व्यापार का शस्त्रीकरण (Trade Weaponization) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

व्यापार का शस्त्रीकरण (Trade Weaponization)

Posted 04 Feb 2025

Updated 10 Feb 2025

35 min read

सुर्खियों में क्यों?

हाल ही में, विदेश मंत्री ने व्यापार के बढ़ते शस्त्रीकरण और उसके कारण हुए रोजगार वंचन के बारे में चिंता व्यक्त की।

व्यापार का शस्त्रीकरण क्या है?

  • सरल शब्दों में, व्यापार के शस्त्रीकरण का अर्थ है व्यापार को आर्थिक लक्ष्य की बजाय विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में उपयोग करना।
  • यह अवधारणा व्यापार संबंधी नीतियों और साधनों के रणनीतिक उपयोग को व्यक्त करती है। इसमें कोई देश किसी व्यापारिक भागीदार को उसकी आर्थिक कमजोरियों और व्यापार संबंधों में असंतुलन का लाभ उठाकर आर्थिक नीति व कूटनीतिक संबंधों जैसे क्षेत्रकों में अपने व्यवहार को बदलने के लिए विवश करता है।
    • यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आम तौर पर कल्याण को बढ़ाता है, लेकिन यह असमान अंतरनिर्भरता भी पैदा कर सकता है, जहां आर्थिक संबंध टूटने पर एक पक्ष को दूसरे पक्ष की तुलना में अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  • व्यापार का एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, ताकि किसी देश को अपने सुरक्षा गठबंधनों को बदलने के लिए मजबूर किया जा सके, जैसा कि 1973 के तेल व्यापार प्रतिबंध के मामले में हुआ था।
    • 1973 में, अरब देशों ने इजरायल के लिए अमेरिका के 2.2 बिलियन डॉलर के सैन्य सहायता पैकेज के विरोध में अमेरिका और उसके सहयोगियों पर तेल व्यापार प्रतिबंध लगा दिया था।

व्यापार शस्त्रीकरण के प्रमुख साधन

  • चयनात्मक आयात/ निर्यात प्रतिबंध: उदाहरण के लिए- संयुक्त राज्य अमेरिका का काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) जो ईरान, रूस और उत्तर कोरिया को लक्षित करता है।
  • आर्थिक निर्भरता का शोषण: उदाहरण के लिए- चीन 20 महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन में अग्रणी है, जो वैश्विक उत्पादन का 60% है। साथ ही, दुर्लभ भू-धातु प्रसंस्करण का 85% चीन में संपन्न होता है।
    • यह रणनीतिक लाभ चीन को संभावित रूप से निर्यात को प्रतिबंधित करने या कीमतों में हेरफेर करने में सक्षम बनाता है। इससे वह वन चाइना पॉलिसी जैसे भू-राजनीतिक साधनों के माध्यम से अन्य देशों पर दबाव डालने में सक्षम हो जाता है। 
  • गैर-प्रशुल्क बाधाएं: कस्टम क्लीयरेंस को रोकना तथा पर्यावरण, जैव सुरक्षा, बौद्धिक संपदा मानकों आदि से संबंधित बाधाएं।
    • उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ ने कृषि उत्पादों पर सख्त लेबलिंग और प्रमाणन आवश्यकताओं को लागू किया है। इससे भारतीय किसानों के लिए यूरोपीय संघ के बाजार में अपने उत्पाद बेचना मुश्किल हो गया है।
  • मुद्रा में हेरफेर: उदाहरण के लिए, चीन पर अपनी मुद्रा के अवमूल्यन का आरोप लगाया गया है। इसका उद्देश्य वैश्विक बाजारों में चीनी निर्यात सस्ता और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है। 
  • राष्ट्रीय एजेंडे को पूरा करना: 2010 में चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता लियू शियाओबो को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद, चीन ने नॉर्वे के साथ व्यापार कम कर दिया था।
    • लियू की मृत्यु के बाद 2018 में नॉर्वे के राजा की चीन यात्रा के बाद ही व्यापार में सुधार आना शुरू हुआ था।

व्यापार शस्त्रीकरण के परिणाम

  • आर्थिक परिणाम: आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, व्यापार में कमी और सीमित बाजार पहुंच के कारण आर्थिक संवृद्धि मंद हो जाती है, नौकरियां चली जाती हैं तथा मुद्रास्फीति बढ़ जाती है। ये सभी परिणाम विशेष रूप से ग्लोबल साउथ में उपभोक्ताओं को अधिक प्रभावित करते हैं।
  • भू-राजनीतिक परिणाम: व्यापार विवादों से व्यापक भू-राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है। इससे संभावित रूप से राजनयिक संकट पैदा हो सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए- संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूक्रेन के मुद्दे पर रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए और रूस ने जवाबी प्रतिबंध लगाए। इस आर्थिक संघर्ष ने उनके तनावपूर्ण संबंधों को और खराब कर दिया, जिससे शीत युद्ध जैसा माहौल बन गया।
  • बहुपक्षीय संस्थाओं का कमजोर होना: व्यापार का शस्त्रीकरण बहुपक्षवाद के सिद्धांतों को कमजोर करता है। बहुपक्षवाद नियम-आधारित तंत्रों को स्थापित करने के लिए सहयोग पर निर्भर करता है। साथ ही, यह राष्ट्रों के बीच विश्वास को भी कम करता है।
    • उदाहरण के लिए- विश्व व्यापार संगठन की विवाद निपटान प्रणाली निष्क्रिय हो गई है, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपीलीय निकाय में नए न्यायाधीशों की नियुक्ति करने से इनकार कर दिया है।

भारत के खिलाफ व्यापार के शस्त्रीकरण का उपयोग

पश्चिमी देशों ने भारत की आर्थिक और तकनीकी कमजोरियों का फायदा उठाकर उस पर दबाव बनाने की कोशिश की है, लेकिन भारत ने इन चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया है। उदाहरण के लिए-

  • खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना: भारत ने 1954 में सार्वजनिक कानून (PL) 480 के तहत अमेरिका के साथ खाद्य सहायता समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
    • हालांकि, अमेरिका ने 1960 के दशक के अंत में सहायता रोक दी थी, क्योंकि भारत ने अमेरिका के औद्योगिक निजीकरण जैसे नीतिगत बदलावों को मानने से इनकार कर दिया था। 
    • इस पृष्ठभूमि में सी. सुब्रमण्यम ने "हरित क्रांति" की परिकल्पना की थी, जिसने अंततः भारत को खाद्यान्न का शुद्ध निर्यातक बना दिया।
  • परमाणु ऊर्जा: उदाहरण के लिए- 1974 और 1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिए थे और साथ ही, स्वदेशी स्तर पर यूरेनियम की भी कमी थी। इन सब परेशानियों को दरकिनार करते हुए भारत ने स्वदेशी थोरियम के भंडार का उपयोग करने के लिए एक विशिष्ट 3-चरणीय परमाणु कार्यक्रम विकसित किया है।

व्यापार के शस्त्रीकरण से निपटने के उपाय

  • आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन
    • आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (Supply Chain Resilience Initiative: SCRI): यह ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है। यह पहल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला नीति और सिद्धांतों को बढ़ावा देती है।
    • इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF): हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए IPEF की स्थापना की गई है।
    • खनिज सुरक्षा साझेदारी (Mineral Security Partnerships: MSP): यह महत्वपूर्ण खनिजों के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये आपूर्ति श्रृंखलाएं आधुनिक प्रौद्योगिकियों और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के लिए आवश्यक हैं।
  • प्रभुत्व को प्रतिसंतुलित करना: चाइना प्लस वन; फ्रेंड शोरिंग जैसी रणनीतियां पर विचार करना महत्वपूर्ण है।
    • चाइना प्लस वन: एक व्यावसायिक रणनीति है, जो केवल चीन में निवेश करने से रोकती है। 
    • फ्रेंड शोरिंग: आर्थिक और राजनीतिक सहयोगियों के बीच व्यापार को बढ़ाने पर केंद्रित है। 
  • घरेलू उत्पादन को मजबूत करना: महत्वपूर्ण वस्तुओं के उत्पादन के लिए स्थानीय उद्योगों में निवेश करने से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है।
    • उदाहरण के लिए- भारत ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए "मेक इन इंडिया", "आत्मनिर्भर भारत" और उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना: विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय संगठनों को नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने और व्यापार विवादों को हल करने के लिए सशक्त बनाया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

व्यापार का बढ़ता शस्त्रीकरण वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां प्रस्तुत करता है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देकर, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाकर, आर्थिक लचीलापन बढ़ाकर और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देकर, राष्ट्र इन जोखिमों को कम कर सकते हैं। साथ ही, अधिक स्थिर और समृद्ध भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं।

  • Tags :
  • IPEF
  • आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल
  • व्यापार का शस्त्रीकरण
  • फ्रेंड शोरिंग
Download Current Article
Subscribe for Premium Features