पर्यावरण में रहने का अधिकार
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