यह नई सुविधा भारत का अपना लोंगिट्युडिनल हेल्थ डेटाबेस बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- लोंगिट्युडिनल हेल्थ डेटाबेस: यह व्यक्तियों या समूह की सेहत से जुड़ी जानकारी को लंबे समय तक बार-बार एकत्र करना और उनका रिकॉर्ड रखना है।
- इससे परिशुद्ध चिकित्सा और जैव-चिकित्सा (Biomedical) संबंधी अनुसंधान के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं में वृद्धि होगी।
राष्ट्रीय बायोबैंक के बारे में
- इसे फेनोम इंडिया परियोजना के अंतर्गत लॉन्च किया गया है।
- यह यूनाइटेड किंगडम बायोबैंक मॉडल पर आधारित है, लेकिन इसे भारतीय विविधता के अनुरूप डिजाइन किया गया है।
- उद्देश्य:
- बीमारियों का जल्दी पता लगाना,
- इलाज को अधिक सटीक बनाना, और
- मधुमेह, कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियों एवं दुर्लभ आनुवंशिक विकारों जैसी जटिल बीमारियों के इलाज में मदद करना।
- यह हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा का निर्माण करेगा। इससे AI-संचालित डायग्नोस्टिक्स और जीन-गाइडेड चिकित्सा को मजबूती प्रदान करने में मदद मिल सकती है।
- इस संबंध में हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा का अर्थ है, बहुत ही बारीकी और विस्तार से एकत्र की गई जानकारी, जिससे किसी रोग को गहराई से समझा जा सके।
- यह हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा का निर्माण करेगा। इससे AI-संचालित डायग्नोस्टिक्स और जीन-गाइडेड चिकित्सा को मजबूती प्रदान करने में मदद मिल सकती है।
- कवरेज: यह 10,000 व्यक्तियों का व्यापक जीनोमिक, जीवनशैली युक्त और क्लिनिकल डेटा एकत्र करेगा।
फेनोम इंडिया परियोजना के बारे में
- इसे आधिकारिक तौर पर फेनोम इंडिया-CSIR हेल्थ कोहोर्ट नॉलेजबेस (PI-CheCK) कहा जाता है।
- इसे 2023 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने शुरू किया था।
- उद्देश्य: यह एक दीर्घकालिक, डेटा-समृद्ध अध्ययन है, जो कई वर्षों तक व्यक्तियों के स्वास्थ्य की स्थिति पर नज़र रखेगा।
फेनोम क्या है?
- फेनोम किसी कोशिका, ऊतक, अंग, जीव या प्रजाति में फेनोटाइप (दिखाई देने वाली विशेषताओं) का संपूर्ण समूह होता है।
- फेनोटाइप किसी जीव की दिखाई देने वाली विशेषताओं को कहते हैं। इनमें जीव की शारीरिक की बनावट, रंग, कद, व्यवहार आदि शामिल होते हैं।
- किसी जीव का फेनोटाइप उसके जीनोटाइप के साथ-साथ उसके जींस पर पड़ने वाले पर्यावरणीय प्रभावों द्वारा निर्धारित होता है। जीनोटाइप जीव में मौजूद जींस का समूह होता है।