उड़ान (UDAN) योजना का उद्देश्य भारत के टियर-2 और टियर-3 शहरों तथा कम हवाई संपर्क वाले क्षेत्रों को प्रमुख शहरों के साथ से जोड़ना है। इससे क्षेत्रीय संपर्क और आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
उड़ान योजना (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के बारे में
- शुरुआत: इसे अक्टूबर 2016 में राष्ट्रीय नागर विमानन नीति, 2016 के तहत बाजार संचालित तथा वित्तीय रूप से समर्थित मॉडल के साथ शुरू किया गया था।
- प्रकार: यह एक केंद्रीय क्षेत्रक की योजना है।
- लक्ष्य: दूरदराज/ कम हवाई संपर्क वाले क्षेत्रों में हवाई संपर्क और अवसंरचना को बढ़ावा देना तथा हवाई यात्रा को किफायती बनाना।
- लाभ:
- यात्रियों के लिए रियायती सीटें: यात्रा शुल्क की सीमा तय कर दी गई है। आरंभ में यह सीमा 2500 रुपये प्रति यात्री थी।
- एयरलाइंस को सहायता: सरकार कम किराये के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान के लिए एयरलाइंस को वायबिलिटी गैप फंडिंग (VFG) के रूप में क्षतिपूर्ति करती है।
- वित्त-पोषण तंत्र: क्षेत्रीय संपर्क निधि (Regional Connectivity Fund: RCF) वायबिलिटी गैप फंडिंग को वित्त-पोषित करके योजना के स्व-वित्तपोषण तंत्र को सुगम बनाती है। RCF वस्तुतः चुनिंदा घरेलू उड़ानों पर लगाए गए शुल्क से वित्त-पोषित होती है।
- कार्यान्वयन: इसे नागर विमानन मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
उड़ान योजना के कार्यान्वयन में चुनौतियां:
- वित्तीय संधारणीयता और VFG पर निर्भरता: सब्सिडी पर व्यापक निर्भरता; एयरलाइंस को कम यात्रियों की संख्या वाले मार्गों पर लाभ कमाने में संघर्ष करना पड़ता है आदि।
- अवसंरचना का अभाव: कई क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर टर्मिनल क्षमता, नेविगेशन संबंधी सहायता, रनवे की लंबाई, ATS सिस्टम और ग्राउंड सेवाओं की कमी है।
- परिचालन संबंधी बाधाएं: यात्रियों की कम संख्या, अपर्याप्त अवसंरचना और हवाई मार्गों की अव्यवहार्यता के कारण परिचालन लागत अधिक हो जाती है।
- नीतिगत एवं विनियमन संबंधी मुद्दे: इसमें केंद्र/ राज्य सरकारों और हितधारकों के बीच खराब समन्वय; विनियामक संबंधी बाधाएं और भूमि अधिग्रहण में देरी आदि शामिल हैं।
उड़ान योजना की प्रमुख उपलब्धियां (2016-2025):
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