यह जानकारी एक अध्ययन से सामने आई है। इसमें पाया गया कि विषाक्त धातुओं से होने वाले मृदा प्रदूषण का खाद्य उत्पादन और खाद्य सुरक्षा पर काफी प्रभाव पड़ता है। साथ ही, इससे सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में दक्षिणी चीन, उत्तरी और मध्य भारत तथा मध्य पूर्व शामिल हैं।
मृदा में धातु प्रदूषण
- भारी धातुओं और उपधातुओं सहित विषाक्त धातुएं गैर-निम्नीकृत होती हैं। इसलिए, ये मृदा में निक्षेपित हो कर दशकों तक बनी रहती हैं।
- इसमें शामिल भारी धातुएं हैं- आर्सेनिक (As), कैडमियम (Cd), क्रोमियम (Cr), पारा (Hg), सीसा (Pb), तांबा (Cu), जस्ता (Zn), निकल (Ni) आदि।
- कैडमियम सर्वाधिक प्रसार वाला प्रदूषक है, जो विश्व भर की 9% मृदा में सुरक्षित स्तर से अधिक मात्रा में मौजूद है।
- मृदा में पहुंचने वाली विषाक्त धातुओं के दो मुख्य स्रोत हैं:
- प्राकृतिक: ये ज्वालामुखी उद्गार/ प्रस्फुटन और वायु अपरदन के साथ-साथ आधार शैल एवं वायुमंडलीय परिवहन के माध्यम से मृदा में पहुंचते हैं।
- आधार शैल मृदा निर्माण हेतु मूल सामग्री होती है।
- मानवजनित: इसमें कृषि (सिंचाई, फास्फोरस उर्वरक आदि), घरेलू (पेंट, बैटरी आदि) और औद्योगिक (खनन, धातु प्रगलन आदि) गतिविधियां शामिल हैं।
- प्राकृतिक: ये ज्वालामुखी उद्गार/ प्रस्फुटन और वायु अपरदन के साथ-साथ आधार शैल एवं वायुमंडलीय परिवहन के माध्यम से मृदा में पहुंचते हैं।
मृदा प्रदूषण के परिणाम
- पारिस्थितिकी-तंत्र में व्यवधान: यह प्राकृतिक और कृषि पारिस्थितिकी-तंत्र की प्राथमिक उत्पादकता को प्रभावित करता है। साथ ही, इससे मृदा पारिस्थितिकी-तंत्र सेवाओं में समग्र गिरावट भी होती है (इन्फोग्राफिक देखें)।
- मानव स्वास्थ्य: मृदा प्रदूषण के कारण प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 500,000 से अधिक लोगों की असामयिक मृत्यु होती है।
- जैवसंचयन या बायोएक्युमुलेशन: इससे सजीवों में विषाक्त तत्वों का जैवसंचय हो सकता है, जो खाद्य पदार्थ के माध्यम से मानव तक भी पहुंच सकते हैं।
- पोषक तत्व में असंतुलन: यह मृदा की जैव विविधता और पोषक तत्वों की हानि के कारण होता है।