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सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर्स का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव (Social Media Influencers’ Impact On National Security)

01 Jul 2025
35 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, हरियाणा की एक यूट्यूब व्लॉगर/ इन्फ्लुएंसर को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

अन्य संबंधित तथ्य 

  • इस सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धारा 3 और 5 (बॉक्स देखें) तथा भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
    • भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 'भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों' से संबंधित है।

ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 (OSA) के बारे में

  • उद्देश्य: विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में सरकार की निजता और गोपनीयता की रक्षा करना।
  • लागू होना: यह कानून संपूर्ण भारत में लागू है। सरकार के किसी भी विभाग के अंतर्गत काम करने वाले कर्मचारियों, संविदा पर कार्यरत व्यक्तियों या सरकार की ओर से नियुक्त कर्मचारियों और विदेशों में कार्यरत भारतीय नागरिकों पर भी यह लागू है।
  • कानून की महत्वपूर्ण विशेषताएं
    • यह कानून जासूसी, राजद्रोह और देश की एकता व अखंडता के लिए खतरा बनने वाली अन्य गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया है।
    • सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 की धारा 22 RTI अधिनियम को 1923 के OSA तथा उस समय लागू किसी भी अन्य कानून या दस्तावेज़ पर वरीयता प्रदान करती है।
    • RTI अधिनियम, 2005 की धारा 8(2) लोक प्राधिकरणों को ऐसी सूचना का खुलासा करने की अनुमति देती है, जिसे अन्यथा धारा 8(1) के अंतर्गत छूट प्राप्त है, बशर्ते कि खुलासे में लोक हित, संरक्षित हितों को होने वाले संभावित नुकसान से अधिक हो।
    • RTI अधिनियम की धारा 8(1) नागरिकों को सूचना के अनिवार्य प्रकटीकरण के सामान्य नियम से छूट सूचीबद्ध करती है।
  • ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 की महत्वपूर्ण धाराएं
  • धारा 3- जासूसी के लिए दंड: प्रतिबंधित क्षेत्रों तक पहुंचना, दुश्मनों के लिए स्केच बनाना, या गुप्त कोड साझा करना जैसी गतिविधियों में शामिल होना जो भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकती हैं, दंडनीय अपराध है।
  • धारा 5- जानकारी का गलत संचार: गुप्त आधिकारिक जानकारी का खुलासा करना, इसे विदेशी लाभ के लिए उपयोग करना, या इसे सुरक्षित करने में विफल रहना दंडनीय अपराध है।

 

राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का खतरा

  • मनोवैज्ञानिक युद्ध को बढ़ावा देना: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स गलत जानकारी और झूठी जानकारी फैलाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालते हैं। वे विदेशी ताकतों के विचारों को आम जनता तक पहुंचाकर उनकी सोच को प्रभावित करते हैं।
    • उदाहरण के लिए- चीन अपने इन्फ्लुएंसर्स का शिंजियांग में उइगर मुस्लिमों की समस्याओं पर वैश्विक आलोचना का जवाब देने के लिए इस्तेमाल करता है।
  • जासूसी गतिविधियों को सुविधाजनक बनाना: वे अपने प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से अनजाने में या जानबूझकर संवेदनशील जानकारी फैलाकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए- पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी द्वारा ज्योति मल्होत्रा जैसी इन्फ्लुएंसर्स को कथित रूप से भर्ती किया गया था।
  • सामाजिक ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक तनाव: उदाहरण के लिए- भारत सरकार ने मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) में हिंसा भड़काने के लिए फेक न्यूज़, एडिट किए गए वीडियो और हेट स्पीच फैलाने में शामिल 1,093 फेसबुक, एक्स (ट्विटर), इंस्टाग्राम और यूट्यूब एकाउंट्स को ब्लॉक किया था।
  • विदेशी प्रभाव और हाइब्रिड युद्ध: खालिस्तान समर्थक इन्फ्लुएंसर्स {उदाहरण के लिए- सिख फॉर जस्टिस (SFJ)-समर्थित एकाउंट्स} यूट्यूब/ ट्विटर के माध्यम से अलगाववादी प्रचार फैलाते हैं।
    • भारत सरकार ने "पंजाब पॉलिटिक्स टीवी" जैसे विदेशी सोशल मीडिया चैनल्स को SFJ से संबंध होने के कारण ब्लॉक किया है।
  • आतंकवाद का प्रचार: आतंकी संगठन सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके कट्टरपंथी विचार फैलाते हैं और युवाओं को गुमराह करके आतंकवाद की ओर ले जाते हैं। सोशल मीडिया में निहित गुमनामी और वैश्विक पहुंच इस काम को आसान बनाती है।
    • हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बुरहान वानी कश्मीर में सोशल मीडिया-आधारित मनोवैज्ञानिक युद्ध का मुख्य सूत्रधार था।
    • उदाहरण के तौर पर- अलकायदा ने अनवर अल-अव्लकी जैसे यूट्यूब प्रचारकों का भावनात्मक रूप से भड़काने वाले कंटेंट के माध्यम से लोगों को प्रभावित करने और उन्हें आतंकवादी संगठनों में भर्ती करने के लिए उपयोग किया था।

मुख्य शब्दावलियां 

  • मनोवैज्ञानिक युद्ध (Psychological Warfare- Psywar): यह युद्धों या भू-राजनीतिक तनावों के समय में प्रोपेगेंडा, धमकी और अन्य गैर-सैन्य रणनीतियों के योजनाबद्ध तरीके से उपयोग को कहते हैं। इसका उद्देश्य दुश्मन को गुमराह करना, डराना और मानसिक रूप से कमजोर करना होता है।
  • दुष्प्रचार (Disinformation): इसके तहत जानबूझकर गलत जानकारी फैलाई जाती है, जिसका उद्देश्य जानकारी के प्राप्तकर्ताओं को धोखा देना होता है।  
  • गलत जानकारी (Misinformation): इसके तहत झूठी सूचना को उसके प्राप्तकर्ताओं को धोखा देने के इरादे के बिना फैलाया जाता है, हालांकि इसका प्रभाव दुष्प्रचार के समान ही हो सकता है। 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष इन्फ्लुएंसर्स के खतरे से निपटने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • कानूनी ढांचा और नीतियां
    • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT Act): अधिनियम की धारा 69A सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा, लोक व्यवस्था, या संप्रभुता के हित में ऑनलाइन कंटेंट को ब्लॉक करने का अधिकार देती है।
    • सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021:
      • इन नियमों के तहत प्लेटफॉर्म्स द्वारा शिकायत अधिकारियों की नियुक्ति करने, 36 घंटे के भीतर गैर-कानूनी कंटेंट हटाने तथा सरकार के अनुरोध पर संदेश भेजने वाले मूल स्रोत का पता लगाने जैसे प्रावधान किए गए हैं। 
      • नियम 3(1)(b)(v): "लोक व्यवस्था" या राष्ट्रीय अखंडता को खतरे में डालने वाले कंटेंट पर प्रतिबंध लगाता है।
    • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के तहत प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने एक आधिकारिक फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना की: यह फर्जी खबरों से निपटने के लिए आधिकारिक तथ्य-जांच निकाय है। इसका कार्य फेक न्यूज़ का खंडन करना और लोगों को सही जानकारी प्रदान करना है।
    • अधिकारियों को नियमित रूप से ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट, 1923 और केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 की जानकारी दी जाती है: इसका उद्देश्य संवेदनशील जानकारी की अनधिकृत लीक को रोकना और जासूसी व गलत सूचना के खतरों के प्रति आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना है।
  • ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रोपेगेंडा युद्ध से निपटने के लिए उठाए गए कदम
    • गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान और नेपाल की सीमा से सटे राज्यों को निर्देश दिए कि वे सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों पर राष्ट्रविरोधी प्रोपेगेंडा पर कड़ी निगरानी रखें।
      • उल्लंघन करने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई और स्थानीय प्रशासन, सेना एवं अर्धसैनिक बलों के बीच समन्वय का निर्देश दिया गया।
    • राज्यों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत भारत के खिलाफ फेक नैरेटिव फैलाने वाले सोशल मीडिया एकाउंट्स को ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया।
    • सरकार ने पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा में वृद्धि के बीच जनता से PIB फैक्ट चेक यूनिट को फेक न्यूज रिपोर्ट करने का आग्रह किया।

निष्कर्ष 

भारत की यह बहु-स्तरीय रणनीति पारंपरिक कानून जैसे कि ऑफिसियल सीक्रेट्स एक्ट और आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी नियमों (IT Rules) को जोड़कर एक मजबूत ढांचा तैयार करती है। यह ढांचा पारंपरिक जासूसी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के जरिए फैलाए जाने वाले डिजिटल खतरों दोनों से निपटने में सक्षम है।

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