बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम कन्वेंशन के पक्षकारों का सम्मेलन 2025 | Current Affairs | Vision IAS
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बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम कन्वेंशन के पक्षकारों का सम्मेलन 2025

01 Jul 2025
43 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, बेसल कन्वेंशन के पक्षकारों की 17वीं, रॉटरडैम कन्वेंशन के पक्षकारों की 12वीं और स्टॉकहोम कन्वेंशन के पक्षकारों की 12वीं बैठक जिनेवा में आयोजित की गई।

तीनों कन्वेंशंस के 'पक्षकारों के सम्मेलन (COP)' के प्रमुख आउटकम्स

  • संयुक्त प्रतिबद्धता: तीनों पक्षकारों के सम्मेलन (COP) में अन्य पर्यावरणीय समझौतों और पहलों के साथ सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
  • बेसल कन्वेंशन (BC-COP-17):
    • दीर्घ-स्थायी कार्बनिक प्रदूषक या परसिस्टेंट ऑर्गेनिक पॉल्यूटेंट्स (POPs) अपशिष्टों के प्रबंधन के लिए तकनीकी दिशा-निर्देशों को अपडेट किया गया।
    • नया रणनीतिक फ्रेमवर्क (2025 से 2031 तक के लिए) अपनाया गया।
    • टेक्सटाइल अपशिष्ट की सीमा-पार आवाजाही पर कार्यक्रम शुरू किया गया।
  • रॉटरडैम कन्वेंशन (RC-COP-12):
    • कार्बोसल्फान (कीटनाशक) और फेन्थियन नामक दो रसायनों को एनेक्स-III में जोड़ा गया।
    • 2026–2027 के लिए अनुपालन समिति वर्क प्रोग्राम को अपनाया गया। 
  • स्टॉकहोम कन्वेंशन (SC-COP-12):
    • एनेक्स A में जोड़े गए रसायन: क्लोरपाइरीफॉस (कीटनाशक), लॉन्ग-चेन परफ्लोरोकार्बोक्सिलिक एसिड (LC-PFCAs), और मीडियम-चेन क्लोरीन युक्त पैराफ़िन (MCCPs)।

 

बेसल कन्वेंशनरॉटरडैम कन्वेंशन
  • परिचय:  खतरनाक अपशिष्ट की सीमा-पार आवाजाही और उनके निपटान पर नियंत्रण पर बेसल कन्वेंशन को 22 मार्च, 1989 को बेसल (स्विट्जरलैंड) में अपनाया गया। 
    • भारत इस संधि का एक पक्षकार देश है।
  • उद्देश्य: खतरनाक अपशिष्टों और विशेष ध्यान देने योग्य अन्य अपशिष्टों के हानिकारक प्रभावों से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करना।
  • दायरा: यह कन्वेंशन खतरनाक अपशिष्टों की कई श्रेणियों को कवर करता है, जिन्हें उनके स्रोत, संघटन (संरचना) या विशेषताओं के आधार पर पहचाना जाता है। इसमें "अन्य अपशिष्टों"  की चार श्रेणियां भी शामिल हैं, जैसे- घरेलू अपशिष्ट, कुछ विशेष प्रकार के प्लास्टिक अपशिष्ट, आदि।
  • सीमा-पार अपशिष्ट नियंत्रण: यह खतरनाक अपशिष्ट  के अंतर्राष्ट्रीय परिवहन के लिए पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया को लागू करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी देश को अपशिष्ट भेजने से पहले उसे उस अपशिष्ट के बारे में पूरी जानकारी दी जाए और उस देश की सहमति ली जाए।
  • फोकस का नया क्षेत्र:
    • टेक्सटाइल अपशिष्ट: टेक्सटाइल अपशिष्ट को अक्सर दान या पुनर्चक्रण योग्य सामग्री के रूप में गलत तरीके से लेबल किया जाता है। यह स्थिति विशेष रूप से ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उपयोगी कपड़ों और अपशिष्ट के बीच अंतर कर पाना कठिन होता है।
    • जहाजों को तोड़ना (शिप ब्रेकिंग): अगले 15 वर्षों में लगभग 15,000 जहाजों को तोड़ा जाएगा। इनमें से कई में खतरनाक पदार्थ जैसे कि POPs और भारी धातुएं मौजूद होंगी।
      • हालांकि बेसल कन्वेंशन इस मुद्दे का समाधान करता है, लेकिन हांगकांग कन्वेंशन के साथ इसके प्रावधानों में समानता होने के कारण कानूनी और क्रियान्वयन से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  • उत्पत्ति: रॉटरडैम कन्वेंशन 2004 में लागू हुआ। यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कुछ खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों के लिए पूर्व सूचित सहमति प्रक्रियाओं को स्थापित करता है।
    • भारत ने 2006 में इस कन्वेंशन को स्वीकार किया
    • पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया (PIC): यह सुनिश्चित करने की एक प्रक्रिया है कि खतरनाक रसायनों को उन देशों को निर्यात न किया जाए जो उन्हें नहीं चाहते हैं।
    • इस कन्वेंशन में 4 एनेक्स हैं। तीसरे एनेक्स में प्रतिबंधित रसायनों और कीटनाशकों की सूची है।
      • हालांकि, रॉटरडैम कन्वेंशन रासायनिक पदार्थों पर प्रतिबंध नहीं लगाता, लेकिन यह ऐसे रसायनों को एनेक्स III में सूचीबद्ध करता है जिन पर कम से कम दो पक्षकारों द्वारा स्वास्थ्य या पर्यावरण कारणों से प्रतिबंध लगाया गया है या इनके उपयोग को सख्ती से निषिद्ध किया गया है। 
  • उद्देश्य: कुछ खतरनाक रसायनों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पक्षकारों के बीच साझा उत्तरदायित्व और सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ावा देना, ताकि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को संभावित नुकसान से बचाया जा सके।
  • कन्वेंशन के तहत कवर: ऐसे कीटनाशक और औद्योगिक रसायन जिन्हें स्वास्थ्य या पर्यावरणीय कारणों से प्रतिबंधित या सख्ती से निषिद्ध (रिस्ट्रिक्टेड) किया किया गया है।
  • प्रक्रिया: 
    • यह कन्वेंशन  PIC प्रक्रिया के कार्यान्वयन के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी दायित्व बनाता है।
    • यह कन्वेंशन सुनिश्चित करता है कि निर्यातक देश पूर्व सूचित सहमति (PIC) प्रक्रिया के माध्यम से प्रतिबंधित या निषिद्ध किए गए विशेष रसायनों की जानकारी आयातक देशों को साझा करे।
    • यह रसायनों पर प्रतिबंध नहीं लगाता, बल्कि जानकारी साझा करके और देशों की राष्ट्रीय नीतियों के अनुसार निर्यात पर नियंत्रण लगाकर समझदारी से निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ावा देता है।

चिंताएं

  • खतरनाक रसायनों को सूचीबद्ध करने में विफलता:
    • रॉटरडैम कन्वेंशन ने मिथाइल ब्रोमाइड, पारा (मरकरी) और क्लोरपाइरीफोस सहित आठ खतरनाक रसायनों को सूची में शामिल करने का निर्णय टाल दिया है।
    • हालांकि, क्लोरपाइरीफोस  स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत प्रतिबंधित है, फिर भी इसे सूचना साझा करने के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है। इससे इन संधियों के बीच कमजोर तालमेल उजागर होता है।
  • व्यापार संबंधी चिंताएं बनाम वैज्ञानिक सहमति: विरोध मुख्य रूप से उन उत्पादक देशों से आया जो व्यापार पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। हालांकि, खतरनाक सूची में शामिल करना कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन अर्जेंटीना जैसे देश मानते हैं कि इससे उनके निर्यात पर असर पड़ता है।
  • एक-दूसरे से मिलते-जुलते समझौते: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, मिनामाटा और स्टॉकहोम कन्वेंशन जैसे कठोर समझौतों के साथ ओवरलैप (एक जैसे प्रावधान) होने की चिंताओं के कारण कार्रवाई में देरी होती है या निष्क्रियता बनी रहती है।

दीर्घ-स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (Persistent Organic Pollutants: POPs) पर स्टॉकहोम कन्वेंशन 

  • परिचय: इस कन्वेंशन को 2001 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में अपनाया गया और यह 2004 में लागू हुआ। भारत ने 2006 में इसकी अभिपुष्टि की।
  • उद्देश्य: ऐसे रसायनों से स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करना, जो पर्यावरण में लंबे समय तक टिके या बने रहते हैं तथा मानव शरीर और वन्यजीवों में संचित हो जाते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
  • चिंताएं:
    • जटिल रसायनों को नियंत्रित करने में कठिनाई: प्रतिनिधियों को MCCPs (मीडियम-चेन क्लोरीनयुक्त पैराफिन) को विनियमित करने में कठिनाई हुई, क्योंकि ये पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) जैसे उत्पादों में व्यापक रूप से उपयोग किए जाते हैं। इनका वैश्विक स्तर पर उपयोग इतना विस्तृत है कि इन्हें स्पष्ट रूप से परिभाषित करना मुश्किल हो गया।
    • जरूरत से ज्यादा छूट की मांग: हाल ही में MCCPs और क्लोरपाइरीफॉस के लिए छूट की मांगों में वृद्धि देखी गई है, जिससे यह चिंता उत्पन्न हुई है कि इससे विशेषज्ञों की अनुशंसाओं की प्रभावशीलता कमजोर हो सकती है।
    • उद्योग द्वारा भ्रामक जानकारी: UV-328 का मामला दिखाता है कि उद्योग जगत ने गलत जानकारी दी - चरणबद्ध तरीके से इसे समाप्त करने के दावों के बावजूद यह 4,000 विमानों में पाया गया।

 

बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम (BRS) कन्वेंशन का महत्व

  • प्रमुख ग्लोबल फ्रेमवर्क: ये खतरनाक रसायनों और अपशिष्टों से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण ग्लोबल फ्रेमवर्क हैं।
  • रसायनों के संपूर्ण जीवन-चक्र का विनियमन: ये रसायनों के पूरे जीवन चक्र — उत्पादन, उपयोग और निपटान — को विनियमित करते हैं, ताकि सुरक्षित और जिम्मेदारी-पूर्ण प्रबंधन को बढ़ावा दिया जा सके।
  • सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में भूमिका: ये कन्वेंशंस रसायनों और अपशिष्टों के सुरक्षित प्रबंधन को बढ़ावा देकर 2030 तक SDGs को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कई SDGs को हासिल करने में प्रत्यक्ष योगदान देते हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • SDG- 2 (जीरो हंगर/भुखमरी को समाप्त करना): मृदा और पारिस्थितिकी तंत्र पर हानिकारक रासायनिक प्रभावों को कम करके संधारणीय कृषि को बढ़ावा देना। 
    • SDG-3 (बेहतर स्वास्थ्य और सेहतमंदी): खतरनाक रसायनों और प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों और बीमारियों को कम करना।
    • SDG- 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता): प्रदूषण को कम करके और अपशिष्ट जल का सुरक्षित तरीके से उपचार करके जल की गुणवत्ता में सुधार करना।
    • SDG- 11 (संधारणीय शहर): बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन एवं वायु गुणवत्ता में सुधार के ज़रिए शहरों में पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम करना।
    • SDG- 12 (जिम्मेदारी से उपभोग और उत्पादन): रसायनों और अपशिष्टों को पर्यावरण-अनुकूल तरीके से प्रबंधन को बढ़ावा देना तथा वायु, जल और मृदा में प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करना। साथ ही, रीसाइक्लिंग व पुनः उपयोग को बढ़ाना।

निष्कर्ष

"अदृश्य को दृश्य बनाना (Make visible the invisible)" थीम हमें यह याद दिलाती है कि छोटे-छोटे बदलाव भी रॉटरडैम कन्वेंशन जैसी संधियों को प्रासंगिक बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। जैसे-जैसे नए वैश्विक प्रयास सामने आते हैं, पक्षकार देशों को न केवल बदलावों के साथ खुद को ढालना होगा, बल्कि मानव और पर्यावरण की वास्तविक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से कदम भी उठाने होंगे।

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