रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया के महानगरों का भविष्य अनिश्चित है।
- दुनिया के दस सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में से सात एशिया में हैं। इसमें टोक्यो, दिल्ली, शंघाई और ढाका शीर्ष पर हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- तेजी से बढ़ता तापमान: इसके कारण इन शहरों की अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है।
- "अर्बन हीट आइलैंड इफ़ेक्ट" की वजह से शहर का तापमान आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक हो जाता है। इसका खास असर बुजुर्गों और गरीबों पर पड़ता है।
- तेजी से बढ़ती आबादी: 2050 तक, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बुजुर्गों की संख्या 1.3 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है। यह 2024 की संख्या से लगभग दोगुनी है।
- अनौपचारिक बस्तियों का विस्तार: आवास की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन वेतन स्थिर है, जिससे झुग्गी बस्तियों का विस्तार हो रहा है।
सिफारिशें
- क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: शहरों के बीच ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और उन्हें क्षेत्रीय नेतृत्व के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- एकीकृत राष्ट्रीय शहरी नीतियां अपनाना: इससे बहु-स्तरीय अभिशासन को मजबूती मिलेगी और शहरी विकास राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप रहेगा।
- उप-राष्ट्रीय और स्थानीय क्षमताओं का विकास: सतत विकास लक्ष्यों को प्रभावी रूप से स्थानीयकृत करने के उद्देश्य से अलग-अलग डेटा एकत्र करने, व्याख्या करने तथा उसका उपयोग करने की आवश्यकता है।
- शहरी वित्त-पोषण के लिए अभिनव दृष्टिकोण: संपत्ति कर में सुधार आदि के जरिए नगरपालिका के स्वयं के राजस्व स्रोतों को मजबूत किया जाना चाहिए।
- नियोजन क्षमताओं को मजबूत करना: वृद्धों की बढ़ती संख्या, युवाओं के पलायन और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन जैसी जनसांख्यिकीय चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर शहरी योजना की आवश्यकता है।
एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (ESCAP) के बारे में
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