सुर्ख़ियों में क्यों?
भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) ने तीन वर्षों की औपचारिक वार्ता के बाद मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर की घोषणा की।
अन्य संबंधित तथ्य

- कानूनी दस्तावेज को अंतिम रूप दिए जाने के बाद भारत-यू.के. FTA को लागू किया जाएगा।
- इसमें डिजिटल व्यापार, पर्यावरण जैसे 27 अध्याय शामिल होंगे।
- दोनों देशों ने पारस्परिक डबल कंट्रिब्यूशंस कन्वेंशन (DCC) पर वार्ता करने के लिए भी सहमति व्यक्त की है।
- DCC एक प्रकार का सामाजिक सुरक्षा समझौता है।
- DCC यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों देशों में आवागमन करने वाले कर्मचारी और उनके नियोक्ताओं को, एक समय में केवल एक देश में ही सामाजिक सुरक्षा अंशदान में योगदान या भुगतान करना पड़े। इससे दोहरी देनदारी से बचाव होगा और व्यापारिक गतिविधियां सरल एवं सुविधाजनक बनेंगी।
- जो कर्मचारी एक देश से दूसरे देश में अपनी कंपनी के लिए अस्थायी रूप से (अर्थात् तीन साल तक) काम करने जाते हैं, वे भी इस समझौते (DCC) के तहत शामिल होंगे। ऐसे कर्मचारी और उनके नियोक्ता केवल अपने मूल देश में ही सामाजिक सुरक्षा टैक्स देंगे, उन्हें दूसरे देश में अलग से सामाजिक सुरक्षा टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
- यह व्यवस्था किसी कर्मचारी के उस देश से लाभ पाने के अधिकार को प्रभावित नहीं करेगी, जहां वह सामाजिक सुरक्षा टैक्स का भुगतान करता है। साथ ही, यू.के. इमिग्रेशन हेल्थ सरचार्ज (IHS) का भुगतान करना अभी भी अनिवार्य रहेगा।
- DCC यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों देशों में आवागमन करने वाले कर्मचारी और उनके नियोक्ताओं को, एक समय में केवल एक देश में ही सामाजिक सुरक्षा अंशदान में योगदान या भुगतान करना पड़े। इससे दोहरी देनदारी से बचाव होगा और व्यापारिक गतिविधियां सरल एवं सुविधाजनक बनेंगी।
- DCC एक प्रकार का सामाजिक सुरक्षा समझौता है।
भारत-यू.के. FTA की मुख्य विशेषताएं
- शून्य-शुल्क बाजार पहुंच: लगभग 99% भारतीय निर्यात पर यू.के. के बाजार में कोई शुल्क (ड्यूटी) नहीं लगेगा, जो व्यापार मूल्य का लगभग 100% कवर करेगा।
- दूसरी ओर, भारत देश में बेचे जाने वाले 90% ब्रिटिश उत्पादों पर शुल्क में कटौती करेगा।
- एक दशक के भीतर, भारत में बेचे जाने वाले 85% ब्रिटिश उत्पाद टैरिफ-मुक्त हो जाएंगे।
- भारतीय पेशेवरों के लिए आवागमन को आसान बनाता है: इसमें कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले सेवा प्रदाता; व्यवसाय के काम से आने जाने वाले लोग; निवेशक; राइट टू वर्क के तहत कंपनियों के भीतर स्थानांतरित कर्मचारी, उनके जीवनसाथी और आश्रित बच्चे; स्वतंत्र पेशेवर जैसे कि योग प्रशिक्षक आदि शामिल हैं।
- सेवाओं के क्षेत्र में यू.के. की महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धता: इस समझौते के तहत यू.के. ने भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और IT-सक्षम सेवाएं, वित्तीय सेवाएं, पेशेवर सेवाएं, अन्य व्यावसायिक सेवाएं और शैक्षिक सेवाओं जैसे क्षेत्रों में व्यापक और ऐतिहासिक बाज़ार पहुँच प्रदान की है।
- यू.के. की कंपनियों को खरीद प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति: अब UK की कंपनियां भारत में केंद्र सरकार और सरकारी कंपनियों को जरूरी वस्तुओं, सेवाएं एवं निर्माण कार्यों के लिए आपूर्ति से जुड़ी खरीद के लिए बोली लगा सकेंगी।
मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में
![]() FTAs को लेकर भारत का अनुभव
नोट: व्यापार समझौते का मूल्यांकन केवल व्यापार संतुलन के आधार पर नहीं किया जा सकता। इसके अलावा और भी फायदे हो सकते हैं, जैसे- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, मूल्य संवर्धित आपूर्ति श्रृंखला, बेहतर आपसी संबंध, व्यापार से संबंधित निवेश प्रवाह, विविध प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं तक बेहतर पहुंच, आदि। |
भारत-यू.के. FTA भविष्य के अन्य FTAs को आकार देने में कैसे मदद कर सकता है?
- त्वरित वार्ता: भारत-यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते की वार्ता 2007 से चल रही है।
- संवेदनशील क्षेत्रकों की सुरक्षा: डेयरी उत्पाद जैसी संवेदनशील कृषि जिंसों को FTA की सूची से बाहर रखा गया है।
- साथ ही, संवेदनशील औद्योगिक सामान जैसे प्लास्टिक आदि को भी FTA की सूची से बाहर रखा गया है। इन्हें एक्सक्लूजन लिस्ट यानी अपवर्जन सूची में शामिल किया गया है, जिससे भारत के हितों की रक्षा होगी।
- शुल्कों को धीरे-धीरे समाप्त करना: भारत-यू.के. FTA में, भारत ने लंबी अवधि में धीरे-धीरे शुल्कों में कटौती या उन्हें समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की है। इससे घरेलू उद्योगों को बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ तालमेल बिठाने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।
- पारस्परिक लाभ पर जोर: उदाहरण के लिए- यूनाइटेड किंगडम के कार विनिर्माताओं को एक कोटा मिलेगा जिससे उनके वाहनों पर आयात शुल्क 100% से घटकर 10% हो जाएगा। साधारण भाषा में, भारत-यू.के. FTA के तहत ब्रिटेन में बनी लग्जरी और प्रीमियम कारों (जैसे- जगुआर, लैंड रोवर, रोल्स रॉयस, एस्टन मार्टिन आदि) के लिए भारत सरकार सीमित संख्या (कोटा) में आयात की अनुमति देगी, जिन पर अब केवल 10% आयात शुल्क लगेगा।
निष्कर्ष
भारत-यू.के. FTA न केवल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि विकसित देशों के साथ भारत के भावी व्यापार समझौतों के लिए एक रणनीतिक मॉडल के रूप में भी कार्य करता है। संवेदनशील क्षेत्रकों पर ध्यान देकर, आधुनिक व्यापार मुद्दों को अपनाकर तथा चरणबद्ध उदारीकरण दृष्टिकोण सुनिश्चित करके, यह घरेलू सुरक्षा उपायों के साथ संवृद्धि को संतुलित करता है।