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परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (AERB) ने भारत के पहले 700-मेगावाट क्षमता वाले प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWR) के संचालन का लाइसेंस प्रदान किया | Current Affairs | Vision IAS
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परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (AERB) ने भारत के पहले 700-मेगावाट क्षमता वाले प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWR) के संचालन का लाइसेंस प्रदान किया

Posted 07 Jul 2025

13 min read

परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (AERB) ने गुजरात के काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन के 700 मेगावाट क्षमता वाले दो स्वदेशी प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स (यूनिट-3 और 4) के संचालन के लिए लाइसेंस प्रदान किया है।  

प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWR) के बारे में

  • भारत के तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के पहले चरण में PHWR का उपयोग शामिल है।
  • ईंधन और उप-उत्पाद: ये रिएक्टर्स बिजली उत्पन्न करने के लिए प्राकृतिक यूरेनियम का उपयोग करते हैं, जबकि प्लूटोनियम-239 उप-उत्पाद के रूप में उत्पन्न होता है।
    • प्राकृतिक यूरेनियम में यूरेनियम-238 की सांद्रता 99.28 प्रतिशत होती है। 
    • प्लूटोनियम-239 का उपयोग यूरेनियम-प्लूटोनियम मिक्स्ड ऑक्साइड (MOX) ईंधन उत्पन्न करने के लिए किया जाएगा। इसका बाद में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किया जाएगा।
    • फास्ट ब्रीडर रिएक्टर का उपयोग  भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दूसरे चरण में किया जाएगा।
  • शीतलक (Coolant) और मंदक (Moderator): PHWR में भारी जल (D2​O) या ड्यूटेरियम का उपयोग शीतलक एवं न्यूट्रॉन मंदक, दोनों के रूप में किया जाता है।
  • लाभ: 
    • इसमें पतली दीवारों वाली प्रेशर ट्यूब्स होती हैं, जबकि अन्य रिएक्टर्स में बड़े प्रेशर वेसल्स होते हैं। 
    • इससे दबाव सीमाएं बड़ी संख्या में छोटे व्यास वाली प्रेशर ट्यूब्स में वितरित हो जाती हैं। इससे किसी प्रेशर सीमा में आकस्मिक रिसाव या टूट-फूट हो भी जाए, तो इसके अधिक गंभीर प्रभाव नहीं होते। 

भारत में PHWR विकास का इतिहास

  • इस रिएक्टर के निर्माण की शुरुआत 1960 के दशक के अंत में राजस्थान परमाणु ऊर्जा स्टेशन (RAPS-1) से हुई थी। यह रिएक्टर भारत-कनाडा सहयोग से निर्मित हुआ था। इसकी क्षमता 220 मेगावाट थी। 
  • 1974 में पोखरण-1 परमाणु परीक्षण के बाद कनाडा ने सहायता देना बंद कर दिया था। इसके बाद भारत ने PHWR तकनीक का स्वदेशी रूप से विकास किया था।  
  • बाद में भारत ने 220 मेगावाट का स्वदेशी डिजाइन वाला मानकीकृत PHWR विकसित किया था। इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश में नरौरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन (NAPS) से हुई थी।   

परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (AERB) के बारे में

  • स्थापना: 1983 में राष्ट्रपति द्वारा परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 के प्रावधान के अनुसार स्थापित किया गया था।
  • विनियामक प्राधिकरण: बोर्ड को विनियामक प्राधिकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम एवं पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत जारी नियमों एवं अधिसूचनाओं से प्राप्त होता है। 
  • मिशन: यह सुनिश्चित करना कि भारत में आयनीकृत विकिरण और परमाणु ऊर्जा का उपयोग लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाए। 
  • Tags :
  • परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (AERB)
  • प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर (PHWR)
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