भारत-यूनाइटेड किंगडम मुक्त व्यापार समझौता {INDIA-UK FREE TRADE AGREEMENT (FTA)} | Current Affairs | Vision IAS
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भारत-यूनाइटेड किंगडम मुक्त व्यापार समझौता {INDIA-UK FREE TRADE AGREEMENT (FTA)}

Posted 01 Jul 2025

Updated 23 Jun 2025

32 min read

सुर्ख़ियों में क्यों? 

भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) ने तीन वर्षों की औपचारिक वार्ता के बाद मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर की घोषणा की।

अन्य संबंधित तथ्य

  • कानूनी दस्तावेज को अंतिम रूप दिए जाने के बाद भारत-यू.के. FTA को लागू किया जाएगा।
  • इसमें डिजिटल व्यापार, पर्यावरण जैसे 27 अध्याय शामिल होंगे।
  • दोनों देशों ने पारस्परिक डबल कंट्रिब्यूशंस कन्वेंशन (DCC) पर वार्ता करने के लिए भी सहमति व्यक्त की है।
    • DCC एक प्रकार का सामाजिक सुरक्षा समझौता है।
      • DCC यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों देशों में आवागमन करने वाले कर्मचारी और उनके नियोक्ताओं को, एक समय में केवल एक देश में ही सामाजिक सुरक्षा अंशदान में योगदान या भुगतान करना पड़े। इससे दोहरी देनदारी से बचाव होगा और व्यापारिक गतिविधियां सरल एवं सुविधाजनक बनेंगी।
        • जो कर्मचारी एक देश से दूसरे देश में अपनी कंपनी के लिए अस्थायी रूप से (अर्थात् तीन साल तक) काम करने जाते हैं, वे भी इस समझौते (DCC) के तहत शामिल होंगे। ऐसे कर्मचारी और उनके नियोक्ता केवल अपने मूल देश में ही सामाजिक सुरक्षा टैक्स देंगे, उन्हें दूसरे देश में अलग से सामाजिक सुरक्षा टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
      • यह व्यवस्था किसी कर्मचारी के उस देश से लाभ पाने के अधिकार को प्रभावित नहीं करेगी, जहां वह सामाजिक सुरक्षा टैक्स का भुगतान करता है। साथ ही, यू.के. इमिग्रेशन हेल्थ सरचार्ज (IHS) का भुगतान करना अभी भी अनिवार्य रहेगा।

भारत-यू.के. FTA की मुख्य विशेषताएं

  • शून्य-शुल्क बाजार पहुंच: लगभग 99% भारतीय निर्यात पर यू.के. के बाजार में कोई शुल्क (ड्यूटी) नहीं लगेगा, जो व्यापार मूल्य का लगभग 100% कवर करेगा।
    • दूसरी ओर, भारत देश में बेचे जाने वाले 90% ब्रिटिश उत्पादों पर शुल्क में कटौती करेगा। 
    • एक दशक के भीतर, भारत में बेचे जाने वाले 85% ब्रिटिश उत्पाद टैरिफ-मुक्त हो जाएंगे।
  • भारतीय पेशेवरों के लिए आवागमन को आसान बनाता है: इसमें कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले सेवा प्रदाता; व्यवसाय के काम से आने जाने वाले लोग; निवेशक; राइट टू वर्क के तहत कंपनियों के भीतर स्थानांतरित कर्मचारी, उनके जीवनसाथी और आश्रित बच्चे; स्वतंत्र पेशेवर जैसे कि योग प्रशिक्षक आदि शामिल हैं।
  • सेवाओं के क्षेत्र में यू.के. की महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धता: इस समझौते के तहत यू.के. ने भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और IT-सक्षम सेवाएं, वित्तीय सेवाएं, पेशेवर सेवाएं, अन्य व्यावसायिक सेवाएं और शैक्षिक सेवाओं जैसे क्षेत्रों में व्यापक और ऐतिहासिक बाज़ार पहुँच प्रदान की है।
  • यू.के. की कंपनियों को खरीद प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति: अब UK की कंपनियां भारत में केंद्र सरकार और सरकारी कंपनियों को जरूरी वस्तुओं, सेवाएं एवं निर्माण कार्यों के लिए आपूर्ति से जुड़ी खरीद के लिए बोली लगा सकेंगी।

मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में

  • FTAs ऐसे समझौते होते हैं, जो दो या दो से अधिक देशों या व्यापारिक समूहों के बीच किए जाते हैं। इनमें यह तय किया जाता है कि वे आपसी व्यापार पर लगने वाले सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) एवं अन्य गैर-प्रशुल्क व्यापारिक बाधाओं को कम या खत्म करेंगे, ताकि बड़े पैमाने पर आसानी से व्यापार किया जा सके।
  • यह समझौता वस्तुओं (जैसे- कृषि एवं उद्योग से जुड़े उत्पाद) और सेवाओं (जैसे- बैंकिंग, कंस्ट्रक्शन, ट्रेडिंग आदि) के व्यापार को आसान बनाता है। इसके अलावा, बौद्धिक संपदा (IPR) जैसे मुद्दों को भी इसमें शामिल किया जाता है।
    • अर्ली हार्वेस्ट स्कीम FTAs और अन्य व्यापार समझौतों की पूर्ववर्ती योजना होती है। अर्ली हार्वेस्ट स्‍कीम वस्तुतः व्यापार करने वाले दो भागीदार देशों के मध्य FTA से पूर्व किए जाने वाला एक अनुबंध है।
  • FTAs विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) सिद्धांत के अपवाद के रूप में कार्य करते हैं।
  • स्थिति: SBI की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपने निर्यातोन्मुखी घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए मॉरीशस, UAE, ऑस्ट्रेलिया जैसे अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ पिछले पांच वर्षों में 13 FTAs पर हस्ताक्षर किए हैं।

FTAs को लेकर भारत का अनुभव

  • व्यापार असंतुलन में वृद्धि: 2017 और 2022 के बीच, भारत के FTA भागीदारों के साथ निर्यात में 31% की वृद्धि हुई, जबकि आयात में 82% की वृद्धि हुई।
  • पूरी क्षमता का उपयोग न कर पाना: भारत द्वारा FTA का उपयोग अपेक्षाकृत कम है और यह लगभग 25% के आसपास,है, जबकि विकसित देशों में यह दर 70-80% तक होती है।
  • गैर-प्रशुल्क बाधाएं: ग्लोबल ट्रेड अलर्ट डेटाबेस से पता चलता है कि 2020 और 2024 के बीच, वैश्विक स्तर पर व्यापार एवं निवेश से संबंधित 26,000 से अधिक नए प्रतिबंध लगाए गए हैं।
  • असमान प्रतिस्पर्धा: उदाहरण के लिए- दक्षिण कोरिया और आसियान के विनिर्माण क्षेत्रक ने इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों में भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
  • अन्य: प्रमाणन आवश्यकता और मूल देश में उत्पादन के नियम (रूल्स ऑफ ओरिजिन) संबंधी जटिलता आदि विद्यमान हैं।

नोट: व्यापार समझौते का मूल्यांकन केवल व्यापार संतुलन के आधार पर नहीं किया जा सकता। इसके अलावा और भी फायदे हो सकते हैं, जैसे- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, मूल्य संवर्धित आपूर्ति श्रृंखला, बेहतर आपसी संबंध, व्यापार से संबंधित निवेश प्रवाह, विविध प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं तक बेहतर पहुंच, आदि।

 

भारत-यू.के. FTA भविष्य के अन्य FTAs को आकार देने में कैसे मदद कर सकता है?

  • त्वरित वार्ता: भारत-यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता 2007 से चल रही है।
  • संवेदनशील क्षेत्रकों की सुरक्षा: डेयरी उत्पाद जैसी संवेदनशील कृषि जिंसों को FTA की सूची से बाहर रखा गया है। 
    • साथ ही, संवेदनशील औद्योगिक सामान जैसे प्लास्टिक आदि को भी FTA की सूची से बाहर रखा गया है। इन्हें एक्सक्लूजन लिस्ट यानी अपवर्जन सूची में शामिल किया गया है, जिससे भारत के हितों की रक्षा होगी।
  • शुल्कों को धीरे-धीरे समाप्त करना: भारत-यू.के. FTA में, भारत ने लंबी अवधि में धीरे-धीरे शुल्कों में कटौती या उन्हें समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की है। इससे घरेलू उद्योगों को बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ तालमेल बिठाने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।
  • पारस्परिक लाभ पर जोर: उदाहरण के लिए- यूनाइटेड किंगडम के कार विनिर्माताओं को एक कोटा मिलेगा जिससे उनके वाहनों पर आयात शुल्क 100% से घटकर 10% हो जाएगा। साधारण भाषा में, भारत-यू.के. FTA के तहत ब्रिटेन में बनी लग्जरी और प्रीमियम कारों (जैसे- जगुआर, लैंड रोवर, रोल्स रॉयस, एस्टन मार्टिन आदि) के लिए भारत सरकार सीमित संख्या (कोटा) में आयात की अनुमति देगी, जिन पर अब केवल 10% आयात शुल्क लगेगा।

निष्कर्ष

भारत-यू.के. FTA न केवल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि विकसित देशों के साथ भारत के भावी व्यापार समझौतों के लिए एक रणनीतिक मॉडल के रूप में भी कार्य करता है। संवेदनशील क्षेत्रकों पर ध्यान देकर, आधुनिक व्यापार मुद्दों को अपनाकर तथा चरणबद्ध उदारीकरण दृष्टिकोण सुनिश्चित करके, यह घरेलू सुरक्षा उपायों के साथ संवृद्धि को संतुलित करता है।

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  • मुक्त व्यापार समझौते
  • डबल कंट्रिब्यूशंस कन्वेंशन (DCC)
  • भारत-यू.के. FTA
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