राजकोषीय विचलन (Fiscal Slippage)
हाल ही में, केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का ऋण प्रबंधन अच्छी तरह से किया जा रहा है और इससे राजकोषीय विचलन की स्थिति नहीं आएगी।
राजकोषीय विचलन के बारे में
- यह ऐसी स्थिति होती है, जब सरकार का वास्तविक राजकोषीय प्रदर्शन उसके निर्धारित या लक्षित राजकोषीय लक्ष्यों से भटक जाता है। इसकी वजह से आमतौर पर अपेक्षा से अधिक बजटीय घाटा, सार्वजनिक ऋण में वृद्धि, या दोनों स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
- राजकोषीय विचलन की स्थिति निम्नलिखित वजहों से उत्पन्न हो सकती है:
- कृषि ऋण माफी की घोषणा;
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्राप्ति में कमी;
- ब्रेंट क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमत के प्रभाव को कम करने के लिए वैट और उत्पाद शुल्क में कटौती करना, आदि।
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लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR)
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लिक्विडिटी कवरेज रेशियो को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
- RBI ने यह भी कहा कि बैंकों को खुदरा ग्राहकों की जमाओं (retail deposits) पर कम रन-ऑफ फैक्टर निर्धारित करना होगा।
- रन-ऑफ फैक्टर वास्तव में किसी संकट की स्थिति में जमाकर्ताओं द्वारा बैंकों में जमा धनराशि में से निकाली जा सकने वाली प्रतिशत राशि है।
लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) के बारे में
- यह उच्च गुणवत्ता वाली लिक्विड एसेट (High-Quality Liquid Assets) की मात्रा है। इन्हें वित्तीय संस्थानों को अपने पास सुरक्षित रखना अनिवार्य होता है, ताकि वे बाजार में उथल-पुथल या संकट की स्थिति में अपनी अल्पकालिक देनदारियों को पूरा कर सकें।
- LCR को बेसल समझौते (Basel Accords) में नए संशोधन द्वारा जोड़ा गया है।
- बेसल समझौते ‘बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बेसल समिति’ द्वारा तैयार किए गए नियम या मानक हैं।
- उच्च LCR बैंकों को अधिक तरल परिसंपत्तियां रखने के लिए बाध्य करता है। इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति में कमी आती है।
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सेफगार्ड ड्यूटी
भारत सरकार ने इस्पात के कुछ उत्पादों पर 12% सेफगार्ड ड्यूटी लगाई है।
सेफगार्ड ड्यूटी के बारे में
- यह आयात से घरेलू उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान करने वाला आर्थिक उपाय है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सदस्य देशों को सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की अनुमति होती है।
- इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादकों को तब तक संरक्षण देना होता है, जब किसी उत्पाद के आयात में अचानक और भारी वृद्धि हो जाती है। इससे स्थानीय उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- सैद्धांतिक रूप से सेफगार्ड उपाय के तहत किसी देश विशेष को टारगेट नहीं किया जा सकता।
- हालांकि, असाधारण परिस्थितियों में जब किसी एक देश से आयात अत्यधिक मात्रा में बढ़ता है, तो उस देश के लिए अलग से आयात का अधिकतम कोटा निर्धारित किया जा सकता है।
- सेफगार्ड उपाय अधिकतम चार वर्षों तक लागू रह सकता है। हालांकि, राष्ट्रीय एजेंसियों से अनुमति प्राप्त होने पर इसे आठ वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
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खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC)
हाल ही में, खादी और ग्रामोद्योग ने अब तक का सबसे अधिक 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर दर्ज किया।
- इस उपलब्धि को प्राप्त करने में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की प्रमुख भूमिका रही है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) के बारे में
- यह एक वैधानिक संस्था है। इसकी स्थापना खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 के तहत की गई है।
- मंत्रालय: यह केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME मंत्रालय) की संस्था है।
- उद्देश्य: खादी (हाथ से काता व बुना गया वस्त्र) और ग्रामोद्योगों के उत्पादन व प्रचार-प्रसार के माध्यम से ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना, साथ ही रोजगार सृजन करना आदि।
- KVIC की प्रमुख पहलें:
- प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP);
- ग्रामोद्योग विकास योजना (Gramodyog Vikas Yojana) आदि।
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सलामी स्लाइसिंग (Salami Slicing)
चीन पीत सागर (Yellow Sea) में दक्षिण चीन सागर जैसी “सलामी स्लाइसिंग” रणनीति का उपयोग करके नए क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।
सलामी स्लाइसिंग के बारे में
- यह शब्दावली स्टालिनवादी तानाशाह मात्याश राकोसी (Mátyás Rákosi) द्वारा सृजित की गई है।
- यह “विभाजित करो और कब्जा करो’ की रणनीति है। इसका उपयोग शत्रु देश द्वारा किसी अन्य देश के छोटे-छोटे भूखंडों पर चरणबद्ध रूप से कब्ज़ा करते हुए लंबे समय में बड़े क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए किया जाता है।
- लाभ:
- ये कार्रवाइयां इतनी छोटी होती हैं कि इनसे युद्ध की स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
- ये पड़ोसी देश को भ्रमित कर देती हैं कि इसका जवाब कैसे दिया जाए।
- इन छोटी-छोटी घटनाओं पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान नहीं जाता है और इसके दीर्घकालिक लाभ मिलते हैं।
- हालिया वर्षों में इस शब्दावली का उपयोग विशेष रूप से भारत, जापान और दक्षिण चीन सागर क्षेत्र के देशों के खिलाफ चीन की एकतरफा सैन्य कार्रवाइयों के संदर्भ में किया जाने लगा है।
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- सलामी स्लाइसिंग
- इंडो पैसिफिक
पोषण ट्रैकर
पोषण ट्रैकर एप्लिकेशन को “लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार 2024” से सम्मानित किया गया।
पोषण ट्रैकर के बारे में
- यह एक मोबाइल एप्लिकेशन है। इसका उद्देश्य बच्चों में ठिगनापन (stunting), दुबलापन (wasting), और अल्पवजन (underweight) की समस्याओं की पहचान करना तथा पोषण सेवाओं के वितरण की संपूर्ण निगरानी करना है।
- पोषण कैलकुलेटर: यह एक इंटरैक्टिव कैलकुलेटर है, जो बच्चे के विकास का विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर मापन करता है।
- यह प्राप्त इनपुट के आधार पर उचित उपाय सुझाता है, ताकि बच्चे के पोषण स्तर को बेहतर बनाया जा सके।
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- पोषण ट्रैकर
- लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधान मंत्री पुरस्कार
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स्नो अपडेट रिपोर्ट
अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (ICIMOD) ने स्नो अपडेट रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र में 2025 में लगातार तीसरे साल सामान्य से कम हिमपात (बर्फबारी) दर्ज किया गया है।
- गंगा घाटी में पिछले 23 वर्षों में सबसे कम 'स्नो पर्सिस्टेंस' दर्ज हुआ।
- हिमपात के बाद हिम के सतह पर बने रहने की अवधि को स्नो पर्सिस्टेंस कहते हैं।
- सिंधु और ब्रह्मपुत्र बेसिन में भी स्नो पर्सिस्टेंस में कमी दर्ज की गई है।
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- ICIMOD
- हिंदू कुश हिमालय
- गंगा घाटी
आर्सेनिक प्रदूषण
एक अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण चावल में आर्सेनिक की मात्रा बढ़ सकती है। इससे लोगों में जीवन भर कैंसर और अन्य स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा बढ़ सकता है।
आर्सेनिक प्रदूषण के बारे में
- आर्सेनिक भूपर्पटी का एक प्राकृतिक घटक है। यह हवा, पानी और भूमि सहित संपूर्ण वातावरण में पाया जाता है।
- अपने अकार्बनिक रूप में यह अत्यधिक विषाक्त होता है।
- लंबे समय तक आर्सेनिक युक्त पीने के पानी और भोजन के सेवन से कैंसर एवं त्वचा की बीमारियां हो सकती हैं।
- इससे हृदय रोग और मधुमेह भी हो सकता है।
- भ्रूण के और बचपन में आर्सेनिक के संपर्क में आने से संज्ञानात्मक विकास पर बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही, युवा वयस्कों में मृत्यु दर भी बढ़ सकती है।
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- आर्सेनिक प्रदूषण
- कैंसर
कोलॉसल स्क्विड
हाल ही में, वैज्ञानिकों ने दक्षिणी अटलांटिक महासागर में पहली बार कोलॉसल स्क्विड की तस्वीर ली।
कोलॉसल स्क्विड के बारे में
- कोलॉसल स्क्विड का सबसे पहले पता 1925 में चला था, जब एक स्पर्म व्हेल के पेट में उसका सिर और बांहें मिली थीं।
- यह एक विशाल आकार की गहरे समुद्र में पाई जाने वाली स्क्विड की प्रजाति है। यह मुख्यतः अंटार्कटिक महासागर में 40° दक्षिण अक्षांश में पाई जाती है। यह आमतौर पर 1,000 मीटर से अधिक गहराई पर रहती है।
- इनकी लंबाई 7 से 14 मीटर तक हो सकती है और इनका वजन 500 किलोग्राम तक हो सकता है।
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नैनो-सल्फर
ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी/ TERI) के वैज्ञानिकों का दावा है कि इसका नैनो सल्फर पारंपरिक सरसों की किस्मों का उपयोग करके DMH-11 के समान उपज वृद्धि देता है।
- DMH-11 आनुवंशिक रूप से संशोधित सरसों की एक किस्म है।
TERI के नैनो-सल्फर के बारे में
- यह एक पूरी तरह से हरित (ग्रीन) उत्पाद है। इसमें पादप संवर्धन करने वाले जीवाणु का उपयोग किया जाता है, जो एंजाइम्स और मेटाबोलाइट्स स्रावित करते हैं।
- यही गुण इसे नैनो यूरिया और नैनो डाई-अमोनियम फॉस्फेट जैसे अन्य नैनो-उर्वरकों से अलग बनाता है।
- नैनो-सल्फर में जीवाणुरोधी और कीटनाशक गुण होते हैं।
- लाभ:
- यह पादप वृद्धि को बढ़ावा देता है।
- यह पादपों को तनाव (जैसे सूखा, गर्मी आदि) सहन करने में सक्षम बनाता है।
- यह पादप पोषण की गुणवत्ता में सुधार करता है।
- Tags :
- नैनो उर्वरक
- नैनो-सल्फर
- ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी/ TERI)