संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (United Nations Peacekeeping) | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना (United Nations Peacekeeping)

01 Jul 2025
26 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, जर्मनी के बर्लिन शहर में यू.एन. पीसकीपिंग यानी संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना की मंत्रिस्तरीय बैठक (United Nations Peacekeeping Ministerial Meeting) 2025 संपन्न हुई।

संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना की मंत्रिस्तरीय बैठक 2025 के बारे में

  • इस बैठक को जर्मनी द्वारा सह-आयोजित और होस्ट किया गया था।
  • यह शांति स्थापना के भविष्य पर चर्चा करने के लिए एक उच्च-स्तरीय राजनीतिक मंच के रूप में कार्य करता है।
  • यह बैठक 2015 के न्यूयॉर्क शांति स्थापना शिखर सम्मेलन की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित हुई थी।
  • मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत ने क्विक रिएक्शन फोर्स (QRF) की एक कंपनी, महिला-नेतृत्व वाली एक पुलिस यूनिट, SWAT पुलिस की एक यूनिट और शांति स्थापना प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण एवं भागीदारी की घोषणा की है।

यू.एन. पीसकीपिंग यानी संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के बारे में

  • उत्पत्ति: यू.एन. पीसकीपिंग की शुरुआत 1948 में हुई थी, जब मध्य पूर्व में युद्धविराम की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र युद्धविराम पर्यवेक्षण संगठन (United Nations Truce Supervision Organization: UNTSO) की स्थापना की गई थी।
  • तैनाती: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एक संकल्प पारित करके शांति स्थापना से संबंधित मिशन को शुरू करने का आदेश देती है।
    • मिशन के लिए बजट और संसाधनों को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मंजूरी प्रदान की जाती है।
  • युद्ध विराम या शांति समझौतों से जुड़े मिशनों के मुख्य नियमों/ सिद्धांतों में शामिल हैं:
    • संघर्ष में शामिल पक्षकारों की सहमति;
    • निष्पक्षता; तथा 
    • आत्मरक्षा या दिए गए मिशन की रक्षा के लिए जब तक जरूरी न हो बल (हिंसा) का प्रयोग नहीं करना
  • गवर्नेंस: संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना अभियान विभाग (Department of Peace Operations: DPO) का औपचारिक रूप से 1992 में गठन किया गया था। यह दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों को राजनीतिक एवं कार्यकारी दिशा प्रदान करता है।
    • वर्तमान में यह विभाग पश्चिमी सहारा, गोलन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य जैसे क्षेत्रों में 11 शांति स्थापना मिशन संचालित कर रहा है। 
  • पुरस्कार और सम्मान: इसे वर्ष 1988 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • सिद्धांत:
    • कैपस्टोन सिद्धांत: यह संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों के मार्गदर्शक सिद्धांतों और मुख्य उद्देश्यों को निर्धारित करता है।
      • यह क्षेत्र में सेवा करने के लिए तैयार हो रहे सैन्य, पुलिस और सिविल कर्मियों हेतु प्रशिक्षण सामग्री के विकास के लिए एक आधार भी प्रदान करता है।
    • रिस्पॉन्सिबिलिटी टू प्रोटेक्ट (R2P) का सिद्धांत (2005): यह सिद्धांत हिंसा और उत्पीड़न के सबसे भीषण रूपों को समाप्त करने के लिए एक राजनीतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

यू.एन. पीसकीपिंग में भारत का योगदान

  • सबसे अधिक सैन्य योगदान: भारत अब तक 2,90,000 से अधिक शांति रक्षक सैनिकों को 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र (UN) मिशनों में भेज चुका है।
    • वर्तमान में भारत नेपाल, रवांडा और बांग्लादेश के बाद 5,375 कर्मियों के साथ चौथा सबसे बड़ा सैनिक-प्रदाता देश है।
    •  भारत ने कोरियाई युद्ध के युद्धविराम और साइप्रस, कांगो जैसे मिशनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • क्षमता निर्माण: भारतीय थल सेना ने नई दिल्ली में भारत का सेंटर फॉर यू.एन. पीसकीपिंग (CUNPK) स्थापित किया है। यह संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना प्रशिक्षण के लिए राष्ट्र के केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है।
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देना: भारत पहला देश है, जिसने 2007 में लाइबेरिया में पूरी तरह से महिला सैन्य कर्मियों से युक्त टुकड़ी भेजी थी।

 

शांति स्थापना के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियां

  • शांति रक्षक सैनिकों को निशाना बनाना: उदाहरण के लिए- यू.एन. इंटरिम फोर्स इन लेबनान (UNIFIL) के शांति रक्षक सैनिक इजरायल-लेबनान संघर्ष के दौरान घायल हो गए थे।
  • मेजबान देशों का विरोध: उदाहरण के लिए- सूडान ने अफ्रीकन यूनियन-यूनाइटेड नेशंस हाइब्रिड ऑपरेशन इन दारफुर (UNAMID) का विरोध किया था।
  • विश्वसनीयता से जुड़े मुद्दे: जैसे- 1990 के दशक में शांति रक्षक सैनिक रवांडा और स्रेब्रेनिका में नरसंहार को रोकने में असफल रहे थे।
  • संघर्षों की बदलती प्रकृति: अब देशों के बीच नहीं, बल्कि एक ही देश के अंदर राज्यों या समूहों के बीच ज्यादा संघर्ष हो रहे हैं। इसके अलावा, आतंकवादी रणनीति का उपयोग करने वाले सशस्त्र समूहों की बदलती प्रोफ़ाइल और नई पीढ़ी के हथियारों का अनियंत्रित प्रसार भी महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं।
  • अन्य: शांति सैनिकों के आवागमन की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध; राजनीतिक समाधान में देरी; सुव्यवस्थित, सुसज्जित और प्रशिक्षित बलों की कमी; निर्णय लेने में प्रमुख सैन्य योगदान देने वाले देशों की भागीदारी की कमी, आदि।

निष्कर्ष

यदि ब्राहिमी रिपोर्ट (2000) और संयुक्त राष्ट्र के हाई-लेवल इंडिपेंडेंट पैनल ऑन पीस ऑपरेशंस (HIPPO) (2015) की सिफारिशों को लागू किया जाए, तो संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इन सिफारिशों में कहा गया है कि जब किसी देश में संकट की स्थिति पैदा हो, तो संयुक्त राष्ट्र एवं सुरक्षा परिषद को जल्दी और समय पर कार्रवाई करनी चाहिए। इससे मिशन की सफलता की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। आगे चलकर, शांति स्थापना मिशनों को नए सुरक्षा खतरों, लैंगिक मुद्दों और मानवाधिकार संबंधी चुनौतियों के अनुसार स्वयं को अनुकूलित करना होगा। इसके साथ ही, फंडिंग की कमी और वैधता से जुड़ी समस्याओं को भी सुलझाना होगा। यह भी ज़रूरी है कि शांति रक्षक सैनिकों को अच्छा प्रशिक्षण दिया जाए, उन्हें जरूरी उपकरण दिए जाएं तथा वे संयुक्त राष्ट्र और जिन लोगों की सेवा कर रहे हैं, उनके प्रति जवाबदेह भी हों।

Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features