यह रिपोर्ट जनसंख्या, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक भागीदारी और निर्णय लेने जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारत में लैंगिक स्थिति का व्यापक अवलोकन प्रदान करती है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- जन्म के समय लिंगानुपात: 2014-16 और 2018-20 के बीच, शहरी क्षेत्रों में लिंगानुपात (910) ग्रामीण क्षेत्रों (907) से अधिक हो गया था। यह शहरी क्षेत्रों की ओर महिला प्रवासन में वृद्धि को दर्शाता है।
- स्वास्थ्य: मातृ मृत्यु दर (MMR) 2015-17 में 122 से घटकर 2018-20 में 97 हो गई थी।
- शिक्षा: 2017 में पुरुष साक्षरता दर 84.7% और महिला साक्षरता दर 70.3% थी। केरल में सबसे कम लैंगिक साक्षरता अंतराल है, जबकि राजस्थान में सबसे अधिक है।
- आर्थिक भागीदारी: महिला श्रम बल भागीदारी दर (LFPR ) 2017-18 की 23.3% से बढ़कर 2023-24 में 41.7% हो गई।
- वित्तीय समावेशन: सभी बैंक खातों में 39.2% महिलाओं के बैंक खाते हैं और वे कुल जमा में 39.7% का योगदान देती हैं।
- लीडरशिप की भूमिकाएं: वित्त वर्ष 2025 में महिलाओं की निदेशक मंडल में 28.7% हिस्सेदारी हो गई है, जो वित्त वर्ष 2020 में 26.7% थी।
- राजनीतिक भागीदारी: महिला मतदान पिछले कुछ वर्षों में अलग-अलग रहा है। 2019 में यह 67.2% था, लेकिन 2024 में कुछ कम होकर 65.8% हो गया।
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा: भारत में 18-49 आयु वर्ग की लगभग एक-तिहाई (31.9%) विवाहित महिलाएं वैवाहिक हिंसा से पीड़ित होती हैं। कर्नाटक (48.4%), बिहार (42.5%) और मणिपुर (41.6%) में वैवाहिक हिंसा के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।