नवकार महामंत्र दिवस आध्यात्मिक समरसता और नैतिक चेतना का पर्व है। यह दिवस सामूहिक रूप से नवकार महामंत्र के जाप के माध्यम से लोगों को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करता है।
- नवकार महामंत्र, जैन धर्म का सबसे पूज्य और सार्वभौमिक मंत्र है। यह मंत्र निम्नलिखित पंच परमेष्ठी को नमन करता है:
- अरिहंत: जिन्होंने कैवल्य यानी पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया है।
- सिद्ध: जिन्होंने आठों कर्मों का नाश कर मोक्ष प्राप्त किया है।
- आचार्य: जो महाव्रत का पालन करते हैं।
- उपाध्याय: जो मोक्ष मार्ग अपनाने का ज्ञान प्रदान करते हैं।
- साधु: जो तपस्या और आत्म-संयम से मोक्ष की ओर कदम बढ़ाते हैं।
- प्रधान मंत्री ने नवकार मंत्र से प्रेरित होकर “नए भारत के लिए नौ संकल्प” प्रस्तावित किए हैं (इन्फोग्राफिक देखें)।

समकालीन चुनौतियों से निपटने में जैन सिद्धांतों की भूमिका
- परस्परोपग्रहो जीवानाम् (जीवों की एक-दूसरे पर निर्भरता): यह सिद्धांत प्रकृति को उसकी प्राकृतिक अवस्था में वापस लाने तथा जैव विविधता के संरक्षण में सभी जीवों की एक-दूसरे पर निर्भरता पर बल देता है। इस तरह यह सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- अहिंसा: यह सिद्धांत शांति का मूल है तथा यह युद्ध, घृणा और हिंसा का प्रतिकार करता है। महात्मा गांधी ने भी अहिंसा का मार्ग चुना था और विश्व के नेताओं को संघर्ष की बजाय शांति का मार्ग चुनने के लिए प्रेरित किया था।
- अनेकांतवाद (प्रत्येक वस्तु का अनेक गुण-धर्म): यह सिद्धांत वास्तव में प्रत्येक वस्तु या विषय पर अलग-अलग दृष्टि से विचार करने पर बल देता है। यह परानुभूति और खुले विचार को बढ़ावा देता है, जिससे संघर्ष और युद्ध संकटों को टाला जा सकता है।
- अपरिग्रह (धन का संचय नहीं करना): यह सिद्धांत उपभोक्तावाद, भौतिकवाद और लालच का प्रतिरोध करता है। यह संयम के साथ सरल और संधारणीय जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
- इस तरह यह सिद्धांत प्रधान मंत्री के मिशन LiFE (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) को प्रेरित करता है।
- सत्य और अस्तेय (चोरी न करना): ये सैद्धान्तिक मूल्य ईमानदारी, नैतिकता और निष्पक्षता पर बल देते हैं। ये मूल्य भ्रष्टाचार, कॉर्पोरेट जगत के शोषण और नैतिक पतन से निपटने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।