IMF की ‘वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट’ में भू-राजनीतिक जोखिमों का वैश्विक वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया गया | Current Affairs | Vision IAS
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IMF की ‘वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट’ में भू-राजनीतिक जोखिमों का वैश्विक वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया गया

Posted 15 Apr 2025

17 min read

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की इस रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक भू-राजनीतिक जोखिमों का उच्च स्तर बना हुआ है। इन जोखिमों के व्यापक वित्तीय स्थिरता पर बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं।

मुख्य भू-राजनीतिक जोखिम

  • आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करने वाले विविध जोखिम: देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष, संसाधन प्राप्त करने की होड़, साइबर अटैक जैसी चुनौतियों के कारण वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित हो सकती हैं।
  • वैश्विक शक्ति संतुलन, आर्थिक केंद्रों तथा व्यापार में व्यापक बदलाव: नए व्यापारिक समूह बन रहे हैं और निवेश के नए केंद्र उभरकर सामने आ रहे हैं। इससे पारंपरिक वैश्विक शक्ति संतुलन में भी बदलाव देखे जा रहे हैं।
  • कर व्यवस्था में एकरूपता का अभाव: उदाहरण के लिए, जहां एक ओर कई देश मिनिमम ग्लोबल टैक्स को अपना रहे हैं, तो दूसरी ओर कुछ देश बहुपक्षीय टैक्स समझौतों से बाहर निकल रहे हैं।
  • कार्यबल पर जनसांख्यिकीय, तकनीकी और सांस्कृतिक दबाव: विकसित देशों की आबादी में जहां एक ओर वृद्ध लोगों का अनुपात और सेवानिवृत्त होने वाले लोगों की जनसंख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर इन देशों में जन्म दर कम हो रही है। 
    • देशों और समुदायों के बीच सांस्कृतिक संघर्ष में वृद्धि हुई है। इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग से भी जोखिम में वृद्धि हुई है।  

भू-राजनीतिक जोखिमों के प्रभाव 

  • सॉवरेन जोखिम: सैन्य खर्च में बढ़ोतरी और आर्थिक मंदी के चलते कई देशों का सरकारी ऋण, उनके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। इससे उनकी वित्तीय स्थिरता पर संकट गहराता जा रहा है और बढ़ते कर्ज भार के कारण डिफॉल्ट (ऋण न चुकाने) होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।
  • वित्तीय खतरों की चपेट में अन्य देशों का आना: भू-राजनीतिक जोखिम व्यापार और वित्तीय संबंधों के माध्यम से अन्य देशों में फैल सकते हैं। इससे विश्व के कई देश आर्थिक संकट की चपेट में आ सकते हैं।
  • मैक्रोइकॉनॉमिक प्रभाव: जोखिमों के बढ़ने से आर्थिक व्यवधान उत्पन्न हो सकते हैं। इनमें आपूर्ति श्रृंखला का बाधित होना और पूंजी का देश से बाहर निकलना जैसे आर्थिक व्यवधान शामिल हैं। 
  • निवेशकों का विश्वास कम होना: आमतौर पर भू-राजनीतिक जोखिम निवेशकों के विश्वास को कम करते हैं। इससे बाजार में अनिश्चितता और अस्थिरता बढ़ती है।
    • उदाहरण के लिए, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की वजह से हाल में दोनों देशों के शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई।

भू-राजनीतिक जोखिमों से निपटने हेतु मुख्य नीतिगत सिफारिशें

  • वित्तीय स्थिति की निगरानी बढ़ाना: नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश-विशेष के भू-राजनीतिक जोखिमों पर लगातार नज़र रखी जाए और उनसे निपटने के लिए उपयुक्त नीतिगत उपाय अपनाए जाएं।
  • पूंजी भंडार बढ़ाना: वित्तीय संस्थानों को भविष्य के जोखिमों से होने वाली हानियों से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में पूंजी और लिक्विडिटी सुरक्षित रखनी चाहिए। 
  • वित्तीय बाजारों को मजबूत करना: उभरती अर्थव्यवस्थाओं को कठोर नियम बनाकर वित्तीय बाजारों को मजबूत और परिपक्व बनाना चाहिए ताकि वे भू-राजनीतिक संकटों से आसानी से निपट सकें।
  • मैक्रोइकॉनॉमिक बफर बनाए रखना: आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकारों को खर्च बढ़ाने और कर कटौती जैसे राजकोषीय राहत देने के लिए तैयार रहना चाहिए। साथ ही, किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अधिक विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखना चाहिए।
  • संकट से निपटने के लिए तैयार रहना: बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों से उत्पन्न वित्तीय अस्थिरता से निपटने के लिए मजबूत नीतिगत फ्रेमवर्क तैयार करना चाहिए।
  • Tags :
  • वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
  • वैश्विक शक्ति संतुलन
  • सॉवरेन जोखिम
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