शक्ति/ SHAKTI (भारत में पारदर्शी तरीके से कोयला दोहन व आवंटन करने की योजना) नीति
Posted 01 Jul 2025
Updated 24 Jun 2025
21 min read
सुर्ख़ियों में क्यों?
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विद्युत क्षेत्र को कोयला आवंटन के लिए संशोधित शक्ति नीति को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य
विशेषताएं
एक निष्पक्ष एवंपारदर्शी कोयला आवंटन तंत्र के माध्यम से सभी ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
उत्पादन लागत में कमी लाने के लिए उत्पादकों को सस्ती दर पर कोयला प्राप्त करने में मदद करना।
लिंकेज कोयले के लाभों को अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचाना।
आयातित कोयले पर निर्भरता कम करना तथा घरेलू कोयला उद्योग को बढ़ावा देना।
शक्ति (SHAKTI) नीति के बारे में:
शुरुआत: वर्ष 2017
मंत्रालय: कोयला मंत्रालय
कार्यान्वित: कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (SCCL)
ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति पहले नई कोयला वितरण नीति (New Coal Distribution Policy: NCDP), 2007 के तहत की जाती थी।
इन नीतियों के तहत, कोयले की आपूर्ति कोयला कंपनियों और विद्युत संयंत्रों के बीच हुए ईंधन आपूर्ति समझौते (Fuel Supply Agreement: FSA) के वाणिज्यिक नियमों और शर्तों के अनुसार की जाती थी।
विद्युत क्षेत्रक के लिए NCDP के कोयला लिंकेज के प्रावधानों को शक्ति नीति, 2017 द्वारा बदल दिया गया है।
शक्ति नीति, 2017 का उद्देश्य पूर्ववर्ती लेटर ऑफ एश्योरेंस (LoA) - FSA व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से खत्म करना है।
शक्ति के तहत, कोयला आवंटन तंत्र को नामांकन-आधारित प्रणाली से हटाकर पारदर्शी नीलामी/ टैरिफ-आधारित बोली प्रक्रिया के माध्यम से कोयला लिंकेज के आवंटन में बदल दिया गया है।
संशोधित शक्ति नीति की मुख्य विशेषताएं
सरलीकृत आवंटन ढांचा: इस नीति ने कोयला आवंटन को सुव्यवस्थित किया है। पहले की 8 श्रेणियों को अब 2 सरल तंत्रों में समेकित किया गया है, जिससे विद्युत क्षेत्रक में व्यापार करने में आसानी बढ़ेगी।
विंडो-I:केंद्र और राज्य सरकारों के स्वामित्व वाले ताप विद्युत संयंत्रों, जिनमें उनके संयुक्त उद्यम और सहायक कंपनियां शामिल हैं, को अधिसूचित कीमतों पर कोयला लिंकेज मिलना जारी रहेगा।
विंडो-II: घरेलू या आयातित कोयले का उपयोग करने वाले उत्पादकों सहित सभी ताप विद्युत उत्पादक अब अधिसूचित मूल्य से अधिक प्रीमियम का भुगतान करके नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से कोयला खरीद सकते हैं।
अनिवार्य PPAs (पॉवर परचेज एग्रीमेंट्स) को समाप्त करना: विंडो-II के लिए, PPAs की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। इससे निजी क्षेत्रक की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
विद्युत क्षेत्रक की गतिशील कोयला मांगों को पूरा करना: नीलामी प्रक्रिया के तहत कोयला 12 महीने से लेकर 25 वर्षों तक के लिए खरीदा जा सकता है।
'पिटहेड' विद्युत संयंत्रों को प्राथमिकता: यह नीति मुख्य रूप से पिटहेड स्थलों यानी कोयला स्रोत के नजदीक ग्रीनफील्ड ताप विद्युत संयंत्र स्थापित करने को बढ़ावा देगी।
राज्यों के लिए पावर एग्रीगेशन: राज्यों का एक समूह नामित एजेंसियों के माध्यम से टैरिफ-आधारित बोली प्रक्रिया के तहत सामूहिक रूप से विद्युत खरीद सकता है।
आयात प्रतिस्थापन: आयातित कोयला-आधारित संयंत्रों को विंडो-II के तहत घरेलू कोयले का उपयोग करने की अनुमति दी गई, जिससे कोयले के आयात पर निर्भरता कम होगी।
लिंकेज का युक्तिकरण: इसका उद्देश्य कोयले की वितरण लागत और रेलवे पर भार कम करना है। इसके चलते उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बिजली प्राप्त होगी।
शक्तियों का प्रत्यायोजन:
छोटे-मोटे नीतिगत बदलाव करने का अधिकार कोयला मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय को सौंप दिया गया है।
परिचालन संबंधी समस्याओं का समाधान करने के लिए एम्पावर्ड कमेटी का गठन किया गया है।
मौजूदा ईंधन आपूर्ति समझौते (FSA) धारकों के लिए लचीलापन: मौजूदा FSA धारक विंडो-II के तहत 100% वार्षिक अनुबंधित मात्रा (ACQ) से अधिक कोयले की खरीद कर सकते हैं। पुराने लिंकेज की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें संशोधित नीति के तहत नई आवेदन प्रक्रिया की अनुमति दी गई है।
बिना मांग वाली अधिशेष बिजली की बिक्री: जो विद्युत संयंत्र अपनी अतिरिक्त बिजली नहीं बेच पाते थे, अब वे उसे विद्युत बाजारों में बेच सकते हैं। इससे विद्युतबाजार का विस्तार होगा और उसकीकार्यक्षमता में सुधार होगा।
प्रमुख लाभार्थी:
विद्युत कंपनियां (कोयले की सुनिश्चित आपूर्ति मिलेगी)
उपभोक्ता (सस्ती बिजली मिलेगी)
घरेलू कोयला क्षेत्रक (आयातित कोयले पर निर्भरता घटेगी)