इससे पाकिस्तान से सीमा-पार घुसपैठ और मादक पदार्थों एवं जाली मुद्रा की तस्करी को रोकने में मदद मिलेगी।
- भारत की पड़ोसी देशों के साथ लगने वाली सीमा की लंबाई इन्फोग्राफिक्स में देखिए।
भारत द्वारा अपनाई जा रही प्रमुख निगरानी प्रौद्योगिकियां

- लेजर वॉल और लेजर फेंसिंग: इसमें इन्फ्रारेड और लेजर बीम इंट्रूज़न डिटेक्शन का उपयोग किया जाता है, ताकि उन स्थानों को कवर किया जा सके, जहां भौतिक रूप से बाड़ लगाना संभव नहीं है।
- इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली: भारत दो मॉडल्स विकसित कर रहा है। ये सेंसर, नेटवर्क, खुफिया जानकारी और कमांड-कंट्रोल समाधानों को एकीकृत करके सीमा-पार घुसपैठियों एवं सुरंगों का पता लगाएंगे।
- सुनियोजित सुरक्षा प्रणाली: इसमें तीन-स्तरीय फेंसिंग, फ्लड लाइटिंग सेंसर, थर्मल इमेजर और मैनुअल गश्त शामिल हैं।
- अन्य: इसमें ड्रोन और सुरंग का पता लगाने वाली तकनीक का उपयोग करना तथा लॉन्ग रेंज रीकॉन्सेंस एंड ऑब्जर्वेशन सिस्टम्स (LORROS) का उपयोग रियल-टाइम वीडियो इमेजरी के लिए किया जा रहा है।
सीमा सुरक्षा के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम
- व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS), 2016: यह भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं पर प्रौद्योगिकी एवं इंटेलिजेंस के एकीकरण के माध्यम से स्थितिजन्य जागरूकता में सुधार करती है।
- सीमा अवसंरचना एवं प्रबंधन (BIM) योजना: यह केंद्रीय क्षेत्रक की एक योजना है, जिसका उद्देश्य सीमा संबंधी अवसंरचना परियोजनाओं जैसे सीमा पर बाड़ लगाना, फ्लडलाइट्स लगाना आदि को क्रियान्वित करना है।
- अन्य: इसमें भारतमाला परियोजना के तहत सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सड़कों का विकास करना, सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाली आबादी को सहायता देने के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम कार्यक्रम आदि शामिल हैं।