अल्जीरिया न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) का 9वां सदस्य बना।
न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के बारे में (मुख्यालय: शंघाई, चीन)
- उत्पत्ति: ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (BRICS/ ब्रिक्स) द्वारा स्थापित। NDB की स्थापना के लिए समझौते पर 15 जुलाई, 2014 को फोर्टालेजा में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे और बैंक ने 21 जुलाई, 2015 को परिचालन शुरू किया था।
- उद्देश्य: यह एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। इसका उद्देश्य उभरते बाजारों और विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन जुटाना है।
- सदस्य: ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और अल्जीरिया।
- NDB के अनुच्छेद 2 के अनुसार, इसकी सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए खुली है, जिसमें ऋण लेने वाले और ऋण न लेने वाले दोनों सदस्य शामिल हैं।
- उरुग्वे को इसके संभावित सदस्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसे NDB के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा मंजूरी दी गई है, लेकिन अपनी इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ अक्सेशन जमा करने के बाद इसे आधिकारिक तौर पर सदस्य का दर्जा दिया जाएगा।
- पूंजी और शेयरधारिता: इसकी स्थापना 100 बिलियन डॉलर की प्रारंभिक अधिकृत पूंजी से की गई थी। इसके सभी 5 संस्थापक सदस्यों की इसमें कुल 50 बिलियन डॉलर की समान हिस्सेदारी है।
- मतदान शक्ति: संस्थापक सदस्यों की संयुक्त मतदान शक्ति कम-से-कम 55% होगी।

क्षेत्रीय वित्तीय संस्थानों का समकालीन महत्व
- सतत और समावेशी विकास: उदाहरण के लिए- 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत में NDB द्वारा समर्थित 4.87 बिलियन डॉलर मूल्य की लगभग 20 परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें परिवहन, जल संरक्षण आदि शामिल हैं।
- अवसंरचना और निवेश संबंधी अंतराल को भरना: अवसंरचना के लिए दीर्घकालिक वित्त जुटाना, निजी निवेश को बढ़ावा देना और वित्त-पोषण की कमी को दूर करना।
- क्षेत्रीय एकीकरण और स्थिरता को बढ़ावा देना: सीमा-पार सहयोग को सुगम बनाना। उदाहरण के लिए- NDB और AIIB का संस्थापक सदस्य होने के नाते भारत ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत किया है।
Article Sources
1 sourceरक्षा मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) से पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार की निगरानी करने का आग्रह किया
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बारे में
- मुख्यालय: वियना (ऑस्ट्रिया)
- उत्पत्ति: यह संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन है, जो 1957 में अस्तित्व में आया था।
- आदर्श वाक्य: शांति और विकास के लिए परमाणु।
- सदस्य: 180 (भारत इसका सदस्य है)
- उत्तर कोरिया: 1974 में शामिल हुआ एवं 1994 में सदस्यता त्याग दी थी।
- जनरल कॉन्फ्रेंस: सभी सदस्य देश प्रतिवर्ष वियना में मिलते हैं।
- सम्मान: शांतिपूर्ण परमाणु उपयोग और वैश्विक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए 2005 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- IAEA और NPT: IAEA परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का सदस्य नहीं है, लेकिन यह संधि के अनुपालन की पुष्टि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- NPT के तहत प्रत्येक परमाणु-हथियार विहीन देश को IAEA के साथ एक व्यापक सुरक्षा समझौते (CSA) पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है, ताकि IAEA उनके दायित्व की पूर्ति को सत्यापित कर सके।
NPT के बारे में

- NPT एक बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों एवं परमाणु हथियारों से संबंधित प्रौद्योगिकी के प्रसार को रोकना है।
- यह 1970 में लागू हुई थी और 1995 में इसे अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया गया था।
- अब तक 191 देश इस संधि में शामिल हो चुके हैं, जिनमें सभी पांच मान्यता प्राप्त परमाणु-हथियार संपन्न देश (चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) भी शामिल हैं।
- भारत, इजरायल और पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं हुए हैं, जबकि उत्तर कोरिया 2003 में इससे बाहर हो गया था।
परमाणु प्रसार को रोकने के लिए मौजूद अन्य प्रमुख संधियां
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भारतीय अधिकारियों ने UNSC की 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम को द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
1267 प्रतिबंध समिति के बारे में
- इसे ISIS और अल-कायदा प्रतिबंध समिति भी कहा जाता है।
- इसकी स्थापना 1999 में ISIS, अल-कायदा और संबंधित समूहों से जुड़े आतंकवाद से निपटने के लिए की गई थी।
- UNSC के सभी स्थायी और अस्थायी सदस्य इसमें शामिल हैं।
- यह समिति आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध, आतंकियों की यात्रा पर रोक और उनकी संपत्ति जब्त करने जैसे फैसले लेती है। ये सभी फैसले UNSC के प्रस्ताव 1267 (1999), 1989 (2011), और 2253 (2015) के तहत लागू किए जाते हैं।
भारत ने 2025-26 के लिए औपचारिक रूप से एशियन प्रोडक्टिविटी ऑर्गनाइजेशन (APO) की अध्यक्षता ग्रहण की।
एशियन प्रोडक्टिविटी ऑर्गनाइजेशन (APO) के बारे में
- स्थापना: यह एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 1961 में आठ संस्थापक सदस्य देशों ने की थी।
- भारत भी इन संस्थापक सदस्यों में शामिल है।
- उद्देश्य: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आपसी सहयोग के माध्यम से उत्पादकता को बढ़ाना।
- सदस्य: इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र की 21 अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं।
- मुख्य भूमिकाएं:
- सदस्य देशों की नई आवश्यकताओं पर अनुसंधान करना और उन पर कार्य के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना।
- सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- प्रत्येक सदस्य देश की आर्थिक एवं विकास नीतियों और प्रदर्शन का सर्वेक्षण करना, आदि।