सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र के पालघर में वधावन बंदरगाह की आधारशिला रखी।
वधावन बंदरगाह या पत्तन के बारे में
- वधावन बंदरगाह का निर्माण महाराष्ट्र के पालघर जिले में दहानू शहर के पास किया जा रहा है।
- इसे भारत के 13वें महापत्तन (Major port) के रूप में स्थापित किया जाएगा।
- यह देश का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट होगा। साथ ही, यह भारत के सबसे बड़े डीप वाटर बंदरगाहों में शामिल होगा।
- इस परियोजना का निर्माण वधावन पोर्ट प्रोजेक्ट लिमिटेड (VPPL) नामक स्पेशल पर्पस व्हीकल द्वारा किया जाएगा।
- VPPL में जवाहरलाल नेहरू पत्तन प्राधिकरण (JNPA) और महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड की हिस्सेदारी क्रमशः 74% और 26% होगी।
- यह बंदरगाह एक वैश्विक समुद्री हब के रूप में कार्य करेगा। यहां बड़े कंटेनर जहाज और अल्ट्रा-बिग कार्गो जहाज भी लंगर डाल सकेंगे। इससे भारत के व्यापार और आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

वधावन बंदरगाह का महत्त्व
- अधिक क्षमता: यह बंदरगाह प्रतिवर्ष 254 मिलियन टन कार्गो को संभालेगा। इस तरह यह भारत के सबसे बड़े कंटेनर बंदरगाहों में से एक होगा।
- बहुत बड़े कंटेनर जहाजों को संभालने की क्षमता: लगभग 20 मीटर के प्राकृतिक ड्राफ्ट वाला यह बंदरगाह बड़े कंटेनर जहाजों को भी संभाल सकता है। वर्तमान में अधिकतर भारतीय बंदरगाहों पर बड़े कंटेनर जहाज लंगर नहीं डाल सकते हैं।
- आधुनिक बंदरगाह संबंधी अवसंरचना: यह अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, डीप बर्थ और एडवांस कार्गो हैंडलिंग सिस्टम जैसी अवसंरचनाओं से सुसज्जित होगा।
- रोजगार के अवसर पैदा होने और स्थानीय व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलने की संभावना: वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के निकट होने के कारण यह बंदरगाह व्यवसाय के नए अवसर के साथ-साथ वेयरहाउसिंग के अवसर भी उत्पन्न करेगा।
- व्यापार वृद्धि में सहायता और भारत की समुद्री कनेक्टिविटी एवं वैश्विक व्यापार हब की स्थिति को बढ़ावा: यह भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEEC) और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करेगा।
- ट्रांजिट टाइम यानी पारगमन समय और लागत में कमी: क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के लिए डायरेक्ट कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
- संधारणीयता को प्राथमिकता: इसमें पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से संधारणीय विकास पद्धतियों और कड़े पारिस्थितिक मानकों को शामिल किया गया है।
भारत का पत्तन क्षेत्रक
- भारत विश्व का 16वां सबसे बड़ा समुद्र तटीय देश है।
- भारत का मात्रा (Volume) की दृष्टि से लगभग 95% व्यापार और मूल्य (Value) की दृष्टि से लगभग 70% व्यापार समुद्री परिवहन के माध्यम से किया जाता है।
- विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट श्रेणी में भारत 22वें स्थान पर है और यहां "टर्न अराउंड टाइम" 0.9 दिन है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर की तुलना में बेहतर है।
- भारतीय बंदरगाह या पत्तन क्षेत्रक दो भागों में विभाजित है: महापत्तन (Major ports) और लघु पत्तन (non-major ports)।
- वर्तमान में, भारत में 12 महापत्तन (13वां वधावन और 14वां गैलाथिया) और 200 से अधिक लघु पत्तन हैं।
- भारत में बड़े बंदरगाहों का नियंत्रण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के पास है। भारत के 12 महापत्तन (बड़े बंदरगाह) निम्नलिखित हैं:
- चेन्नई पोर्ट, कोचीन पोर्ट, दीनदयाल पोर्ट (कांडला), जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (न्हावा शेवा), कोलकाता पोर्ट, मोरमुगाओ पोर्ट, मुंबई पोर्ट, न्यू मंगलौर पोर्ट, पारादीप पोर्ट, विशाखापट्टनम पोर्ट, वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट (तूतीकोरिन), और कामराजार पोर्ट लिमिटेड।
बड़े बंदरगाह/ महापत्तन | लघु बंदरगाह/ पत्तन |
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भारत के बंदरगाह क्षेत्रक की स्थायी समस्याएं
- वित्तीय चुनौतियां: बैंकों और वित्तीय संस्थानों से वित्त-पोषण प्राप्त करने में कठिनाई निजी क्षेत्रक की भागीदारी को हतोत्साहित करती है।
- विनियामक और अन्य मंजूरी प्राप्त करने संबंधी समस्याएं: सरकार की ओर से मंजूरी और पर्यावरणीय मंज़ूरी मिलने में देरी के कारण समस्या उत्पन्न होती है।
- अवसंरचना और कनेक्टिविटी की समस्याएं: बंदरगाह क्षेत्रक में सड़क नेटवर्क और अंतर्देशीय कनेक्टिविटी पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के लिए सुदूर क्षेत्रों पर अवसंरचना की भी कमी है।
- श्रम और उत्पादकता संबंधी समस्याएं: महापत्तनों में अकुशल और अप्रशिक्षित श्रमिकों की अधिक संख्या तथा अक्सर होने वाली श्रमिक हड़तालें समस्या बनी हुई हैं।
- संचालन संबंधी कार्यक्षमता का अभाव: पुराने डिजाइन पर आधारित बंदरगाह टर्न अराउंड टाइम में सुधार करने और कार्गो की बढ़ती मात्रा की ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं।
- मौजूदा बंदरगाह का अपग्रेडेशन: पुराने और सरकारी स्वामित्व वाले बंदरगाहों के आधुनिकीकरण में आने वाली उच्च लागत और सरकारी प्रबंधन में बदलाव का विरोध, अन्य चुनौतियां हैं।
- ड्रेजिंग संबंधी समस्याएं: भारत में ड्रेजिंग क्षेत्र को संचालन संबंधी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें शामिल हैं- मानकीकरण की कमी, पुराने उपकरण, मृदा परीक्षण की अदक्ष तकनीक और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी।
- तलछट का जमाव नौवहन और बंदरगाहों के संचालन के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें रेत और गाद लगातार बहकर एक जगह जमा होती रहती है। इसलिए, जलमार्गों को साफ रखने के लिए ड्रेजिंग का काम लगातार चलता रहता है।
आगे की राह
- बंदरगाहों का आधुनिकीकरण: निम्नलिखित के जरिए कार्गो हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाना होगा:
- ड्रेजिंग के माध्यम से भारत के बंदरगाहों के न्यूनतम ड्राफ्ट को बढ़ाना चाहिए।
- न्यूनतम ड्राफ्ट से तात्पर्य एक जहाज के सुरक्षित तरीके से आवाजाही के लिए आवश्यक न्यूनतम जल-गहराई से है। न्यूनतम ड्राफ्ट यह बताता है कि जहाज के सबसे निचले हिस्से और समुद्र तल के बीच कितनी दूरी होनी चाहिए।
- आधुनिक कार्गो हैंडलिंग तकनीकों को अपनाया जाना चाहिए।
- ड्रेजिंग के माध्यम से भारत के बंदरगाहों के न्यूनतम ड्राफ्ट को बढ़ाना चाहिए।
- कनेक्टिविटी को बढ़ाना: परियोजना में देरी से बचने के लिए कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए फंड जारी करने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन करना चाहिए।
- निजी क्षेत्रक के बंदरगाहों को महापत्तन और लघु पत्तन से जोड़ना चाहिए।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) आधारित परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए:
- विदेशी शिपिंग कंपनियों को आकर्षित करने के लिए करों को कम करना चाहिए।
- लघु पत्तनों के आधुनिकीकरण के लिए निजी क्षेत्रक को वित्त-पोषण प्रदान करना चाहिए।
- PPP मोड के माध्यम से अंतर्देशीय जलमार्ग संचालन और पोत वित्त-पोषण का समर्थन करने के लिए एक विशेष समुद्री फंड स्थापित करना चाहिए।
- मंजूरी प्रक्रिया: PPP परियोजनाओं को समय पर विनियामकीय मंजूरी देने के लिए समय-सीमा निर्धारित करना चाहिए और सिंगल विंडो मंजूरी प्रणाली की व्यवस्था अपनानी चाहिए।
- डॉक्यूमेंटेशन प्रक्रिया को आसान बनाना: सभी डाक्यूमेंट्स को प्रस्तावित कॉमन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म "कार्गो सुविधा के लिए राष्ट्रीय पोर्टल" के माध्यम से प्रॉसेस करने पर बल देना चाहिए।
भारत में बंदरगाह क्षेत्रक के लिए शुरू की गई पहलें
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अन्य संबंधित तथ्य: गैलेथिया बंदरगाहकेंद्र सरकार ने भारतीय पत्तन अधिनियम, 1908 की धारा 5 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए गैलेथिया खाड़ी को 'महापत्तन' के रूप में अधिसूचित किया है। ![]()
अंडमान-निकोबार की गैलेथिया खाड़ी में ICTP का महत्त्व
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