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अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union: IPU) | Current Affairs | Vision IAS
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Posted 07 Apr 2025

34 min read

अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union: IPU)

लोक सभा अध्यक्ष ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में आयोजित 150वें अंतर-संसदीय संघ (IPU) शिखर सम्मेलन में भाग लिया। 

अंतर-संसदीय संघ (IPU) के बारे में

  • स्थापना: IPU की स्थापना 1889 में सांसदों के एक लघु समूह के रूप में हुई थी।
  • उद्देश्य: 
    • संसदीय कूटनीति को बढ़ावा देना, तथा
    • विश्व स्तर पर शांति, लोकतंत्र और सतत विकास को प्रोत्साहित करने के लिए संसदों एवं सांसदों को सशक्त बनाना।
  • इसमें महिला सांसदों का मंच (Forum of Women Parliamentarians) भी शामिल है। इसने पिछले 40 वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय निर्णयन प्रक्रियाओं में महिलाओं को योगदान देने के लिए एक विशिष्ट वैश्विक मंच प्रदान किया है।
  • सदस्य: इसके 182 सदस्य देश हैं। बेलीज़ सबसे नया सदस्य है। इसके 15 एसोसिएट सदस्य हैं।
    • भारत भी IPU का सदस्य देश है।
    • मुख्यालय: जिनेवा (स्विट्जरलैंड)।
  • Tags :
  • अंतर-संसदीय संघ

अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन और रिपोर्टिंग मानक

भारत को 2025–2027 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र-अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन और रिपोर्टिंग मानकों पर विशेषज्ञों के अंतर-सरकारी कार्यदल (ISAR) में निर्विरोध चुना गया। 

ISAR के बारे में

  • ISAR एक स्थायी अंतर-सरकारी कार्यदल है। इसका उद्देश्य सदस्य देशों को वित्तीय रिपोर्टिंग और गैर-वित्तीय डिस्क्लोजर की गुणवत्ता में सुधार करने तथा उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने में सहायता करना है।
    • इनमें पर्यावरणीय मुद्दे, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) जैसे पहलू शामिल होते हैं।
  • ISAR का प्रत्येक वर्ष जिनेवा में सत्र आयोजित होता है। इसमें कंपनियों के लेखांकन और रिपोर्टिंग से जुड़े नए मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
  • सदस्य: ISAR में 34 औपचारिक सदस्य होते हैं। ये तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं।
    • इन सदस्यों में शामिल हैं: अफ्रीकी देश, 7 एशियाई देश, लैटिन अमेरिकी देश, पूर्वी यूरोपीय देश तथा पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देश।
  • Tags :
  • संयुक्त राष्ट्र
  • CSR
  • ISAR

प्रोफेशनल टैक्स

फूड और ग्रॉसरी डिलीवरी कंपनी स्विगी (Swiggy) को पुणे प्रोफेशनल टैक्स विभाग द्वारा 7.6 करोड़ रुपये का नोटिस प्राप्त हुआ है।

प्रोफेशनल टैक्स के बारे में

  • प्रोफेशनल टैक्स भारतीय संविधान के अनुच्छेद 276 के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है। यह अनुच्छेद राज्य सरकारों को व्यवसाय, व्यापार और रोजगार पर कर लगाने का अधिकार देता है।
  • यह कर कर्मचारियों, पेशेवरों, व्यापारियों और व्यक्तिगत लोगों द्वारा अर्जित आय पर लगाया जाता है।
  • प्रोफेशनल टैक्स आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कटौती योग्य (deductible) है, अर्थात इसका आयकर गणना में छूट के रूप में दावा किया जा सकता है।
  • Tags :
  • प्रोफेशनल टैक्स
  • टैक्स

दुर्लभ भू-तत्व (Rare Earth Elements:REE)

मध्य कज़ाखस्तान के कारागांडा क्षेत्र में दुर्लभ भू-तत्वों (Rare Earth Elements) का सबसे बड़ा भंडार खोजा गया है।

दुर्लभ भू-तत्वों (REEs) के बारे में

  • परिभाषा: दुर्लभ भू-तत्वों में 17 तत्व शामिल होते हैं। इनमें 15 लैंथेनाइड तत्व तथा स्कैण्डियम (Scandium) और यट्रियम (Yttrium) शामिल हैं।
  • ये तत्व लोहित-धूसर रंग से लेकर चांदी जैसे चमकीले होते हैं और सामान्यतः नरम, आकार बदलने योग्य (malleable), लचीले (ductile) तथा रासायनिक रूप से अभिक्रियाशील होते हैं।
  • प्रमुख उपयोग:
    • इलेक्ट्रॉनिक और संचार उपकरणों में,
    • इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों में,
    • फ्लैट-स्क्रीन मॉनिटर और टेलीविजन में,
    • रक्षा क्षेत्रक में आदि। 
  • भारत की स्थिति: भारत, दुर्लभ भू-तत्व संसाधन भंडार के मामले में विश्व में पांचवें स्थान पर है।
  • हालांकि इनके भंडार अक्सर रेडियोधर्मिता (radioactivity) वाले होते हैं, इसलिए इनका खनन समय लेने वाला, जटिल और महंगा होता है।
  • Tags :
  • दुर्लभ भू-तत्व

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

राजस्थान के सुदासरी केंद्र में एक सप्ताह में अण्डों से चार ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के चूजे बाहर निकले। 

  • इस तरह यह बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम के तहत इस संकटग्रस्त प्रजाति को बचाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (अर्डियोटिस नाइग्रिसेप्स) के बारे में

  • मुख्य विशेषताएं
    • पर्यावास: यह पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप की स्थानिक (endemic) प्रजाति है। यह प्रजाति मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात में पाई जाती है। वैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी कुछ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पाए जाते हैं।
    • आहार: ये पक्षी सर्वाहारी होते हैं। ये घास के बीज, कीट-पतंगे (जैसे टिड्डियां, बीटल), तथा कभी-कभी छोटे कृंतक (Rodents) और सरीसृप भी खाते हैं।
  • संरक्षण स्थिति
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-1 में सूचीबद्ध।
    • IUCN रेड लिस्ट: क्रिटिकली एंडेंजर्ड। 
    • CITES: परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध।  
    • यह प्रजाति ‘वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास’ के तहत स्पीशीज रिकवरी प्रोग्राम में शामिल है।
  • Tags :
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972
  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
  • वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास

पंबन ब्रिज

हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने तमिलनाडु में नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया। यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल है।

  • वर्टिकल लिफ्ट ब्रिज एक प्रकार का मूवेबल ब्रिज होता है। इसमें ब्रिज का एक छोटा-सा हिस्सा (पाट) लंबवत रूप से ऊपर की ओर उठता है। इस दौरान यह डेक के समानांतर रहता है। इस प्रकार जहाज आसानी से इसके नीचे से गुजर सकते हैं। 

नए ब्रिज के बारे में

  • यह पुल 1914 में बने पुराने कैंटिलीवर ब्रिज की जगह पर बनाया गया है, जिसे 2022 में बंद कर दिया गया था। यह रामेश्वरम द्वीप को मुख्य भारत भूमि से जोड़ता है।
  • इसे रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने डिजाइन किया है। इसमें 72.5 मीटर का नेविगेशनल स्पैन है, जिसे 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है, ताकि बड़े जहाज गुजर सकें।
  • Tags :
  • पंबन ब्रिज
  • वर्टिकल लिफ्ट
  • कैंटिलीवर ब्रिज

ढोकरा कला

भारत के प्रधान मंत्री ने अपनी हालिया थाईलैंड यात्रा के दौरान वहां के प्रधान मंत्री को ढोकरा कला में निर्मित पीतल की मोरनुमा नाव भेंट की थी।

  • यह एक मोर के आकार की नाव है, जिसे जटिल नक्काशी और रंगीन लाह की पच्चीकारी (Lacquer inlays) से सजाया गया है।

ढोकरा कला के बारे में

  • ढोकरा (या डोकरा) कला लुप्त मोम विधि के साथ धातु ढलाई शिल्प का एक प्राचीन रूप है। इस विधि की उत्पत्ति सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी हुई हैं।
  • इसका नाम 'ढोकरा डामर' जनजातियों से लिया गया है। यह कला छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड के गड़वा, गोंड एवं धुरवा जनजातियों में भी प्रचलित है। 
  • इसकी विशेषता यह है कि हर एक मूर्ति एक ही बार इस्तेमाल होने वाले सांचे से बनाई जाती है, जिससे हर मूर्ति विशिष्ट होती है।
  • Tags :
  • ढोकरा कला
  • लुप्त मोम विधि
  • धातु ढलाई शिल्प

कन्नडिप्पया जनजातीय शिल्प

कन्नडिप्पया भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त करने वाला केरल का पहला जनजातीय हस्तशिल्प बन गया है। 

कन्नडिप्पया के बारे में 

  • यह एक सुंदर बुनी हुई चटाई है। इसे "मिरर मैट" (दर्पण चटाई) भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी बनावट में विशिष्ट  परावर्तक पैटर्न होता है।
  • यह चटाई रीड बांस की कोमल भीतरी परतों से बनाई जाती है। इसकी विशेषता यह है कि यह सर्दियों में गर्माहट और गर्मियों में ठंडक प्रदान करती है।
  • Tags :
  • GI टैग
  • कन्नडिप्पया
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