सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टालु हिल पर नक्सलवादियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान चलाया।
अन्य संबंधित तथ्य

- यह अभियान 31 मार्च, 2026 तक भारत को नक्सल-मुक्त बनाने के लक्ष्य के अनुरूप संचालित किया गया था।
भारत में नक्सलवाद
- पृष्ठभूमि: नक्सलवाद या वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism: LWE) की उत्पत्ति 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी आंदोलन से हुई थी।
- विचारधारा: नक्सलवाद की जड़ें सामाजिक-आर्थिक असमानताओं में निहित हैं और यह माओवादी सिद्धांतों से प्रेरित है। नक्सलवाद ने मूल रूप से देश के कुछ सबसे दुर्गम, पिछड़े और जनजातीय बहुल क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
- उद्देश्य: इस आंदोलन का उद्देश्य सशस्त्र विद्रोह और समानांतर शासन व्यवस्थाओं के माध्यम से भारतीय राज्य को कमजोर करना है। नक्सलवादी विशेष रूप से सुरक्षा बलों, सार्वजनिक अवसंरचनाओं और लोकतांत्रिक संस्थाओं को निशाना बनाते हैं।
- भारत का 'लाल गलियारा': इस गलियारे में वे राज्य शामिल हैं, जो नक्सलवाद से प्रभावित हैं। इनमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश राज्य तथा आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- नक्सलियों की कार्यप्रणाली: नक्सली अक्सर सशस्त्र हिंसा, फिरौती वसूली और सरकारी अवसंरचना को नष्ट करते हैं तथा अपनी कार्रवाइयों को अंजाम देने के लिए बच्चों व नागरिकों की भर्ती करते हैं।
नक्सलवादी गतिविधियों में गिरावट के कारण

भारत की वामपंथी-उग्रवाद विरोधी (LWE) रणनीति में सुरक्षा, विकास और प्रभावित समुदायों तक पहुंच जैसे कदम शामिल हैं। इस रणनीति ने नक्सलवादी गतिविधियों को काफी हद तक कम कर दिया है। नक्सलवादी गतिविधियों में गिरावट में योगदान देने वाले कुछ विशेष कारक इस प्रकार हैं:
- सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाना:
- समाधान सिद्धांत (SAMADHAN Doctrine): इस सिद्धांत में सुरक्षा अभियानों के लिए संपूर्ण रणनीति को समाहित किया गया है। इसमें अल्पकालिक नीति से लेकर अलग-अलग स्तरों पर तैयार की गई दीर्घकालिक नीतियां भी शामिल है।
- इसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Central Armed Police Forces: CAPFs) की तैनाती, इंडिया रिजर्व (IR) बटालियन को मंजूरी देना और राज्य सरकारों की मदद के लिए राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण व उन्नयन में सहायता करना शामिल है।
- सुरक्षा से संबंधित व्यय योजना: केंद्रीय गृह मंत्रालय की इस योजना का उद्देश्य राज्य सरकारों को उनके सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण, अभियान संचालन की आवश्यकताओं, अनुग्रह राशि का भुगतान और सुरक्षा-संबंधी अन्य लागतों की प्रतिपूर्ति करके उनका (राज्य सरकार) क्षमता निर्माण करना है।
- विशेष अवसंरचना योजना (Special Infrastructure Scheme: SIS): इसके तहत राज्य खुफिया एजेंसियों, विशेष सुरक्षा बलों, जिला पुलिस और फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों को मजबूत करने के लिए फंड प्रदान किया जाता है।
- इंटेलिजेंस एवं ऑपरेशन: कई एजेंसियों के समन्वय से रियल टाइम आधार पर खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान से नक्सलियों के खिलाफ सटीक ऑपरेशन चलाना संभव हो पाया है।
- वित्तीय कार्रवाई: धन-शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act: PMLA) के क्रियान्वयन और फंड जब्ती के माध्यम से नक्सलियों के वित्तीय स्रोतों को निशाना बनाया गया है।
- विकास अभियान:
- नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में अवसंरचना और आवश्यक सेवाओं की कमियों को विशेष केंद्रीय सहायता (Special Central Assistance: SCA) द्वारा पूरा किया जा रहा है।
- वित्तीय समावेशन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बैंक शाखाओं, एटीएम व डाकघरों की स्थापना की जा रही है और बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट्स की नियुक्ति की जा रही है।
- कौशल विकास और शिक्षा प्रदान करने से जुड़ी पहलें चलाई जा रही हैं। जैसे- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आई.टी.आई., कौशल विकास केंद्रों, और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की स्थापना की जा रही है।
- स्थानीय आबादी को विविध सुविधाएं प्रदान करने के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान शुरू किया गया है।
- 3-C कनेक्टिविटी पर ध्यान दिया गया है। 3-C से आशय है- रोड कनेक्टिविटी, मोबाइल कनेक्टिविटी और फाइनेंशियल कनेक्टिविटी।
- सामुदायिक सहभागिता और सुरक्षा बलों के प्रति स्थानीय समुदाय की धारणा में बदलाव:
- सिविल एक्शन प्रोग्राम (CAP) के तहत सुरक्षा बलों को मानवीय तरीके से पेश आने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे उनके तथा स्थानीय लोगों के बीच बेहतर संवाद और तालमेल सुनिश्चित होता है।
- माओवादी दुष्प्रचार से निपटने के लिए स्थानीय युवाओं की आकांक्षाओं को बढ़ाने और उन्हें विकास व अवसरों के बारे में जागरूक करने के लिए मीडिया प्लानिंग की जा रही है।
- सहायता योजनाएं: 'आतंकवाद/ सांप्रदायिक हिंसा/ वामपंथी उग्रवाद हिंसा से प्रभावित नागरिकों या उनके परिजनों के लिए केंद्रीय सहायता योजना (Central Scheme for Assistance to Civilian Victims/Family of Victims of Terrorist/ Communal/LWE Violence: CSACV)' के तहत प्रभावित नागरिकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
नक्सलवाद के उन्मूलन में लगातार बनी चुनौतियां
- हिंसात्मक विचारधारा: नक्सलवाद से निपटने में मुख्य चुनौती माओवादी विचारधारा है। यह विचारधारा हिंसा को महिमामंडित करती है और लोकतांत्रिक सरकार की व्यवस्था को खत्म करने का लक्ष्य रखती है।
- फ्रंट संगठन और बाहरी गठजोड़: ये संगठन भारत की कानून व्यवस्था का दुरुपयोग करते हैं, कैडरों की भर्ती करते हैं, फंड एकत्रित करते हैं और कभी-कभी बाहरी समर्थन से दूसरे उग्रवादी समूहों के साथ मिलकर काम करते हैं।
- दुर्गम भू-क्षेत्र: कर्रेगुट्टालु हिल जैसे दुर्गम और जनजातीय क्षेत्रों की प्रतिकूल भौगोलिक अवस्थितियां एवं जलवायु दशाएं नक्सल विरोधी अभियानों को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं।
- स्थानीय लोगों का शासन और प्रशासन में विश्वास की कमी: रहन-सहन एवं संस्कृति अलग होने तथा अधिकारियों के प्रति गलत धारणाएं वास्तव में स्थानीय लोगों में प्रशासन व सुरक्षा बलों के प्रति अविश्वास पैदा करती हैं। इससे कल्याणकारी उपायों द्वारा स्थानीय समुदाय का विश्वास जीतने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
आगे की राह
- प्रशासन में विश्वास की कमी को दूर करना: प्रशासन में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाकर उनके विश्वास को मजबूत किया जा सकता है।
- बंद्योपाध्याय समिति ने सिफारिश की थी कि भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास नीतियां जनजाति हितैषी होनी चाहिए, ताकि नक्सलवाद के प्रसार को रोका जा सके।
- अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने वाली नीतियों को सावधानीपूर्वक लागू किया जाना चाहिए। जैसे कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 को इस तरह लागू किया जाना चाहिए, जिससे स्थानीय समुदायों को गौण वनोपज पर अधिकार मिल सके।
- नक्सलवादी विचारधारा की चुनौती से निपटना: माओवादी हिंसक विचारधारा से निपटने के लिए संविधान में निहित लोकतांत्रिक सिद्धांतों के संरक्षण और उन्हें प्रसारित करने पर बल देना चाहिए।
- सुरक्षा मजबूत करना और क्षमता निर्माण: स्थानीय पुलिस बलों के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए। साथ ही, खुफिया जानकारी प्रदान करने वाली स्मॉल यूनिट्स (जैसे ग्रेहाउंड्स) का उपयोग करके नक्सल-विरोधी अभियानों को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है।
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय: केंद्र और राज्य सरकारों की भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से निर्धारित करके समन्वित प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए। इससे उग्रवाद के खिलाफ प्रभावी लड़ाई लड़ी जा सकती है और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।