यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UN-DESA) ने प्रकाशित की है। यह UN-DESA का एक फ्लैगशिप प्रकाशन है। यह रिपोर्ट सामाजिक विकास से जुड़ी समस्याओं को उजागर करती है।
- इस रिपोर्ट में तीन सिद्धांतों यथा- समानता, सभी के लिए आर्थिक सुरक्षा और सामूहिकता के आधार पर एक नई सहमत नीति बनाने का आह्वान किया गया है।
रिपोर्ट द्वारा रेखांकित किए गए प्रमुख मुद्दे
- असुरक्षित आजीविका और स्थायी निर्धनता जोखिम: दुनिया में 690 मिलियन लोग अभी भी चरम गरीबी में हैं तथा 2.8 बिलियन लोग इस स्तर के बिल्कुल करीब हैं। इनकी स्थिति इतनी नाजुक है कि छोटा-सा आर्थिक आघात इन्हें वापस चरम निर्धनता में धकेल सकता है।
- असमानता का लगातार बढ़ता दायरा: 128 देशों में से 52 में गिनी गुणांक द्वारा मापी गई आय असमानता, पिछले 30 वर्षों में लगातार बढ़ी है।
- उदाहरण के लिए- चीन और भारत जैसे सघन आबादी वाले देशों तथा अधिकांश उच्च आय वाले देशों में असमानता बढ़ी है।
- विश्वास और सामाजिक एकजुटता में कमी: लोगों का सरकारों और संस्थाओं में विश्वास वैश्विक स्तर पर कम हो रहा है। इससे सामाजिक एकजुटता के समक्ष खतरा उत्पन्न हो गया है।
- उदाहरण के लिए- दुनिया भर में 57% लोग अपनी सरकार पर कम विश्वास करते हैं।
रिपोर्ट में की गई महत्वपूर्ण सिफारिशें
- नीति निर्माण में सामाजिक दृष्टिकोण अपनाएं: कोपेनहेगन घोषणा-पत्र (1995) के अनुसार, विकास के केंद्र में "लोग" होने चाहिए।
- मानव विकास: सरकारों को गुणवत्तापूर्ण सेवाओं (शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आवास आदि) और सार्वभौमिक व पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से लोगों में निवेश करने पर ध्यान देना चाहिए।
- सामाजिक सामंजस्य के लिए संस्थाएं: समानता सुनिश्चित करने के लिए संस्थाओं को भरोसेमंद, समावेशी और अनुकूलनीय बनाने की आवश्यकता है।