विश्व बैंक के ‘स्प्रिंग 2025 पॉवर्टी एंड इक्विटी ब्रीफ’ के अनुसार, गिनी इंडेक्स स्कोर के आधार पर भारत को विश्व के उन चार देशों में शामिल किया गया है, जिन्होंने समाज में अधिक समानता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। भारत से आगे केवल स्लोवाक रिपब्लिक, स्लोवेनिया और बेलारूस हैं।
समानता के मामले में भारत की वैश्विक स्थिति:

- भारत में आय समानता (Income Equality) में सुधार हुआ है। इस मामले में 2011-12 में गिनी स्कोर 28.8 था, वह 2022-23 में बेहतर होकर 25.5 हो गया।
- भारत ने G-7 और G-20 देशों से बेहतर प्रदर्शन किया है, जैसे कि चीन (35.7) और संयुक्त राज्य अमेरिका (41.8)।
- भारत ‘मध्यम रूप से कम असमानता’ वाली श्रेणी (गिनी स्कोर 25 से 30 के बीच) में आता है। यह “कम असमानता” समूह में शामिल होने से बस थोड़ा-सा दूर है।
- रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अत्यधिक गरीबी (प्रतिदिन 2.15 डॉलर से कम पर जीवन यापन) 2011-12 की 16.2% से घटकर 2022-23 में 2.3% हो गई। इससे 171 मिलियन (17.1 करोड़) लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं।
- विश्व बैंक के नए मापदंड (3.00 डॉलर प्रतिदिन) के अनुसार, 2022-23 में अत्यधिक गरीबी दर 5.3% मानी जाएगी।
गिनी इंडेक्स के बारे में:
- गिनी इंडेक्स यह मापता है कि किसी देश में व्यक्तियों या परिवारों के बीच आय या उपभोग का वितरण पूरी तरह समान वितरण से कितना भिन्न है।
- इसका मान 0 से 1 के बीच होता है। यहां 0 का अर्थ पूर्ण समानता और 1 का अर्थ है पूर्ण असमानता है।
- ग्राफ के रूप में, गिनी इंडेक्स को लोरेंज़ वक्र (Lorenz Curve) से समझाया जा सकता है।
- लॉरेंज वक्र, आय प्राप्तकर्ताओं की संचयी संख्या की तुलना में प्राप्त कुल आय का संचयी प्रतिशत दर्शाता है, जिसकी शुरुआत सबसे गरीब व्यक्ति या परिवार से होती है।