यह परीक्षण सेंटर फॉर डेवलेपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) और स्टरलाइट टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने किया है।
मल्टी-कोर फाइबर (MCF) तकनीक के बारे में
- यह तकनीक एक ही फाइबर में कई कोर के माध्यम से डेटा ट्रांसमिशन को संभव बनाती है। इससे अलग-अलग फाइबर बिछाने हेतु जगह की जरूरत नहीं पड़ती। साथ ही, अवसंरचना पर होने वाले व्यय में भी कमी आती है।
क्वांटम-की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) के बारे में
- यह सूचना को सुरक्षित तरीके से संचारित करने की तकनीक है। इस तकनीक में सूचना या मैसेज केवल वही लोग पढ़ सकते हैं, जिनके साथ एन्क्रिप्शन-की साझा की जाती है।
- यह तकनीक क्वांटम मैकेनिक्स के गुणों का उपयोग करके क्रिप्टोग्राफ़िक-की मैटेरियल उत्पन्न और वितरित करती है।
QKD की कार्यप्रणाली:
- QKD में प्रकाश कणों यानी फोटोन्स को फाइबर ऑप्टिक केबल के माध्यम से एक पक्ष से दूसरे पक्ष तक भेजा जाता है।
- प्रत्येक फोटॉन की एक रैंडम क्वांटम अवस्था होती है, और ये मिलकर क्यूबिट्स डेटा स्ट्रीम बनाते हैं।
- क्यूबिट या क्वांटम बिट, क्वांटम कंप्यूटिंग में सूचना की मूल इकाई है, जैसे की पारंपरिक कंप्यूटिंग में बिट होती है। जहां एक सामान्य बिट केवल 0 या 1 में से किसी एक अवस्था में हो सकती है, वहीं एक क्यूबिट एक साथ दोनों अवस्थाओं यानी 0 और 1 के सुपरपोज़िशन में रह सकती है।
QKD के प्रकार:
- एंटेंगलमेंट-आधारित प्रोटोकॉल: इसमें एक स्रोत द्वारा क्वांटम अवस्था के युग्मित (entangled) जोड़े उत्पन्न किए जाते हैं तथा प्रत्येक पक्ष को एक-एक जोड़ा प्राप्त होता है। इससे केवल निर्धारित व्यक्ति ही सूचना पढ़ पाते हैं।
- प्रिपेयर-एंड-मेजर प्रोटोकॉल (Prepare-and-measure protocols): इसमें सूचना को प्रेषित करने वाला व्यक्ति एक क्वांटम अवस्था तैयार करता है; जैसे कि प्रकाश की ध्रुवीकरण (polarization) अवस्था का सुपरपोजिशन। सूचना को प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस क्वांटम अवस्था को मापता है।
QKD के लाभ: यह अनधिकृत व्यक्ति द्वारा ईव्सड्रॉपिंग यानी गोपनीय रूप से मैसेज सुनने या इंटरसेप्ट करने की कोशिश की पहचान और रोकथाम करने में सक्षम है।
QKD की कमियां
- इसके लिए जरूरी अवसंरचना पर अधिक लागत आती है,
- डिनायल ऑफ सर्विस (DoS) का खतरा बना रहता है,
- डिनायल-ऑफ-सर्विस (DoS) हमला एक प्रकार का साइबर अटैक है। इसमें अटैकर किसी कंप्यूटर या नेटवर्क को उसके निर्धारित उपयोगकर्ताओं के लिए अस्थायी या स्थायी रूप से अनुपलब्ध बना देता है।
- इसके लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है, मौजूदा फाइबर संचार नेटवर्क के साथ एकीकृत करने में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।