एक नए अध्ययन के अनुसार महासागर कभी हरे रंग के दिखते थे, और अब भी जलवायु परिवर्तन के कारण रंग बदल सकते हैं | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

    एक नए अध्ययन के अनुसार महासागर कभी हरे रंग के दिखते थे, और अब भी जलवायु परिवर्तन के कारण रंग बदल सकते हैं

    Posted 11 Apr 2025

    Updated 12 Apr 2025

    12 min read

    जापानी वैज्ञानिकों के इस अध्ययन के अनुसार, आर्कियन इयोन में महासागर नीले नहीं, बल्कि हरे रंग के दिखाई देते थे।

    • आज से लगभग 4 अरब वर्ष पूर्व से 2.5 अरब वर्ष पूर्व तक के भूवैज्ञानिक युग को आर्कियन इयोन कहा जाता है।  

    अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र

    • प्राचीन काल में महासागरों के हरा रंग जैसा दिखने का कारण:
      • आर्कियन इयोन के दौरान वायुमंडल और महासागरों में ऑक्सीजन नहीं थी।
        • चट्टानों और अंडरवाटर ज्वालामुखियों से निकलने वाला लोहा महासागरों में घुल जाता था।
      • जीवन की शुरुआत अवायवीय बैक्टीरिया से हुई, जिन्होंने प्रकाश संश्लेषण करना शुरू किया। इससे बाय-प्रोडक्ट के रूप में ऑक्सीजन उत्पन्न हुई।
      • ऑक्सीजन ने समुद्री जल में मौजूद लोहे से प्रतिक्रिया करके ऑक्सीकृत लोहा {Fe(III)} बनाया। इसके कारण महासागर हरे रंग के दिखाई देते थे।
    • सायनोबैक्टीरिया का उद्भव:
      • ये लोहे से समृद्ध, हरे महासागरों में विकसित प्रकाश संश्लेषण करने वाले बैक्टीरिया थे, जो वास्तव में शैवाल नहीं थे।
      • सायनोबैक्टीरिया ने दो प्रकार के पिगमेंट का उपयोग किया: 
        • क्लोरोफिल: सामान्य सूर्य प्रकाश को अवशोषित करने के लिए, और 
        • फाइकोएरिथ्रोबिलिन (PEB): हरा प्रकाश अवशोषित करने के लिए।
      • इससे सायनोबैक्टीरिया को अलग-अलग तरह के प्रकाश की मौजूदगी और समुद्री परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद मिली।
      • इन बैक्टीरिया ने पृथ्वी के वायुमंडल को ऑक्सीजन से भर दिया और फिर जटिल जीवन रूपों के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ।

    महासागरों के अन्य संभावित रंग

    • बैंगनी रंग का महासागर: प्रबल ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण सल्फर की मात्रा बढ़ने और ऑक्सीजन की कमी होने पर बैंगनी-सल्फर-बैक्टीरिया तेजी से पनप सकते हैं, जिससे समुद्र का रंग गहरा बैंगनी नज़र आ सकता है।
    • लाल रंग का महासागर: उष्णकटिबंधीय जलवायु में चट्टानों के तीव्र अपक्षय या लाल शैवाल प्रस्फुटन (जैसे “रेड टाइड”) परिघटना के कारण महासागर लाल रंग जैसा दिखाई दे सकते हैं।
      • आजकल समुद्र के किनारे पोषक तत्वों के बहकर आने से शैवाल प्रस्फुटन (Algae blooms) की ऐसी घटनाएं प्रायः देखी जाती हैं।

    महासागर नीले रंग का क्यों दिखाई देता है?

    • जब सूर्य का प्रकाश महासागर पर पड़ता है, तो जल वास्तव में एक फिल्टर की तरह काम करता है। यह पहले लंबी वेवलेंथ्स (जैसे- लाल और नारंगी रंगों) को अवशोषित करता है।
    • छोटी वेवलेंथ्स (विशेष रूप से नीला रंग) प्रकीर्णित और परावर्तित हो जाती हैं। इसलिए, महासागर नीले रंग का दिखाई देता है
    • Tags :
    • सायनोबैक्टीरिया
    • आर्कियन इयोन
    • अवायवीय बैक्टीरिया
    Watch News Today
    Subscribe for Premium Features