भारतीय महाद्वीपीय प्लेट एक प्रमुख टेक्टोनिक प्लेट है। इसकी सीमा चार प्रमुख प्लेट्स जैसे- यूरेशियन प्लेट, अरेबियन प्लेट, अफ्रीकी प्लेट और ऑस्ट्रेलियाई प्लेट से लगती है।

भारतीय प्लेट की गति
लगभग 60 मिलियन वर्ष पहले, भारतीय महाद्वीपीय प्लेट उत्तर की ओर बढ़ने लगी थी तथा आज भी यूरेशियन प्लेट से अभिसरण कर रही है। इस अभिसरण की वजह से ही तिब्बती पठार और हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ।
- परंपरागत रूप से, निम्नलिखित दो सिद्धांत तिब्बती पठार और हिमालय पर्वत की उत्पत्ति का वर्णन करते हैं।
- अंडरप्लेटिंग: जब भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती (अभिसरण) है, तो अधिक घनत्व वाली भारतीय प्लेट का निचला हिस्सा तुलनात्मक रूप से कम घनत्व वाली यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसने लगता है।
- सबडक्शन: आमतौर पर जब दो टेक्टोनिक प्लेट्स टकराती हैं, तो भारी प्लेट हल्की प्लेट के नीचे धंस जाती है, इस प्रक्रिया को सबडक्शन कहते हैं।
- महाद्वीपीय प्लेट्स का घनत्व महासागरीय प्लेट्स से कम और मोटाई अधिक होती है, इसलिए टकराने पर ये आसानी से मेंटल में क्षेपित या सबडक्ट नहीं होती है।
- हाल ही में, नए शोध ने एक तीसरा सिद्धांत प्रस्तावित किया है कि भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसने के कारण प्लेट के भीतर क्षैतिज विभाजन हो रहा है।
- क्षैतिज विभाजन तब होता है, जब प्लेट का सघन निचला भाग अलग हो जाता है और पृथ्वी की गर्म मेंटल में गहराई तक चला जाता है।