यह खोज आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ARIES) के वैज्ञानिकों ने की है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है।
- 3.6 मीटर के देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (DOT) को 2016 में शुरू किया गया था। यह भारत में ऑप्टिकल तरंगदैर्ध्य पर खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने वाला सबसे बड़ा टेलीस्कोप है।
- यह नैनीताल में स्थित है। इसका संचालन व रखरखाव ARIES द्वारा किया जाता है।
मध्यम द्रव्यमान वाले ब्लैक होल के बारे में
- अवस्थिति: यह ब्लैक होल लगभग 4.3 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक धुंधली आकाशगंगा में स्थित है।
- खोज: वैज्ञानिकों ने पाया कि एक गैस का बादल इस ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहा है, जो इससे लगभग 2.25 बिलियन किलोमीटर की दूरी पर है। इसका वेग प्रकीर्णन या वेग विक्षेपण 545 किलोमीटर प्रति सेकंड है।
- खोज का महत्त्व: अब तक मध्यम द्रव्यमान वाले ब्लैक होल्स अपनी अस्पष्ट प्रकृति और लघु आकाशगंगाओं में स्थित होने के कारण कम ज्ञात बने हुए हैं।
- ये अपने बड़े समकक्षों की तुलना में सामान्यतः तेज विकिरण उत्पन्न नहीं करते हैं।
ब्लैक होल्स के बारे में
- ये अंतरिक्ष के ऐसे क्षेत्र होते हैं, जहां अत्यधिक मात्रा में द्रव्यमान एक अत्यंत छोटे आयतन में संकुचित होता है। इससे गुरुत्वाकर्षण इतना तीव्र हो जाता है कि प्रकाश भी उससे बच नहीं पाता।
- ये न तो प्रकाश उत्सर्जित करते हैं और ना ही परावर्तित, इस कारण टेलीस्कोप से दिखाई नहीं देते।
- ये तब बनते हैं, जब विशालकाय तारे विखंडित हो जाते हैं। इनके चारों ओर एक सीमा होती है जिसे इवेंट होराइजन कहते हैं।
- पता लगाना: आसपास के परिवेश पर उनके प्रभाव के आधार पर
- एक्रीशन डिस्क: ब्लैक होल के चारों ओर गैस एवं धूल के वलय होते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण तरंगें (जब बहुत बड़ी वस्तुएँ अंतरिक्ष में गति करती हैं, तो बनने वाली लहरें), आदि।
- गुरुत्वीय तरंगें: गुरुत्वीय तरंगें अंतरिक्ष में दो विशाल पिंडों के आपस में टकराने से उत्पन्न होती हैं। ये तरंगें स्पेस एंड टाइम में लहर (Ripple) पैदा करते हुए स्रोत से दूर सभी दिशाओं में गति करती हैं।
- ब्लैक होल के अध्ययन का महत्त्व: ब्रह्मांड के मूल सिद्धांतों जैसे कि सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत और क्वांटम भौतिकी आदि का परीक्षण करना।
