गुजरात में दुनिया के पहले ‘पार्टिकुलेट एमिशन ट्रेडिंग मार्केट’ ने प्रदूषकों को 20-30% तक कम किया | Current Affairs | Vision IAS
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    गुजरात में दुनिया के पहले ‘पार्टिकुलेट एमिशन ट्रेडिंग मार्केट’ ने प्रदूषकों को 20-30% तक कम किया

    Posted 22 Apr 2025

    7 min read

    एक नए अध्ययन से पता चला है कि 2019 में शुरू की गई सूरत एमिशन ट्रेडिंग स्कीम (ETS) पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन को नियंत्रित करने में सफल रही है।

    • इसकी वजह से प्रदूषण रोकथाम लागत में भी 10% से अधिक की गिरावट आई है। साथ ही, इसमें शामिल उद्योग अब पर्यावरण कानूनों का बेहतर ढंग से पालन कर रहे हैं।

    सूरत ETS के बारे में

    • एक नजर: यह दुनिया का पहला बाजार है, जहां पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन का व्यापार किया जाता है।
      • यह भारत की किसी भी तरह की पहली प्रदूषण ट्रेडिंग योजना है।
      • ETS की अवधारणा सबसे पहले अमेरिका में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) प्रदूषण को रोकने के लिए शुरू की गई थी।
    • उद्देश्य: प्रदूषक भुगतान सिद्धांत के अनुसार वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाना।
    • कार्य प्रणाली: यह बाजार से जुड़ी ‘कैप एंड ट्रेड’ प्रणाली (इन्फोग्राफिक देखें) पर आधारित है।
      • इस प्रणाली का उपयोग यूरोप में ग्रीनहाउस गैसों और चीन में कार्बन उत्सर्जन के लिए किया जाता है।
      • ETS निगरानी के लिए सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (CEMS) उपकरणों का उपयोग करता है।
    • ट्रेडिंग: उद्योग NeML (नेशनल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज ई-मार्केट्स) द्वारा विकसित प्लेटफॉर्म पर प्रदूषण परमिट्स की खरीद-बिक्री करते हैं।
    • भाग लेने वाली संस्थाओं को एक ‘पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि’ भी जमा करनी होती है, जो उद्योग के आकार के अनुसार तय होती है।
    • Tags :
    • ETS
    • सूरत एमिशन ट्रेडिंग स्कीम
    • पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन
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